जयपुर. शिक्षा विभाग के तबादलों में भ्रष्टाचार के आरोप नए नहीं हैं. जब भी तबादला सूचियां जारी होती हैं, शिक्षक संगठन से लेकर विपक्षी दलों के नेता यह आरोप लगाते हैं. लेकिन आज मंगलवार को शिक्षा मंत्री के लिए उस समय अजीब स्थिति पैदा हो गई जब सीएम गहलोत ने मंच से शिक्षकों से पूछ लिया कि क्या वाकई उन्हें तबादलों के लिए पैसे देने पड़ते हैं.
जवाब हां में मिला तो शिक्षा मंत्री गोविंदसिंह डोटासरा को सफाई देनी पड़ी. दरअसल, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत राज्य स्तरीय शिक्षक सम्मान समारोह को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने कहा कि शिक्षकों के तबादलों में पारदर्शिता के लिए तबादला नीति जरूरी है. किसी शिक्षक की किसी जनप्रतिनिधि के साथ अच्छी पटती है तो ठीक वरना उसका तबादला हो जाता है.
शिक्षक भी मनचाही जगह तबादले के लिए जनप्रतिनिधियों से सिफारिशें करवाते हैं. सुनने में तो यह भी आता है कि शिक्षकों को मनचाही जगह तबादले के लिए पैसे तक देने पड़ते हैं. उन्होंने शिक्षकों से पूछा कि क्या यह सही है कि उन्हें तबादले के लिए पैसे देने पड़ते हैं. इस पर सामने बैठे शिक्षकों ने एक स्वर में कहा कि यह सही बात है. तबादले के लिए पैसे देने पड़ते हैं.
इस पर सीएम गहलोत ने कहा कि यह दुखदायी बात है. इसलिए तबादलों के लिए नीति जरूरी है. पारदर्शिता जरूरी है. इससे पहले शिक्षा मंत्री डोटासरा ने अपने संबोधन में अध्यापकों (शिक्षक ग्रेड-3) के तबादले करने की अनुमति देने और प्रतिबंधित जिलों के शिक्षकों के तबादले करने की मांग मुख्यमंत्री से की थी. सीएम के इस बयान की राजनीतिक गलियारों में खासा चर्चा हो रही है.
सीएम का संबोधन खत्म होने के बाद शिक्षा मंत्री डोटासरा ने माइक थामा और सफाई दी. उन्होंने कहा कि उनके शिक्षा मंत्री रहते उनके स्टाफ में तबादलों के लिए एक चाय भी पी हो तो बता देना. निश्चित रूप से मुख्यमंत्री का जो इशारा था कि कहीं न कहीं जेब कट जाती है. वो मुख्यमंत्री के नेतृत्व में शिक्षकों के तबादलों की नीति लागू करके इस तरह की परंपराओं को बिल्कुल खत्म करने की तरफ था.
सीएम बोले- ऐसा लग रहा है कि शिक्षा मंत्री विदाई पार्टी को संबोधित कर रहे हैं
अपने संबोधन के शुरुआत में सीएम गहलोत ने कहा कि शिक्षा विभाग की सारी बातें शिक्षा मंत्री डोटासरा ने कर दी जैसे विदाई ले रहे हों. यह लंबे समय से हाईकमान से कह रहे हैं कि एक उन्हें पद पर रखा जाए. आज का भाषण सुनकर लगा कि जैसे डोटासरा अपना संकल्प एक बार फिर दिल्ली में दोहरा आए हों. बता दें कि शिक्षा मंत्री डोटासरा अभी पीसीसी चीफ भी हैं.
केंद्र सरकार पर साधा निशाना
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने आज केंद्र सरकार पर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि कोरोना संकट की दूसरी लड़ाई के दौरान उन्होंने ऑक्सीजन सहित अन्य संसाधनों के लिए केंद्र सरकार से लड़ाई लड़ी. प्रधानमंत्री और केंद्रीय गृहमंत्री से भी बात की. गृहमंत्री से बात करना बड़ी बात है. उन्होंने राजस्थान की सरकार को गिराने में कोई कसर बाकी नहीं रखी.
राज्य स्तरीय शिक्षक सम्मान समारोह में उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री और गृहमंत्री को कर्नाटक और मध्यप्रदेश की घटनाओं का घमंड था. लेकिन राजस्थान की जनता ने उनका घमंड तोड़ दिया. आज देश के हालात खराब हैं. पैसे के बल पर सरकारें गिराई जा रही हैं. लोकतंत्र और देश खतरे में है. इंदिरा गांधी ने पाकिस्तान के दो टुकड़े कर दिए. अटलजी तक ने इंदिरा गांधी की तारीफ की. लेकिन उन्होंने कभी घमंड नहीं किया. उन्होंने अपनी जान दे दी लेकिन लेकिन देश को टूटने नहीं दिया.
पेट्रोल-डीजल पर जनता को गुमराह किया
मुख्यमंत्री ने कहा कि मनमोहन सिंह जब प्रधानमंत्री तब तो अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड की कीमतें सबसे ऊंची थी. फिर भी उन्होंने पेट्रोल कंपनियों को सब्सिडी देकर कीमतें नियंत्रित रखी. अब जब क्रूड की कीमतें काफी कम हो गई हैं. फिर भी पेट्रोल-डीजल के दाम आसमान छू रहे हैं. उल्टे राज्यों पर वैट कम करने का दबाव बनाया जा रहा है. केंद्र सरकार ने पेट्रोल के दाम काफी बढ़ा दिए हैं और अभी बाजार में इलेक्ट्रिक स्कूटी का चलन बढ़ रहा है. इसलिए स्कूटी योजना के तहत पेट्रोल से चलने वाली स्कूटी के बजाए इलेक्ट्रिक स्कूटी देने पर विचार किया जाएगा.