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वन शहीद दिवस पर शहीद वन कर्मियों को दी गई श्रद्धांजलि, वन मंत्री सुखराम बिश्नोई बोले- वन विभाग में जल्द होंगी भर्तियां

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Published : Sep 11, 2021, 5:53 PM IST

वनों की सुरक्षा में अपने प्राणों को न्योछावर करने वाले वनकर्मियों की याद में शनिवार को वन शहीद दिवस मनाया गया. इस दौरान वन मंत्री शहीद कर्मियों के परिजनों को सम्मानित किया..

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शहीद वन कर्मियों को श्रद्धांजलि

जयपुर. वन और वन्यजीवों की सुरक्षा करते हुए वन विभाग के कई कर्मचारी और अधिकारी शहीद हो गए. वन विभाग के कर्मचारियों और अधिकारियों के बलिदान को सम्मान देने के लिए 11 सितंबर को वन शहीद दिवस मनाया जाता है. वन शहीद दिवस के अवसर पर जल महल के सामने स्थित शहीद स्मारक पर श्रद्धांजलि कार्यक्रम आयोजित किया गया. इस दौरान वन एवं पर्यावरण मंत्री सुखराम विश्नोई, प्रधान मुख्य वन संरक्षक (हॉफ) डीएन पांडे समेत अन्य अधिकारियों ने श्रद्धा सुमन अर्पित किया.

इस अवसर पर शहीद वन कर्मियों के परिजनों को वन मंत्री और विभाग के अधिकारियों ने सम्मानित किया. शहीदों के लिए 2 मिनट का मौन रखा गया. जंगल घटते जा रहे हैं और आबादी बढ़ती जा रही है। ऐसे में वन और वन्यजीवों की सुरक्षा बड़ी चुनौती बना हुआ है। इस दौरान वन मंत्री ने कहा कि अगर जंगल और जंगली जीव सुरक्षित नहीं रहे तो आने वाले समय में वन्यजीव केवल म्यूजियम में ही देखने को मिलेंगे. राजस्थान में वन अपराधों में कमी आई है. वन विभाग के अधिकारी लगातार जंगलों की सुरक्षा में लगे हुए हैं. शिकार की घटनाएं भी अब कम हुई है.

पढ़ें: कब्रिस्तान में पैंथर: वन विभाग ने वन्य जीव संरक्षण का हवाला दे किया इनकार, कलेक्टर ने दिए पैंथर को पकड़ने के आदेश

लोगों में वनों के प्रति बढ़ा मोह

वन मंत्री सुखराम विश्नोई ने बताया कि वनों की सुरक्षा में शहीद हुए कर्मचारियों के परिजनों को प्रावधानों के अनुसार नौकरी दी गई है. उन्होंने कहा कि राजस्थान में वन सुरक्षित है. कोरोना काल के दौरान लोगों में वनों के प्रति मोह बढ़ गया है. लोग पौधरोपण के लिए आगे आ रहे हैं. कोरोना संकट के दौर में ऑक्सीजन की कमी को देखते हुए लोगों को महसूस हुआ है कि पेड़ ऑक्सीजन देते हैं और इनकी कितनी महत्वता है. मुख्यमंत्री ने औषधीय पौधों का महत्व समझते हुए घर-घर औषधि योजना की शुरुआत की है.

इम्यूनिटी पावर बढ़ाने के लिए औषधि पौधों का काफी महत्व है. लोगों में वनो और औषधीय पौधों के प्रति भावनाएं बढ़ी हैं. वन विभाग में चल रही स्टाफ की कमी की बात पर मंत्री ने कहा कि भर्ती प्रक्रिया चल रही है. कोरोना की वजह से कई भर्तियां रुकी हुई है. जल्द ही वन विभाग की भर्ती प्रक्रिया पूरी होगी.

पढ़ें: भीलवाड़ा: लाखों पेड़ों और वन्यजीवों को बचाने के लिए मोदी को लिखेंगे 1 लाख पत्र

वन मंत्री ने की झालाना और नाहरगढ़ जंगल की तारीफ

वन मंत्री ने झालाना लेपर्ड रिजर्व और नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क की तारीफ की. उन्होंने कहा कि झालाना में ग्रास लैंड और पौधे विकसित किए गए हैं, जो कि काफी सुंदर हैं. साथ ही जीव जंतुओं के लिए भी काफी उपयोगी साबित हो रहा है.

राजस्थान में चीता लाने का होगा प्रयास

वन मंत्री ने कहा कि राजस्थान में चीता लाने का प्रयास किया जाएगा. मुकुंदरा में चीते के लिए उपयुक्त जगह देखी गई है. जिसके लिए प्रयास किया जा रहा है. राजस्थान में चीता लाने के मसले पर लोकसभा स्पीकर ओम बिरला से भी चर्चा की गई है. केंद्र और राज्य सरकार के सहयोग से प्रदेश में चीता लाने का प्रयास किया जाएगा.

