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मैं बलि का बकरा नहीं बल्कि पार्टी का निष्ठावान कार्यकर्ता हूं, प्रथम वरीयता के वोट जिसे पार्टी चाहेगी मिलेगा: लखावत

नामांकन वापसी का समय निकलने के बाद ईटीवी भारत ने की ओंकार सिंह लखावत से खास बात की. इस दौरान उन्होंने कहा कि मौजूदा विधायकों की संख्या बल और हार जीत को लेकर समीकरण क्या रहेंगे और किस तरह आगे की रणनीति रहेगी, ये पार्टी तय करेगी.

BJP Rajya Sabha candidate, Omkar Singh Lakhawat
भाजपा राज्यसभा प्रत्याशी ओंकार सिंह लखावत से खास बातचीत
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Published : Mar 18, 2020, 6:01 PM IST

जयपुर. राजस्थान में राज्यसभा की 3 सीटों पर होने वाले चुनाव की तस्वीर साफ हो चुकी हैं. भाजपा और कांग्रेस दोनों ने दो-दो प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतारे हैं. भाजपा के दूसरे प्रत्याशी ओंकार सिंह लखावत का विधायकों की संख्या बल के लिहाज से जीतने का आसार ना हो और कांग्रेस नेता उन्हें अपने बयानों में बलि का बकरा बताते हो, लेकिन लखावत खुद को भाजपा के निष्ठावान कार्यकर्ता बताते हुए चुनाव में जीत हार की गणित की जिम्मेदारी पार्टी पर छोड़ते हैं. नामांकन वापसी का समय निकलने के बाद ईटीवी भारत ने की ओंकार सिंह लखावत से खास बात की.

पढ़ें: ईटीवी भारत से बातचीत में बोले राज्यसभा प्रत्याशी ओंकार सिंह लखावत, "नामांकन भरा है तो चुनाव भी लड़ूंगा"

आप चुनाव को गणित मानो, मैं इसे इतिहास मानता हूं: लखावत

लखावत के अनुसार लोग चुनाव को गणित बताते हैं, जबकि उनकी सोच में यह चुनाव इतिहास है, साहित्य है, लखावत ने कहा कि यह चुनाव भी इतिहास बनेगा और स्वर्ण अक्षरों में लिखा जाएगा. हालांकि जीत हार की गणित से जुड़े सवाल के जवाब में लखावत ने कहा कि क्या इंदिरा गांधी और संजय गांधी कभी नहीं हारे और उन्होंने राहुल गांधी का भी उदाहरण इस दौरान दिया. लखावत के अनुसार इन चुनावों में प्रदेश के 200 विधायक वोट देंगे और 3 सीटों पर चुनाव होगा. ऐसे में हार जीत का फैसला यह विधायक ही करेंगे.

भाजपा राज्यसभा प्रत्याशी ओंकार सिंह लखावत से खास बातचीत

प्रथम वरीयता के वोट किसे मिले पार्टी तय करेगी लेकिन गहलोत मुझसे श्रेष्ठ: लखावत

ईटीवी भारत से खास बातचीत में जब लखावत से पूछा गया कि बीजेपी विधायकों की संख्या बल के आधार पर भाजपा के खाते में एक ही सीट आएगी, जबकि प्रत्याशी दो है. ऐसे में बीजेपी विधायक अपना प्रथम वरीयता का वोट पार्टी प्रत्याशी राजेंद्र गहलोत को देंगे या फिर ओंकार सिंह लखावत को. इस पर जबाव देते हुए लखावत ने बताया कि यह तो पार्टी ही तय करेगी, लेकिन मैं इतना जरूर कह सकता हूं कि राजेंद्र गहलोत जी मुझसे श्रेष्ठ है और कई दृष्टि से वरिष्ठ भी. लखावत ने कहा मैं चाहता हूं गहलोत साहब जीते और मेरी शुभकामनाएं भी उनके साथ है. मतलब लखावत ने यह स्वीकार कर लिया कि पार्टी के प्रथम वरीयता के वोट गहलोत को ही मिलेंगे.

जीत हार का समीकरण पार्टी देखेगी मैं तो पार्टी के आदेश पर बना प्रत्याशी: लखावत

ओंकार सिंह लखावत के अनुसार मौजूदा विधायकों की संख्या बल और हार जीत को लेकर समीकरण क्या रहेंगे और किस तरह आगे की रणनीति रहेगी यह सब पार्टी को तय करना है वे तो पार्टी के कार्यकर्ता है और पार्टी के आदेश पर प्रत्याशी भी बने हैं लखावत के अनुसार जो जिम्मेदारी उन्हें दी गई है वे उस पर खरा उतरने का प्रयास भी करेंगे.

पढ़ें- Corona का खौफ: फिलीपींस में फंसे करीब 1500 भारतीय students, 200 से ज्यादा राजस्थान के

यह है राज्यसभा चुनाव में वोटों का गणित

राजस्थान विधानसभा में कुल 200 विधायक हैं और 3 सीटों पर होने वाले राज्यसभा के चुनाव में जीत के लिए हर प्रत्याशी को प्रथम वरीयता के 51 वोट चाहिए. भाजपा विधायकों की संख्या बहुत है, जबकि सहयोगी दल आरएलपी के तीन विधायक भी भाजपा के साथ हैं. ऐसे में भाजपा के पहले प्रत्याशी प्रथम वरीयता के 51 वोट लेकर जीत जाएंगे, लेकिन दूसरे प्रत्याशी को पार्टी और सहयोगी दल के महज 24 ही वोट मिलेंगे. जबकि 27 वोट की दरकार फिर भी भाजपा को रहेगी. वही विधायकों की संख्या बल के आधार पर कांग्रेस को अपने 2 प्रत्याशियों को जिताने के लिए प्रथम वरीयता के 102 वोट चाहिए, जबकि कांग्रेस के पास 160 विधायक हैं और अधिकतर निर्दलीय व अन्य छोटी पार्टियों के विधायकों का भी कांग्रेस को समर्थन है.

