जयपुर. राजस्थान राज्य मानव अधिकार आयोग अध्यक्ष जस्टिस जी के व्यास ने ईटीवी भारत से खास बातचीत की. इस दौरान आयोग अध्यक्ष ने आयोग ने करीब 6000 मामले पेंडिंग होने की बात तो स्वीकार की लेकिन यह भी कहा कि जिस रफ्तार से शिकायतों का निस्तारण हो रहा है वो आम पीड़ितों को राहत देने वाला है.
जस्टिस व्यास ने इस दौरान वे तमाम मामले भी गिनाए. जिस पर आयोग ने एक्शन लेते हुए पीड़ितों को न्याय दिलवाया तो यह भी कहा कि आयोग के समक्ष सर्वाधिक मामले पुलिस अत्याचार से जुड़े आते हैं जिसमें में तुरंत संज्ञान भी लेते हैं.
मानव अधिकार से जुड़े पोस्टर थानों में चस्पा, अब लगेंगे सीसीटीवी कैमरे
ईटीवी भारत से खास बातचीत के दौरान आयोग अध्यक्ष जस्टिस जी के व्यास (Justice GK Vyas on Rajasthan Police) ने कहा कि राजस्थान पुलिस (Rajasthan Police ) अत्याचार के मामले सामने आने के बाद आयोग ने प्रदेश के सभी पुलिस अधीक्षकों को अपने क्षेत्रों के थानों में मानव अधिकारों को दर्शाने वाले पोस्टर चस्पा करने के निर्देश दिए हैं. जस्टिस व्यास ने कहा सभी थानों में यह पोस्टर लगना शुरू हो गए, जिसमें वहां आने वाले व्यक्ति को उसके अधिकारों की जानकारी भी हो.
आयोग अध्यक्ष ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने साल 2018 और दिसंबर 2020 में यह निर्देश दिए थे कि सभी पुलिस थानों में सीसीटीवी कैमरा लगना चाहिए और अब आयोग ने इस संबंध में गृह विभाग को अनुशंसा भेजी है. जस्टिस व्यास ने कहा इस सरकार ने इस पर सहमति देते हुए बजट में आवंटित कर दिया है. मतलब सभी पुलिस थानों में अंदर और बाहर की तरफ सीसीटीवी कैमरा (CCTV in Rajasthan Police Stations) लगेगा ताकि पुलिस थानों के भीतर होने वाली पुलिस की सभी गतिविधियों पर तीसरी नजर रखी जा सके.
हम आदेश नहीं अनुशंसा करते हैं, लेकिन तार्किक तर्कों के साथ
जस्टिस व्यास ने कहा की आयोग का गठन संसद द्वारा बनाए गए अधिनियम के तहत हुआ है. ऐसे में कोई भी प्रशासनिक विभाग इसकी अनुशंसा को हल्के में नहीं लेता हालांकि जब उनसे पूछा गया कि अधिकतर विभाग आयोग के निर्देशों का जवाब तक नहीं देते. तब उन्होंने कहा कि कुछ विभागों में प्रशासनिक लचरता के चलते ऐसा हो जाता है लेकिन अधिकतर विभाग आयोग के अधिकार और अपने कर्तव्य जानते हैं जिसके चलते आयोग के संज्ञान पर अब तुरंत कार्रवाई हो रही है.
स्टाफ और संसाधनों की कमी पर भी सकारात्मक सोच
राज्य मानव अधिकार आयोग के पास पूरे राजस्थान की जिम्मेदारी है लेकिन संसाधनों की कमी के कारण मामलों की पेंडेंसी ज्यादा रहती है. हालांकि इसी से जुड़ा सवाल जब आयोग अध्यक्ष पूछा गया तो उन्होंने इसमें भी सकारात्मकता के साथ कहा कि जब देश की आबादी 70 साल में एक अरब के बाहर हो गई तो फिर वित्तीय संसाधनों की भी अपनी परिधि होती है और उसी के तहत इसे लगाया जाता है. आयोग अध्यक्ष ने कहा कि राजस्थान में स्वास्थ्य शिक्षा और शांति के माहौल पर सरकार का पूरा फोकस है और कोरोना काल खंड के दौरान तो प्रदेश सरकार का प्रबंधन बेहतरीन रहा, जो अपने आप में मानव अधिकारों की रक्षा की एक मिसाल है.
कोरोना कालखंड के दौरान व्हाट्सएप मैसेज कर लिया संज्ञान
ईटीवी भारत से खास बातचीत के दौरान आयोग अध्यक्ष ने कहा कोरोना कालखंड के दौरान आयोग ने महज मोबाइल मैसेज पर भी कई मामलों में संज्ञान लेते हुए पीड़ितों को राहत देने का काम किया. अब साल 2022 में हम सभी जिलों में पुलिस थानों का निरीक्षण कर जनसुनवाई का सिलसिला तेज करेंगे ताकि जिला स्तर तक आयोग पहुंचकर पीड़ितों को राहत दे सकें.