जयपुर. राजस्थान विधानसभा चुनाव 2023 से पहले कांग्रेस ने राजनीति के पिच पर सेमिफाइनल जीत ली है. राज्य की दो विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव में मिली जीत ने कांग्रेस को ना केवल आगे की लड़ाई के उत्साहित कर दिया है बल्कि कार्यकर्ताओं के मनोबल को भी शिखर पर पहुंचा दिया है. राज्य की धरियावद और वल्लभनगर दोनों ही सीटों पर कांग्रेस ने जीत दर्ज करते हुए भाजपा के सामने बड़ी चुनौती खड़ी कर दी है.
वल्लभनगर से विधायक गजेंद्र सिंह शक्तावत (Gajendra Singh Shaktawat) और भाजपा के विधायक गौतम लाल के कोरोना महामारी से निधन के चलते इन दोनों सीटों पर उपचुनाव हुआ था. जिसमें कांग्रेस पार्टी ने वल्लभनगर सीट (Vallabhanagar Byelection) को तो बरकरार रखा है. वहीं धरियावद सीट भी भाजपा से छीन ली है. इसी के साथ राजस्थान विधानसभा में कांग्रेस विधायकों की संख्या बढ़कर 108 हो गई है. अगर बसपा से कांग्रेस में आए छह विधायकों की संख्या भी हटा दें तो भी कांग्रेस के पास अपने दम पर पूर्ण बहुमत से ज्यादा विधायक हैं. धरियावद से कांग्रेस प्रत्याशी नगराज मीणा ने तो वल्लभनगर में प्रिति शक्तावत ने जीत हासिल की है.
जीत का सबसे बड़ा कारण सहानुभूति फैक्टर
कांग्रेस पार्टी को दोनों विधानसभा सीट पर जीत में सबसे बड़ा फायदा सहानुभूति का मिला है. दरअसल कांग्रेस पार्टी ने दिवंगत विधायक गजेंद्र सिंह शक्तावत की पत्नी को टिकट देकर सहानुभूति कार्ड खेला. जिसके चलते हमेशा टक्कर में रहने वाली जनता सेना भी कांग्रेस के सामने ताश के पत्तों की तरह ढह गई. वहीं जब भाजपा ने दिवंगत विधायक गौतम लाल मीणा के बेटे कन्हैया लाल मीणा को टिकट नहीं दिया तो कांग्रेस पार्टी ने इस सीट से लगातार कांग्रेस के टिकट पर दो बार चुनाव हार चुके नागराज मीणा को टिकट दिया. जिससे दो बार हारने के चलते उनके साथ भी जनता की सहानुभूति को भुनाया जा सके.
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (CM Gehlot) चुनाव से ठीक पहले पार्टी प्रत्याशी नागराज के पक्ष में सभा करने से पहले दिवंगत विधायक गौतम लाल मीणा के निवास पर पहुंचे. उन्होंने भाजपा पर उनके बेटे कन्हैया लाल मीणा को टिकट नहीं दिए जाने की बात कह कर जनता में भी यह मैसेज पहुंचा दिया की कांग्रेस पार्टी अपने विधायकों के साथ हमेशा खड़ी रहती है. जबकि भाजपा विधायक के दिवंगत होते ही उन्हें भूल गई.
भाजपा में अंदरखाने हुआ जमकर विरोध
राजस्थान में कांग्रेस पार्टी ने वल्लभनगर से जब विधायक प्रीति शक्तावत को टिकट दिया तो स्थानीय विरोध को पार्टी ने सही तरीके से हैंडल किया. यही काम कांग्रेस ने धरियावद में नगराज मीणा को टिकट दिए जाने के बाद किया. भले ही इनके टिकट को लेकर शुरुआत में कुछ नेताओं ने विरोध किया लेकिन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और उनकी टीम ने इस विरोध को थाम लिया. जबकि भाजपा में दोनों ही सीटों पर टिकट वितरण का अंतर्विरोध इतना अधिक रहा कि भाजपा वल्लभनगर में तो चौथे नंबर पर रही.
वहीं अपना गढ़ धरियावद में तीसरे स्थान पर खिसक गई. कहा जा रहा है कि स्थानीय नेतृत्व ना तो खेत सिंह मीणा को टिकट देना चाहता था नहीं हिम्मत सिंह झाला को लेकिन केंद्रीय नेतृत्व ने इन दोनों को टिकट दिया. जिसके चलते स्थानीय नेताओं में नाराजगी बढ़ गई. इसके कारण कांग्रेस पार्टी आसानी से चुनाव में जीत हासिल कर पाई.
