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Lata Mangeshkar Demise: स्वर कोकिला लता मंगेशकर का राजस्थान से था गहरा रिश्ता, 34 साल पहले जयपुर में अपने गीतों से किया था सभी को मुग्ध - Lata Mangeshkar performed in Jaipur before 34 years

भारत रत्न लता मंगेश्कर का राजस्थान से भी गहरा नाता (Lata Mangeshkar had relationship with Rajasthan) रहा है. उन्होंने 34 साल पहले जयपुर के स्टेज को सुरों से सजाया था. उन्होंने सिर्फ एक बार 34 वर्ष पहले जयपुर में परफॉर्म (Lata Mangeshkar performed in Jaipur before 34 years) किया था लेकिन उसकी छाप आज भी जयपुर वासियों के जहन में बसी है. अपने गीतों से उन्होंने जयपुर वासियों को मुग्ध कर दिया था.

Lata Mangeshkar had relationship with Rajasthan
राजस्थान से था गहरा नाता
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Published : Feb 6, 2022, 9:52 PM IST

Updated : Feb 6, 2022, 11:07 PM IST

जयपुर. स्वर साम्राज्ञी, संगीत की देवी और करीब छह दशक तक अविरल हिंदुस्तान की आवाज रहीं लता मंगेशकर रविवार को इस दुनिया को अलविदा कह गईं. भारत रत्न लता मंगेशकर ने 30 से ज्यादा भाषाओं में फिल्मी और गैर फिल्मी गानों में अपनी आवाज का जादू बिखेरा. करीब 34 साल पहले गुलाबी नगरी भी लता मंगेशकर के नगमों से झूम उठा था जिसमें 40 हजार दर्शक एसएमएस स्टेडियम में इकट्ठा हुए थे.

जयपुर में लता मंगेशकर (Lata Mangeshkar had relationship with Rajasthan)का वह पहला और आखरी कार्यक्रम था. उस एक कार्यक्रम में उन्होंने न सिर्फ अपनी आवाज से लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया था बल्कि अकाल के दौर से जूझ रहे प्रदेश को स्वर कोकिला लता मंगेशकर ने तत्कालीन मुख्यमंत्री हरिदेव जोशी को एक करोड़ 1 लाख रुपए का चेक भी भेंट किया था.

राजस्थान से था गहरा नाता

लता मंगेशकर वह व्यक्तित्व है जिसने अपनी आवाज से दुनियाभर के लोगों को अपना कायल बना रखा था. जिनके गीत गुनगुनाते हुए तीन पीढ़ी जवां हो गईं. लता मंगेशकर आज अपने तरानों के साथ इस दुनिया को छोड़कर चली गईं. उनका निधन न सिर्फ फिल्म जगत, म्यूजिक इंडस्ट्री, बल्कि देश के लिए भी अपूरणीय क्षति है.

पढ़ें. सुर साम्राज्ञी लता मंगेशकर का डूंगरपुर से भी रहा गहरा नाता! जानते हैं कैसे?

उपवास होने पर भी तीन घंटे तक गाती रहीं लता दीदी
लता मंगेशकर का जयपुर से भी नाता रहा है. 34 साल पहले जयपुर की वो शाम उस दौर का शायद ही कोई शहरवासी भूला होगा. जब जयपुर में 3 घंटे तक लता मंगेशकर के गीत लोगों को मुग्ध करते रहे. उपवास होने के बावजूद भी 26 नवंबर 1987 को जयपुर के एसएमएस स्टेडियम में 40,000 से ज्यादा दर्शकों के बीच लता मंगेशकर (Lata Mangeshkar performed in Jaipur before 34 years) ने 26 गीत गाए और वहां मौजूद हर एक व्यक्ति उनकी आवाज के जादू में खो गया.

