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Exclusive : 'संजीवनी' बनी सुझाव पेटी, 45 दिन में 9 हजार पुलिस जवानों के समस्याओं का निस्तारण

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Published : Sep 1, 2020, 4:20 PM IST

जयपुर पुलिस लाइन में कांस्टेबल और आला अधिकारियों के बीच में संवाद स्थापित करने के लिए संपर्क सभा की व्यवस्था शुरू की गई है. इसके माध्यम से कांस्टेबल जो समस्या आला अधिकारियों से कहने में हिचकिचाते हैं, उस बात को वह इस सभा में कह सकते हैं. साथ ही एक सुझाव पेटी की भी व्यवस्था की गई है, जिसमें कांस्टेबल अपनी समस्या और सुझाव को अपनी पहचान गोपनीय रख के डाल सकते हैं. इस बारे में एडिशनल डीसीपी आलोक सिंघल ने ईटीवी भारत से खास बातचीत की. जानिये और समझिये...

जयपुर पुलिस स्टेशन की सुझाव पेटी, Suggestion box of Jaipur Police Station
एडिशनल डीसीपी आलोक सिंघल ने ईटीवी भारत से की खास बातचीत

जयपुर. पुलिस कांस्टेबल प्रशासन तंत्र की सबसे मजबूत कड़ी माने जाते हैं. यही कारण है कि पुलिस कांस्टेबल को पुलिस तंत्र की रीढ़ की हड्डी कहा जाता है. पुलिस कांस्टेबल को अपनी समस्याएं और सुझाव आला अधिकारी तक पहुंचाने में या उनसे कहने में कभी-कभी एक हिचकिचाहट महसूस होती है. ऐसे में आला अधिकारी और कांस्टेबल के बीच सीधा संवाद होना बहुत जरूरी है. जिसे लेकर पुलिस मुख्यालय से डीजीपी भूपेंद्र सिंह यादव की ओर से सभी रेंज आईजी और जिला एसपी को कांस्टेबल से वन-टू-वन संवाद करने और उनकी समस्याओं को जानकर उनका निदान करने के निर्देश दिए गए.

पुलिस जवानों के लिए 'संजीवनी' बनी सुझाव पेटी

डीजीपी के निर्देशों की पालना करते हुए जयपुर पुलिस कमिश्नरेट की तरफ से जवानों की समस्याओं को जानने और उन्हें हल करने की अनूठी पहल शुरू करते हुए जयपुर पुलिस लाइन में कांस्टेबल के लिए संपर्क सभा की व्यवस्था शुरू की गई. इसके साथ ही पुलिस लाइन में ही कैंटीन के पास एक लाल रंग की सुझाव पेटी भी लगवाई गई.

एडिशनल डीसीपी आलोक सिंघल ने ईटीवी भारत से खास बातचीत के दौरान बताया कि जयपुर पुलिस कमिश्नरेट के चारों जिलों और पुलिस लाइन में तैनात कांस्टेबल से पिछले डेढ़ माह से संपर्क सभा के दौरान सीधा संवाद किया जा रहा है. इस दौरान जवानों की समस्याओं को जाना जा रहा है और उन तमाम समस्याओं का त्वरित निदान भी किया जा रहा है.

पढ़ेंः SPECIAL: यादों को यादगार बनाने वाले फोटोग्राफर्स पर आफत बनकर टूटा कोरोना

वहीं, अनेक समस्याएं या सुझाव ऐसे होते हैं जिसे अधिकारियों से सीधे कहने से कांस्टेबल हिचकिचाते हैं और कह नहीं पाते हैं. इसके लिए भी एक रास्ता निकाला गया है और जब पुलिस लाइन में कैंटीन एरिया में एक लाल रंग की सुझाव पेटी लगाई गई है. जिसमें कोई भी कांस्टेबल अपनी पहचान गोपनीय रखते हुए समस्या या सुझाव कागज पर लिखकर डाल सकता है.

जयपुर पुलिस स्टेशन की सुझाव पेटी, Suggestion box of Jaipur Police Station
पुलिस लाइन में लगी सुझाव पेटी

प्रतिदिन किया जाता है समस्याओं का निस्तारण...

एडिशनल डीसीपी सिंघल ने बताया कि पुलिस लाइन में लगाई गई सुझाव पेटी में आई हुई समस्याओं का प्रतिदिन निस्तारण किया जाता है. जयपुर पुलिस कमिश्नरेट के डीसीपी हेडक्वार्टर कार्यालय से प्रतिदिन एक कर्मचारी पुलिस लाइन में आकर सुझाव पेटी का ताला खोलकर सुझाव पेटी में आई हुई तमाम पर्चियों को अपने साथ ले जाता है और डीसीपी हेडक्वार्टर को सौंप देता है. जहां एक-एक पर्ची को खोलकर उस में लिखी गई समस्याओं को पढ़ा जाता है और उनका जिस स्तर पर निस्तारण हो सकता है वह किया जाता है. इसके साथ ही कांस्टेबल की ओर से दिए गए सुझावों पर भी काम किया जाता है.

