जयपुर. राजस्थान में बजरी खनन पर रोक लगी हुई थी. गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान में बजरी खनन को हरी झंडी दे दी है. सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान में बजरी खनन की इजाजत दे दी है. सुप्रीम कोर्ट ने सेंट्रल एम्पावर्ड कमेटी के सभी रिकमेंडेशन को मान लिया है.
राजस्थान में बजरी खनन को लेकर सुप्रीम कोर्ट से गुरुवार को एक बड़ी खबर मिली. राजस्थान में बजरी खनन को लेकर जारी रोक को सुप्रीम कोर्ट ने हटा दिया. फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने इस सिलसिले में बनी सेंट्रल एंपावर्ड कमेटी की सिफारिशों को सही माना और वैध खनन के लिए मंजूरी दे दी.
SC ने 2017 में लगाई थी रोक
बता दें, सुप्रीम कोर्ट ने 16 नवंबर 2017 को राजस्थान में बजरी खनन पर रोक लगाई थी. इसके बाद राज्य सरकार ने 31 मार्च 2018 को बजरी खनन के सभी एलओआई निर्धारित 5 साल की अवधि पूरी होने पर खत्म कर दिए, लेकिन एलओआई धारकों ने यह कहते हुए आपत्ति कर दी कि जब खनन को लेकर लीज एग्रीमेंट ही नहीं हुआ तो अवधि कैसे खत्म हो सकती है.
एलओआई खत्म करने पर सुप्रीम कोर्ट ने भी स्टे दिया था. सुनवाई के दौरान ही सुप्रीम कोर्ट ने19 फरवरी 2020 को सेंट्रल एम्पावर्ड कमेटी को 6 सप्ताह में अध्ययन कर सुझाव देने के निर्देश दिए लेकिन कोरोना की वजह से कमेटी रिपोर्ट नहीं दे सकी. कोर्ट ने कमेटी को 30 सितंबर 2020 तक यह रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए थे, लेकिन कोविड के चलते कमेटी ने अपनी सिफारिशों को हाल ही में कोर्ट को सौंपा था.
सुप्रीम कोर्ट में दीपावली से पहले इस मामले की सुनवाई पूरी हो चुकी थी. प्रदेश में 82 बड़ी लीज नवंबर 2017 से बंद पड़ी थी. इस पर बजरी वेलफेयर ऑपरेटर सोसाइटी के नवीन शर्मा ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल की थी, इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने एंपावर्ड कमेटी का गठन किया था. कमेटी की सिफारिशों में वैध बजरी खनन को लेकर कोर्ट ने सकारात्मक रुख दिखाया था.
वैध खनन पर रोक से अवैध खनन बढेगा
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वैध माइनिंग पर पूरी तरह से रोक लगाना अवैध माइनिंग को बढावा देगा, लेकिन बजरी खनन के मुद्दे से निपटते समय पर्यावरण के सुरक्षा मानकों को सुनिश्चित करने के लिए टिकाऊ विकास के संतुलित तरीकों को लागू करना भी जरूरी है. बजरी खनन पर पूरी तरह से रोक लगाने से सरकार को राजस्व की हानि होती है और अवैध गतिविधियां भी बढती हैं. ऐसे में यह भी अनदेखी नहीं की जा सकती कि जब वैध खनन पर रोक होती है तो अवैध खनन कुकुरमुत्ते की तरह बढता है. वहीं बजरी माफिया भी अवैध खनन के लिए संगठित आपराधिक गतिविधियों को अंजाम देता है और स्थानीय निवासियों सहित अफसरों व सामाजिक कार्यकर्ताओं को भी नुकसान पहुंचाता है.
अवैध बजरी खनन में लिप्त वाहनों पर पैनल्टी का मुद्दा सीईसी को वापस भेजा
अदालत ने अवैध बजरी खनन में लिप्त पाए गए वाहनों पर दस लाख रुपए पैनल्टी व भार के अनुपात में और पैनल्टी लगाए जाने की सीईसी की सिफारिशों के मुद्दे को वापस सीईसी को भेजते हुए इस पर आठ सप्ताह में अपनी रिपोर्ट देने के लिए कहा है. कोर्ट ने सीईसी की सिफारिशों को मानते हुए नदी एरिया के दोनों ओर पांच किलोमीटर के दायरे में खातेदारी जमीन पर बजरी खनन की लीज को भी रद्द कर दिया. गौरतलब है कि बहस के दौरान सीईसी ने कहा था कि खातेदारी खनन की आड़ में अवैध बजरी खनन को बढावा मिल रहा है. ऐसे में वास्तविक लीजधारकों के जरिए ही खनन करवाया जाए.