Lata Mangeshkar had relationship with Rajasthan
जयपुर आने पर किया था जोरदार स्वागत

उस कार्यक्रम के आयोजक रहे केसी मालू ने ईटीवी भारत से खास बातचीत में बताया कि लता मंगेशकर इस प्रोग्राम को लेकर इतनी संजीदा थीं कि खुद जयपुर के लोगों की फरमाइश जानी थी. तब 100 लोगों से 10-10 गीतों की लिस्ट मंगाई गई. उनमें से जो 20 गीत कॉमन थे, वो लिस्ट लता मंगेशकर को भेजी गई थी जिस पर उन्होंने मुंबई में ही 4 बार रिहर्सल किया था. जयपुर में फाइनल रिहर्सल आंखों पर पट्टी बांधकर किया. अमूमन वो प्रोग्राम में 20 से ज्यादा गीत नहीं गाती थीं, लेकिन जयपुर में उन्होंने 26 गीत गाए और 4 गीत तो लगातार गाए.

पढ़ें. Lata Mangeshkar Demise : अजमेर से 32 वर्ष पुराना रिश्ता, बहन उषा और भाई ह्र्दयनाथ के साथ आई थी दरगाह

सुजानगढ़ से थे गुरु खेमचंद
लता मंगेशकर का राजस्थान के साथ जुड़ाव का बड़ा कारण था, उनके गुरु खेमचंद प्रकाश का सुजानगढ़ से होना. उन्होंने ही फिल्म महल में 'आएगा आने वाला' सॉन्ग के जरिए लता मंगेशकर को ब्रेक दिया था. केसी मालू ने बताया कि 4 दिन जब वो जयपुर में रही उस दौरान उनसे महज राजस्थानी भाषा में ही बात की. जाते समय काफी भावुक भी हुई और स्पेशल ऑर्डर कर दाल बाटी खाकर गई. जयपुर की ऑडियंस को वर्ल्ड क्लास भी बताया था.

Lata Mangeshkar had relationship with Rajasthan
जयपुर में उपवास के बाद भी गाती रहीं लता मंगेशकर

'थाने काजलियां बना लूं' पर खूब बजीं तालियां
लता मंगेशकर ने एकमात्र राजस्थानी गीत गाया, जो आज भी लोगों की जुबां पर रहता है. 1960 में बनी हिंदी फिल्म वीर दुर्गादास में उन्होंने राजस्थानी भाषा में 'थाने काजलियां बना लूं' गीत गाया था. इस रोमांटिक गीत को राजस्थान के भरत व्यास ने लिखा था. इस गाने की कॉपी उपलब्ध नहीं थी. इसकी लोकप्रियता और इंपोर्टेंस को देखते हुए 2001 में इस गीत को दोबारा रिकॉर्ड किया गया. हालांकि तब इस गीत में लता मंगेशकर की आवाज नहीं मिली. उन्होंने कहा कि लता मंगेशकर ने उन्हें 8 राजस्थानी गीत गाने की हां भरी थी, लेकिन वो गीत गवां नहीं पाए जो कि उनका दुर्भाग्य था.

पढ़ें. Lata Mangeshkar : फोन पर मुझसे कहती थी - लता, लता मंगेशकर नाम है मेरा- प्रेम चोपड़ा

कुछ मीडिया रिपोर्ट की मानें तो जिंदगी में एक बार लता मंगेशकर को भी प्यार हुआ था. उसी प्यार के सहारे उन्होंने अपनी पूरी जिंदगी काट दी थी. वह व्यक्ति भी राजस्थान से ही जुड़े थे. दिवंगत क्रिकेटर और बीसीसीआई के पूर्व अध्यक्ष राज सिंह जो डूंगरपुर के महाराज भी थे और शाही घराने से ताल्लुक रखते थे. राज सिंह और लता मंगेशकर की दोस्ती लता मंगेशकर के भाई की वजह से हुई थी.