छुट्टी और साप्ताहिक रेस्ट को लेकर जवान परेशान...

सुझाव पेटी में आने वाली अधिकांश समस्याएं जवानों की छुट्टी और साप्ताहिक रेस्ट को लेकर होती है. ऐसे में डीसीपी हेडक्वार्टर कार्यालय की ओर से यह सुनिश्चित किया जाता है कि जयपुर कमिश्नरेट के किस जिले में और कौन से थाने में तैनात जवानों को लंबे समय से छुट्टी और साप्ताहिक रेस्ट नहीं मिला है. उसके बाद उन जवानों को चिन्हित कर उन्हें अवकाश दिया जाता है और साथ ही साप्ताहिक रेस्ट भी दिया जाता है.

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इसके साथ ही सुझाव पेटी में जवानों द्वारा वर्दी को लेकर, बैरक को लेकर और बरसात के समय में टॉयलेट की समस्याओ को लेकर भी सुझाव पेटी में पर्चियां डाली जाती हैं. जिनका त्वरित निदान किया जाता है और जवानों द्वारा जो सुझाव डाले जाते हैं उनके लिए एक प्रपोजल तैयार कर बजट पास करवाया जाता है और फिर सुझाव के अनुसार काम करवाया जाता है.

पुलिस लाइन में लगावाई जा रही लिक्विड प्रोफाइल टेस्ट मशीन...

एडिशनल डीसीपी सिंघल ने बताया कि सुझाव पेटी में अनेक जवानों द्वारा स्वास्थ्य को लेकर सुझाव डाले गए. जयपुर पुलिस लाइन में 24 घंटे एक अस्पताल का संचालन किया जाता है. जिसमें होम्योपैथी और एलोपैथी दोनों तरह की चिकित्सा सेवाएं जवानों को मुहैया करवाई जाती हैं. हालांकि किसी भी तरह की जांच के लिए जवानों को एसएमएस या कांवटिया अस्पताल जाना पड़ता है.

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कोरोना काल में जवानों ने स्वास्थ्य का ध्यान रखते हुए जयपुर पुलिस लाइन में लिक्विड प्रोफाइल टेस्ट मशीन लगाए जाने का सुझाव संपर्क सभा और सुझाव पेटी के माध्यम से दिया गया. जिस पर त्वरित कार्रवाई करते हुए जयपुर पुलिस लाइन में टेस्टिंग लैबोरेट्री का निर्माण किया गया और लिक्विड प्रोफाइल टेस्ट मशीन लगवाने के लिए एक प्रपोजल बनाकर भेजा गया है. जल्द ही जयपुर पुलिस लाइन में लिक्विड प्रोफाइल टेस्ट मशीन का संचालन शुरू कर दिया जाएगा. जिसके बाद जवानों की स्वास्थ्य संबंधित तमाम प्राथमिक जांचें पुलिस लाइन में संचालित अस्पताल में ही निशुल्क की जा सकेंगी.

डेढ़ माह में सुनी गई 9,000 की समस्याएं...

एडिशनल डीसीपी सिंघल ने बताया कि जयपुर पुलिस लाइन में पिछले डेढ़ माह से जवानों के लिए संपर्क सभा का आयोजन किया जा रहा है. संपर्क सभा के लिए प्रतिदिन 400 जवानों को बुलाया जाता है और उनसे वन-टू-वन संवाद किया जाता है. वहीं, स्वास्थ्य कारण और अन्य कारणों से जो जवान संपर्क सभा में निर्धारित दिन उपस्थित नहीं हो पाते उनकी समस्याएं सुनने के लिए शुक्रवार और शनिवार का दिन निर्धारित किया जाता है.

पिछले डेढ़ माह में 12 हजार कांस्टेबल को संपर्क सभा में बुलाया गया है. जिसमें से 9000 कांस्टेबल संपर्क सभा में उपस्थित हुए हैं और उनके द्वारा समस्याएं और सुझाव आला अधिकारियों को बताए गए हैं. इस दौरान जवानों की तरफ से टीए बिल से संबंधित, स्वास्थ्य से संबंधित, छुट्टी से संबंधित व अन्य जितनी भी समस्याएं हैं उनका त्वरित निदान किया जाता है. वहीं, संपर्क सभा और सुझाव पेटी के माध्यम से जवान और अधिकारियों के बीच की खाई को पाटने और संवाद की कमी को दूर करने का पूरा प्रयास किया जा रहा है.