पढ़ें: राजस्थान: वन सेवा के 16 अधिकारियों का तबादला, 74 कर्मचारियों का प्रमोशन

कैंपा योजना के तहत कर्मचारियों को दी गई बेहतर सुविधाएं

प्रधान मुख्य वन संरक्षक (हॉफ) डीएन पांडे ने बताया कि राजस्थान वन विभाग में बहुत सारे परिवर्तन हुए हैं और कई परिवर्तन भविष्य में होने हैं. वन कर्मियों की कठोर श्रम और बलिदान का ही परिणाम है कि 1995 के बाद राजस्थान में वनों का नेट लॉस नहीं हुआ. विभाग में स्टाफ की पूर्ति करने के लिए भर्ती प्रक्रिया जारी है. कैंपा योजना के माध्यम से वन कर्मियों के रहने की व्यवस्थाएं बेहतर की गई है. संसाधनों में भी बेहतर सुविधाएं दी गई हैं. जो वनों की रक्षा करता है, उसे अपनी रक्षा के लिए नहीं भागना पड़े, यही वन विभाग का प्राथमिक उद्देश्य है.

जयपुर. वन और वन्यजीवों की सुरक्षा करते हुए वन विभाग के कई कर्मचारी और अधिकारी शहीद हो गए. वन विभाग के कर्मचारियों और अधिकारियों के बलिदान को सम्मान देने के लिए 11 सितंबर को वन शहीद दिवस मनाया जाता है. वन शहीद दिवस के अवसर पर जल महल के सामने स्थित शहीद स्मारक पर श्रद्धांजलि कार्यक्रम आयोजित किया गया. इस दौरान वन एवं पर्यावरण मंत्री सुखराम विश्नोई, प्रधान मुख्य वन संरक्षक (हॉफ) डीएन पांडे समेत अन्य अधिकारियों ने श्रद्धा सुमन अर्पित किया.

इस अवसर पर शहीद वन कर्मियों के परिजनों को वन मंत्री और विभाग के अधिकारियों ने सम्मानित किया. शहीदों के लिए 2 मिनट का मौन रखा गया. जंगल घटते जा रहे हैं और आबादी बढ़ती जा रही है। ऐसे में वन और वन्यजीवों की सुरक्षा बड़ी चुनौती बना हुआ है। इस दौरान वन मंत्री ने कहा कि अगर जंगल और जंगली जीव सुरक्षित नहीं रहे तो आने वाले समय में वन्यजीव केवल म्यूजियम में ही देखने को मिलेंगे. राजस्थान में वन अपराधों में कमी आई है. वन विभाग के अधिकारी लगातार जंगलों की सुरक्षा में लगे हुए हैं. शिकार की घटनाएं भी अब कम हुई है.

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लोगों में वनों के प्रति बढ़ा मोह

वन मंत्री सुखराम विश्नोई ने बताया कि वनों की सुरक्षा में शहीद हुए कर्मचारियों के परिजनों को प्रावधानों के अनुसार नौकरी दी गई है. उन्होंने कहा कि राजस्थान में वन सुरक्षित है. कोरोना काल के दौरान लोगों में वनों के प्रति मोह बढ़ गया है. लोग पौधरोपण के लिए आगे आ रहे हैं. कोरोना संकट के दौर में ऑक्सीजन की कमी को देखते हुए लोगों को महसूस हुआ है कि पेड़ ऑक्सीजन देते हैं और इनकी कितनी महत्वता है. मुख्यमंत्री ने औषधीय पौधों का महत्व समझते हुए घर-घर औषधि योजना की शुरुआत की है.

इम्यूनिटी पावर बढ़ाने के लिए औषधि पौधों का काफी महत्व है. लोगों में वनो और औषधीय पौधों के प्रति भावनाएं बढ़ी हैं. वन विभाग में चल रही स्टाफ की कमी की बात पर मंत्री ने कहा कि भर्ती प्रक्रिया चल रही है. कोरोना की वजह से कई भर्तियां रुकी हुई है. जल्द ही वन विभाग की भर्ती प्रक्रिया पूरी होगी.

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वन मंत्री ने की झालाना और नाहरगढ़ जंगल की तारीफ

वन मंत्री ने झालाना लेपर्ड रिजर्व और नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क की तारीफ की. उन्होंने कहा कि झालाना में ग्रास लैंड और पौधे विकसित किए गए हैं, जो कि काफी सुंदर हैं. साथ ही जीव जंतुओं के लिए भी काफी उपयोगी साबित हो रहा है.

राजस्थान में चीता लाने का होगा प्रयास

वन मंत्री ने कहा कि राजस्थान में चीता लाने का प्रयास किया जाएगा. मुकुंदरा में चीते के लिए उपयुक्त जगह देखी गई है. जिसके लिए प्रयास किया जा रहा है. राजस्थान में चीता लाने के मसले पर लोकसभा स्पीकर ओम बिरला से भी चर्चा की गई है. केंद्र और राज्य सरकार के सहयोग से प्रदेश में चीता लाने का प्रयास किया जाएगा.

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कैंपा योजना के तहत कर्मचारियों को दी गई बेहतर सुविधाएं

प्रधान मुख्य वन संरक्षक (हॉफ) डीएन पांडे ने बताया कि राजस्थान वन विभाग में बहुत सारे परिवर्तन हुए हैं और कई परिवर्तन भविष्य में होने हैं. वन कर्मियों की कठोर श्रम और बलिदान का ही परिणाम है कि 1995 के बाद राजस्थान में वनों का नेट लॉस नहीं हुआ. विभाग में स्टाफ की पूर्ति करने के लिए भर्ती प्रक्रिया जारी है. कैंपा योजना के माध्यम से वन कर्मियों के रहने की व्यवस्थाएं बेहतर की गई है. संसाधनों में भी बेहतर सुविधाएं दी गई हैं. जो वनों की रक्षा करता है, उसे अपनी रक्षा के लिए नहीं भागना पड़े, यही वन विभाग का प्राथमिक उद्देश्य है.

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