जयपुर. राजस्थान में राज्यसभा की 3 सीटों पर होने वाले चुनाव की तस्वीर साफ हो चुकी हैं. भाजपा और कांग्रेस दोनों ने दो-दो प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतारे हैं. भाजपा के दूसरे प्रत्याशी ओंकार सिंह लखावत का विधायकों की संख्या बल के लिहाज से जीतने का आसार ना हो और कांग्रेस नेता उन्हें अपने बयानों में बलि का बकरा बताते हो, लेकिन लखावत खुद को भाजपा के निष्ठावान कार्यकर्ता बताते हुए चुनाव में जीत हार की गणित की जिम्मेदारी पार्टी पर छोड़ते हैं. नामांकन वापसी का समय निकलने के बाद ईटीवी भारत ने की ओंकार सिंह लखावत से खास बात की.

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आप चुनाव को गणित मानो, मैं इसे इतिहास मानता हूं: लखावत

लखावत के अनुसार लोग चुनाव को गणित बताते हैं, जबकि उनकी सोच में यह चुनाव इतिहास है, साहित्य है, लखावत ने कहा कि यह चुनाव भी इतिहास बनेगा और स्वर्ण अक्षरों में लिखा जाएगा. हालांकि जीत हार की गणित से जुड़े सवाल के जवाब में लखावत ने कहा कि क्या इंदिरा गांधी और संजय गांधी कभी नहीं हारे और उन्होंने राहुल गांधी का भी उदाहरण इस दौरान दिया. लखावत के अनुसार इन चुनावों में प्रदेश के 200 विधायक वोट देंगे और 3 सीटों पर चुनाव होगा. ऐसे में हार जीत का फैसला यह विधायक ही करेंगे.

भाजपा राज्यसभा प्रत्याशी ओंकार सिंह लखावत से खास बातचीत

प्रथम वरीयता के वोट किसे मिले पार्टी तय करेगी लेकिन गहलोत मुझसे श्रेष्ठ: लखावत

ईटीवी भारत से खास बातचीत में जब लखावत से पूछा गया कि बीजेपी विधायकों की संख्या बल के आधार पर भाजपा के खाते में एक ही सीट आएगी, जबकि प्रत्याशी दो है. ऐसे में बीजेपी विधायक अपना प्रथम वरीयता का वोट पार्टी प्रत्याशी राजेंद्र गहलोत को देंगे या फिर ओंकार सिंह लखावत को. इस पर जबाव देते हुए लखावत ने बताया कि यह तो पार्टी ही तय करेगी, लेकिन मैं इतना जरूर कह सकता हूं कि राजेंद्र गहलोत जी मुझसे श्रेष्ठ है और कई दृष्टि से वरिष्ठ भी. लखावत ने कहा मैं चाहता हूं गहलोत साहब जीते और मेरी शुभकामनाएं भी उनके साथ है. मतलब लखावत ने यह स्वीकार कर लिया कि पार्टी के प्रथम वरीयता के वोट गहलोत को ही मिलेंगे.

जीत हार का समीकरण पार्टी देखेगी मैं तो पार्टी के आदेश पर बना प्रत्याशी: लखावत

ओंकार सिंह लखावत के अनुसार मौजूदा विधायकों की संख्या बल और हार जीत को लेकर समीकरण क्या रहेंगे और किस तरह आगे की रणनीति रहेगी यह सब पार्टी को तय करना है वे तो पार्टी के कार्यकर्ता है और पार्टी के आदेश पर प्रत्याशी भी बने हैं लखावत के अनुसार जो जिम्मेदारी उन्हें दी गई है वे उस पर खरा उतरने का प्रयास भी करेंगे.

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यह है राज्यसभा चुनाव में वोटों का गणित

राजस्थान विधानसभा में कुल 200 विधायक हैं और 3 सीटों पर होने वाले राज्यसभा के चुनाव में जीत के लिए हर प्रत्याशी को प्रथम वरीयता के 51 वोट चाहिए. भाजपा विधायकों की संख्या बहुत है, जबकि सहयोगी दल आरएलपी के तीन विधायक भी भाजपा के साथ हैं. ऐसे में भाजपा के पहले प्रत्याशी प्रथम वरीयता के 51 वोट लेकर जीत जाएंगे, लेकिन दूसरे प्रत्याशी को पार्टी और सहयोगी दल के महज 24 ही वोट मिलेंगे. जबकि 27 वोट की दरकार फिर भी भाजपा को रहेगी. वही विधायकों की संख्या बल के आधार पर कांग्रेस को अपने 2 प्रत्याशियों को जिताने के लिए प्रथम वरीयता के 102 वोट चाहिए, जबकि कांग्रेस के पास 160 विधायक हैं और अधिकतर निर्दलीय व अन्य छोटी पार्टियों के विधायकों का भी कांग्रेस को समर्थन है.

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