लता भी क्रिकेट में दिलचस्पी रखती थीं और राज सिंह उनके गानों के कायल थे. कहा तो ये भी जाता है कि राज सिंह अपने साथ लता के गानों का एक कैसेट जेब में लेकर चलते थे. हालांकि राज सिंह ने अपने पिता से लता संग शादी करने की इच्छा जताई, लेकिन उन्होेंने मना कर दिया था. इस संबंध में केसी मालू ने बताया कि राज सिंह के साथ उनका स्नेह पूर्ण संबंध था, क्योंकि वह क्रिकेट प्रेमी थीं. राज सिंह को भी इसी तरह अप्रिशिएट करती थीं, जिस तरह सचिन तेंदुलकर को करती थीं. क्रिकेट प्रेमी होने की वजह से हो सकता है, उनका राज सिंह से स्नेह अधिक रहा हो.

जयपुर. स्वर साम्राज्ञी, संगीत की देवी और करीब छह दशक तक अविरल हिंदुस्तान की आवाज रहीं लता मंगेशकर रविवार को इस दुनिया को अलविदा कह गईं. भारत रत्न लता मंगेशकर ने 30 से ज्यादा भाषाओं में फिल्मी और गैर फिल्मी गानों में अपनी आवाज का जादू बिखेरा. करीब 34 साल पहले गुलाबी नगरी भी लता मंगेशकर के नगमों से झूम उठा था जिसमें 40 हजार दर्शक एसएमएस स्टेडियम में इकट्ठा हुए थे.

जयपुर में लता मंगेशकर (Lata Mangeshkar had relationship with Rajasthan)का वह पहला और आखरी कार्यक्रम था. उस एक कार्यक्रम में उन्होंने न सिर्फ अपनी आवाज से लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया था बल्कि अकाल के दौर से जूझ रहे प्रदेश को स्वर कोकिला लता मंगेशकर ने तत्कालीन मुख्यमंत्री हरिदेव जोशी को एक करोड़ 1 लाख रुपए का चेक भी भेंट किया था.

राजस्थान से था गहरा नाता

लता मंगेशकर वह व्यक्तित्व है जिसने अपनी आवाज से दुनियाभर के लोगों को अपना कायल बना रखा था. जिनके गीत गुनगुनाते हुए तीन पीढ़ी जवां हो गईं. लता मंगेशकर आज अपने तरानों के साथ इस दुनिया को छोड़कर चली गईं. उनका निधन न सिर्फ फिल्म जगत, म्यूजिक इंडस्ट्री, बल्कि देश के लिए भी अपूरणीय क्षति है.

पढ़ें. सुर साम्राज्ञी लता मंगेशकर का डूंगरपुर से भी रहा गहरा नाता! जानते हैं कैसे?

उपवास होने पर भी तीन घंटे तक गाती रहीं लता दीदी
लता मंगेशकर का जयपुर से भी नाता रहा है. 34 साल पहले जयपुर की वो शाम उस दौर का शायद ही कोई शहरवासी भूला होगा. जब जयपुर में 3 घंटे तक लता मंगेशकर के गीत लोगों को मुग्ध करते रहे. उपवास होने के बावजूद भी 26 नवंबर 1987 को जयपुर के एसएमएस स्टेडियम में 40,000 से ज्यादा दर्शकों के बीच लता मंगेशकर (Lata Mangeshkar performed in Jaipur before 34 years) ने 26 गीत गाए और वहां मौजूद हर एक व्यक्ति उनकी आवाज के जादू में खो गया.

Lata Mangeshkar had relationship with Rajasthan
जयपुर आने पर किया था जोरदार स्वागत

उस कार्यक्रम के आयोजक रहे केसी मालू ने ईटीवी भारत से खास बातचीत में बताया कि लता मंगेशकर इस प्रोग्राम को लेकर इतनी संजीदा थीं कि खुद जयपुर के लोगों की फरमाइश जानी थी. तब 100 लोगों से 10-10 गीतों की लिस्ट मंगाई गई. उनमें से जो 20 गीत कॉमन थे, वो लिस्ट लता मंगेशकर को भेजी गई थी जिस पर उन्होंने मुंबई में ही 4 बार रिहर्सल किया था. जयपुर में फाइनल रिहर्सल आंखों पर पट्टी बांधकर किया. अमूमन वो प्रोग्राम में 20 से ज्यादा गीत नहीं गाती थीं, लेकिन जयपुर में उन्होंने 26 गीत गाए और 4 गीत तो लगातार गाए.