बीटीपी, आरएलपी अगले चुनाव में खतरे की घंटी
राजस्थान में अब तक जो चुनाव होते रहे हैं उनमें कांग्रेस और भाजपा का आमने सामने का मुकाबला रहा है. लेकिन वल्लभनगर हो या फिर धरियावद दोनों ही सीटों पर कांग्रेस पार्टी का मुकाबला भारतीय जनता पार्टी से न होकर आरएलपी और बीटीपी से हुआ. वल्लभनगर में हनुमान बेनीवाल की राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी और धरियावद में भारतीय ट्राइबल पार्टी के समर्थक थावरचंद से कांग्रेस का मुकाबला हुआ. सत्ताधारी दल कांग्रेस भले ही चुनाव जीत गई हो लेकिन 2023 में आने वाले विधानसभा चुनाव में ये दोनों स्थानीय पार्टियां भाजपा और कांग्रेस के सामने बड़ी चुनौती बन सकती हैं. धरियावद चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी नगराज मीणा को 69,819 वोट मिले तो दूसरे नंबर पर निर्दलीय प्रत्याशी थावरचंद रहे. जिन्हें भारतीय ट्राइबल पार्टी का पूरा समर्थन मिला.
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थावरचंद को 51, 094 वोट मिले. भाजपा के प्रत्याशी खेत सिंह तीसरे स्थान पर रहे, उन्हें 46,415 वोट मिले. इसी तरह से वल्लभनगर विधानसभा में हुए उपचुनाव में जीत दर्ज करने वाली कांग्रेस की प्रीति शक्तावत को 65,378 वोट मिले. जबकि दूसरे नंबर पर 44,978 वोट के साथ आरएलपी के उम्मीदवार उदय लाल डांगी रहे. वल्लभनगर में जनता सेना के रणधीर सिंह भिंडर 43,519 वोट के साथ तीसरे स्थान पर रहे तो भाजपा के प्रत्याशी हिम्मत सिंह झाला महज 21,278 वोट लेकर चौथे स्थान पर खिसक गए. ऐसे में भले ही भाजपा की इन चुनाव में ज्यादा चिंताजनक स्थिति रही हो लेकिन हकीकत यह है कि 2023 के चुनाव में स्थानीय पार्टियां बड़ा सिरदर्द बनने जा रही हैं.
महंगाई बनी हार का कारण
भारतीय जनता पार्टी के राजस्थान अध्यक्ष इस बात से इनकार करते नजर आए कि पेट्रोल-डीजल ,गैस की बढ़ी हुई कीमतों के साथ ही महंगाई का उपचुनाव की हार से कोई सीधा संबंध है. लेकिन कांग्रेस नेताओं ने सीधे तौर पर जो कारण जीत के लिए बताए हैं उनमें पेट्रोल- डीजल, गैस की बढ़ती कीमतें और महंगाई सबसे अहम है. ऐसे में भाजपा के लिए यह चुनाव आई ओपनर भी बन सकती हैं कि कैसे महंगाई से आम जनता त्रस्त है. कहीं जो हालात पेट्रोल डीजल की कीमतों की बढ़ोतरी से यूपीए सरकार के बने वही हालात एनडीए सरकार के भी ना हो जाएं.
वल्लभनगर उपचुनाव में बीजेपी की जमानत जब्त
वल्लभनगर में चतुष्कोणीय मुकाबले के बीच के कांग्रेस उम्मीदवार प्रीति शक्तावत ने बेहतरीन प्रदर्शन किया है. प्रीति ने वल्लभनगर का उपचुनाव 20 हजार से ज्यादा वोटों जीता है. जबकि भाजपा के हिम्मत सिंह झाला की जमानत जब्त हो गई है. उपचुनाव में कांग्रेस का हाथ इस तरह लहराया कि प्रीति के सामने कोई भी उम्मीदवार अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाया. भाजपा ने वल्लभनगर चुनाव में एक नई रणनीति के तहत नए उम्मीदवार हिम्मत सिंह झाला को मैदान में उतारा था. लेकिन झाला भी वल्लभनगर में कमल को खिला पाने में असफल रहे. हालांकि आरएलपी उम्मीदवार उदय लाल डांगी दूसरे नंबर पर रहे हैं. वहीं जनता सुप्रीमो रणधीर सिंह भिंडर भी इस बार कोई बेहतरीन प्रदर्शन नहीं कर पाए. भिंडर उपचुनाव की रेस में तीसरे नंबर पर रहे. जबकि बीजेपी के हिम्मत सिंह झाला को चौथे नंबर पहुंच गए.