जयपुर. केरल राज्य में जीका वायरस के कुछ मामले सामने आए थे. साथ ही बीते कुछ साल में क्लाइमेट चेंज के कारण मौसमी बीमारियां बढ़ी हैं. इसके अध्ययन के लिए राजस्थान में एक टास्क फोर्स का गठन किया गया था. लेकिन कोविड-19 संक्रमण आ जाने के कारण यह टास्क फोर्स मौसमी बीमारियों पर अध्ययन नहीं कर पाई.
दरअसल करीब 2 साल पहले एनसीडीसी यानी नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल ने मौसमी बीमारियों पर विशेष फोकस करने की बात कही थी. कोविड-19 संक्रमण से पहले बड़ी संख्या में मौसमी बीमारियों के चलते पॉजिटिव मरीज देखने को मिले थे. एनसीडीसी की ओर से सभी राज्यों को एक पत्र भी लिखा गया था, जिसमें मौसमी बीमारियों की रोकथाम के लिए एक विशेष एक्शन प्लान बनाने की बात कही गई थी. हालांकि चिकित्सा विभाग की ओर से इस एक्शन प्लान के तहत एक टास्क फोर्स का निर्माण भी किया गया. लेकिन मौसमी बीमारियों का अध्ययन नहीं हो पाया.
मामले को लेकर चिकित्सा विभाग के अतिरिक्त निदेशक डॉ. रवि प्रकाश शर्मा का कहना है कि तकरीबन 2 साल पहले एक टास्क फोर्स का निर्माण तो किया गया. लेकिन इस दौरान कोविड-19 संक्रमण के मामले प्रदेश में देखने को मिले, जिसके बाद इस टास्क फोर्स को कोरोना से निपटने के लिए लगा दिया गया. ऐसे में क्लाइमेट चेंज के आधार पर मौसमी बीमारियों की समीक्षा नहीं हो पाई. हालांकि कोविड-19 संक्रमण के बाद मौसमी बीमारियों के मामलों में कमी देखने को मिली थी. प्रदेश की बात की जाए तो कोविड-19 संक्रमण से पहले स्वाइन फ्लू, डेंगू, स्क्रब टायफस और जीका वायरस से संक्रमित मरीजों की बड़ी संख्या देखने को मिली थी.
इस टास्क फोर्स का काम प्रदेश में हर महीने के मौसम और बीमारियों का अध्ययन कर रिपोर्ट तैयार करनी थी. इस टास्क फोर्स में चिकित्सा विभाग के अलावा अन्य विभाग के अधिकारियों को भी शामिल किया गया.