पढ़ें. Lata Mangeshkar Demise : अजमेर से 32 वर्ष पुराना रिश्ता, बहन उषा और भाई ह्र्दयनाथ के साथ आई थी दरगाह

सुजानगढ़ से थे गुरु खेमचंद
लता मंगेशकर का राजस्थान के साथ जुड़ाव का बड़ा कारण था, उनके गुरु खेमचंद प्रकाश का सुजानगढ़ से होना. उन्होंने ही फिल्म महल में 'आएगा आने वाला' सॉन्ग के जरिए लता मंगेशकर को ब्रेक दिया था. केसी मालू ने बताया कि 4 दिन जब वो जयपुर में रही उस दौरान उनसे महज राजस्थानी भाषा में ही बात की. जाते समय काफी भावुक भी हुई और स्पेशल ऑर्डर कर दाल बाटी खाकर गई. जयपुर की ऑडियंस को वर्ल्ड क्लास भी बताया था.

Lata Mangeshkar had relationship with Rajasthan
जयपुर में उपवास के बाद भी गाती रहीं लता मंगेशकर

'थाने काजलियां बना लूं' पर खूब बजीं तालियां
लता मंगेशकर ने एकमात्र राजस्थानी गीत गाया, जो आज भी लोगों की जुबां पर रहता है. 1960 में बनी हिंदी फिल्म वीर दुर्गादास में उन्होंने राजस्थानी भाषा में 'थाने काजलियां बना लूं' गीत गाया था. इस रोमांटिक गीत को राजस्थान के भरत व्यास ने लिखा था. इस गाने की कॉपी उपलब्ध नहीं थी. इसकी लोकप्रियता और इंपोर्टेंस को देखते हुए 2001 में इस गीत को दोबारा रिकॉर्ड किया गया. हालांकि तब इस गीत में लता मंगेशकर की आवाज नहीं मिली. उन्होंने कहा कि लता मंगेशकर ने उन्हें 8 राजस्थानी गीत गाने की हां भरी थी, लेकिन वो गीत गवां नहीं पाए जो कि उनका दुर्भाग्य था.

पढ़ें. Lata Mangeshkar : फोन पर मुझसे कहती थी - लता, लता मंगेशकर नाम है मेरा- प्रेम चोपड़ा

कुछ मीडिया रिपोर्ट की मानें तो जिंदगी में एक बार लता मंगेशकर को भी प्यार हुआ था. उसी प्यार के सहारे उन्होंने अपनी पूरी जिंदगी काट दी थी. वह व्यक्ति भी राजस्थान से ही जुड़े थे. दिवंगत क्रिकेटर और बीसीसीआई के पूर्व अध्यक्ष राज सिंह जो डूंगरपुर के महाराज भी थे और शाही घराने से ताल्लुक रखते थे. राज सिंह और लता मंगेशकर की दोस्ती लता मंगेशकर के भाई की वजह से हुई थी.

लता भी क्रिकेट में दिलचस्पी रखती थीं और राज सिंह उनके गानों के कायल थे. कहा तो ये भी जाता है कि राज सिंह अपने साथ लता के गानों का एक कैसेट जेब में लेकर चलते थे. हालांकि राज सिंह ने अपने पिता से लता संग शादी करने की इच्छा जताई, लेकिन उन्होेंने मना कर दिया था. इस संबंध में केसी मालू ने बताया कि राज सिंह के साथ उनका स्नेह पूर्ण संबंध था, क्योंकि वह क्रिकेट प्रेमी थीं. राज सिंह को भी इसी तरह अप्रिशिएट करती थीं, जिस तरह सचिन तेंदुलकर को करती थीं. क्रिकेट प्रेमी होने की वजह से हो सकता है, उनका राज सिंह से स्नेह अधिक रहा हो.

Last Updated : Feb 6, 2022, 11:07 PM IST
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