जयपुर. प्रदेश में बढ़ रहे कोरोना के संक्रमण से हर कोई परेशान है. लेकिन इस महामारी पर चिकित्सा विभाग की लचर कार्यशैली और भारी पड़ रही है. महामारी के इस दौर में अब कोरोना मरीजों से जुड़े सरकारी आंकड़ों पर भी विश्वास करना मुश्किल हो गया है, क्योंकि राजधानी जयपुर में ही एक ऐसी घटना सामने आई है, जिसमें कोरोना की जांच कराए बिना ही सरकारी रिकॉर्ड में एक भाजपा नेता को कोरोना पॉजिटिव बना दिया गया. यह वाकया राज्य महिला आयोग की पूर्व अध्यक्ष और वरिष्ठ भाजपा नेता सुमन शर्मा के साथ हुआ है. सरकारी रिकॉर्ड में सुमन शर्मा कोरोना पॉजिटिव हैं, लेकिन हकीकत में वो इस महामारी से कोसों दूर हैं.
दरअसल, 9 सितंबर को सुमन शर्मा और उनके परिवार जनों ने मालवीय नगर के डिस्पेंसरी में कोरोना टेस्ट कराने के लिए खुद का पंजीकरण कराया, लेकिन 10 सितंबर को सुमन शर्मा को छोड़ परिवार के अन्य सदस्यों ने अपनी कोरोना जांच के लिए सैंपल दिए. लेकिन आश्चर्य तब हुआ जब 12 सितंबर को सरकारी रिकॉर्ड से निकली कोरोना टेस्ट कराने वालों की रिपोर्ट में सुमन शर्मा को भी पॉजिटिव बना डाला. हालांकि जब रिपोर्ट आई, तब सुमन शर्मा जयपुर शहर से बाहर थी. लेकिन इस बीच उनके निवास पर संबंधित पुलिस थाने से भी पुलिसकर्मियों ने दस्तक दी और स्वास्थ्य विभाग से भी कर्मचारी आ पहुंचे. सुमन शर्मा इस बात को लेकर हैरान थी कि जब उन्होंने कोरोना टेस्ट के लिए अपने सैंपल दिए ही नहीं, तो उसकी रिपोर्ट किस आधार पर जारी की गई.
उपवास के चलते नहीं दिए थे सैंपल
सुमन शर्मा का उस दिन व्रत था. जिसके चलते वो परिवार के अन्य सदस्यों के साथ अपनी जांच के लिए सैंपल देने मालवीय नगर के सेक्टर 6 स्थित सरकारी डिस्पेंसरी नहीं गई. इस दिन उनके नाम का पंजीकरण था, लेकिन वो नहीं आई, तो डिस्पेंसरी में रखी पुस्तिका में भी उनके नाम के आगे अनुपस्थिती दर्ज कर दी गई. लेकिन अचंभित करने वाली बात यह है कि जब सुमन शर्मा जांच का सैंपल देने गई नहीं और पुस्तक में भी अनुपस्थित थी तो फिर परिवार के अन्य सदस्यों की जांच रिपोर्ट में उन्हें पॉजिटिव कैसे बता दिया गया? फिर जब शर्मा को जब इसकी जानकारी मिली, तो उन्होंने फोन के जरिए ही चिकित्सा विभाग के संबंधित अधिकारियों और चिकित्सकों को इस बात की जानकारी दी और अपनी नाराजगी भी जताई.
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विभाग ही बीमार तो कैसे होगा कोरोना का उपचार?
सुमन शर्मा के साथ जो घटना हुई उसके बाद सुमन शर्मा का कहना है कि कोरोना संक्रमण की रोकथाम को लेकर मुख्यमंत्री, चिकित्सा मंत्री और विभाग सजग नहीं है. सुमन शर्मा के अनुसार इस महामारी से जंग लड़ कर जीतने की जिम्मेदारी जिस चिकित्सा विभाग की गई वह खुद ही बीमार पड़ा है. ऐसे में जब विभाग की कार्यशैली ही लचर है, तो इस महामारी से जंग कैसे जीती जाएगी?
सुमन के देवर की जांच रिपोर्ट भी निजी लेब की रिपोर्ट से अलग
सुमन शर्मा के देवर चंदन शर्मा चिकित्सा विभाग की इसी लचर कार्यशैली का शिकार हैं. सरकारी डिस्पेंसरी में हुई उनकी जांच की रिपोर्ट में वो कोरोना पॉजिटिव पाए गए थे, लेकिन इसके बाद उन्होंने निजी लैब में तत्काल अपनी जांच कराया, तो वह जांच रिपोर्ट नेगेटिव आई थी.