जयपुर. पुलिस कांस्टेबल प्रशासन तंत्र की सबसे मजबूत कड़ी माने जाते हैं. यही कारण है कि पुलिस कांस्टेबल को पुलिस तंत्र की रीढ़ की हड्डी कहा जाता है. पुलिस कांस्टेबल को अपनी समस्याएं और सुझाव आला अधिकारी तक पहुंचाने में या उनसे कहने में कभी-कभी एक हिचकिचाहट महसूस होती है. ऐसे में आला अधिकारी और कांस्टेबल के बीच सीधा संवाद होना बहुत जरूरी है. जिसे लेकर पुलिस मुख्यालय से डीजीपी भूपेंद्र सिंह यादव की ओर से सभी रेंज आईजी और जिला एसपी को कांस्टेबल से वन-टू-वन संवाद करने और उनकी समस्याओं को जानकर उनका निदान करने के निर्देश दिए गए.

पुलिस जवानों के लिए 'संजीवनी' बनी सुझाव पेटी

डीजीपी के निर्देशों की पालना करते हुए जयपुर पुलिस कमिश्नरेट की तरफ से जवानों की समस्याओं को जानने और उन्हें हल करने की अनूठी पहल शुरू करते हुए जयपुर पुलिस लाइन में कांस्टेबल के लिए संपर्क सभा की व्यवस्था शुरू की गई. इसके साथ ही पुलिस लाइन में ही कैंटीन के पास एक लाल रंग की सुझाव पेटी भी लगवाई गई.

एडिशनल डीसीपी आलोक सिंघल ने ईटीवी भारत से खास बातचीत के दौरान बताया कि जयपुर पुलिस कमिश्नरेट के चारों जिलों और पुलिस लाइन में तैनात कांस्टेबल से पिछले डेढ़ माह से संपर्क सभा के दौरान सीधा संवाद किया जा रहा है. इस दौरान जवानों की समस्याओं को जाना जा रहा है और उन तमाम समस्याओं का त्वरित निदान भी किया जा रहा है.

पढ़ेंः SPECIAL: यादों को यादगार बनाने वाले फोटोग्राफर्स पर आफत बनकर टूटा कोरोना

वहीं, अनेक समस्याएं या सुझाव ऐसे होते हैं जिसे अधिकारियों से सीधे कहने से कांस्टेबल हिचकिचाते हैं और कह नहीं पाते हैं. इसके लिए भी एक रास्ता निकाला गया है और जब पुलिस लाइन में कैंटीन एरिया में एक लाल रंग की सुझाव पेटी लगाई गई है. जिसमें कोई भी कांस्टेबल अपनी पहचान गोपनीय रखते हुए समस्या या सुझाव कागज पर लिखकर डाल सकता है.

जयपुर पुलिस स्टेशन की सुझाव पेटी, Suggestion box of Jaipur Police Station
पुलिस लाइन में लगी सुझाव पेटी

प्रतिदिन किया जाता है समस्याओं का निस्तारण...

एडिशनल डीसीपी सिंघल ने बताया कि पुलिस लाइन में लगाई गई सुझाव पेटी में आई हुई समस्याओं का प्रतिदिन निस्तारण किया जाता है. जयपुर पुलिस कमिश्नरेट के डीसीपी हेडक्वार्टर कार्यालय से प्रतिदिन एक कर्मचारी पुलिस लाइन में आकर सुझाव पेटी का ताला खोलकर सुझाव पेटी में आई हुई तमाम पर्चियों को अपने साथ ले जाता है और डीसीपी हेडक्वार्टर को सौंप देता है. जहां एक-एक पर्ची को खोलकर उस में लिखी गई समस्याओं को पढ़ा जाता है और उनका जिस स्तर पर निस्तारण हो सकता है वह किया जाता है. इसके साथ ही कांस्टेबल की ओर से दिए गए सुझावों पर भी काम किया जाता है.

छुट्टी और साप्ताहिक रेस्ट को लेकर जवान परेशान...

सुझाव पेटी में आने वाली अधिकांश समस्याएं जवानों की छुट्टी और साप्ताहिक रेस्ट को लेकर होती है. ऐसे में डीसीपी हेडक्वार्टर कार्यालय की ओर से यह सुनिश्चित किया जाता है कि जयपुर कमिश्नरेट के किस जिले में और कौन से थाने में तैनात जवानों को लंबे समय से छुट्टी और साप्ताहिक रेस्ट नहीं मिला है. उसके बाद उन जवानों को चिन्हित कर उन्हें अवकाश दिया जाता है और साथ ही साप्ताहिक रेस्ट भी दिया जाता है.

पढ़ेंः SPECIAL: एक जिद से हरा-भरा हुआ सूखा लापोडिया, पशुपालन से रुका पलायन

इसके साथ ही सुझाव पेटी में जवानों द्वारा वर्दी को लेकर, बैरक को लेकर और बरसात के समय में टॉयलेट की समस्याओ को लेकर भी सुझाव पेटी में पर्चियां डाली जाती हैं. जिनका त्वरित निदान किया जाता है और जवानों द्वारा जो सुझाव डाले जाते हैं उनके लिए एक प्रपोजल तैयार कर बजट पास करवाया जाता है और फिर सुझाव के अनुसार काम करवाया जाता है.

पुलिस लाइन में लगावाई जा रही लिक्विड प्रोफाइल टेस्ट मशीन...

एडिशनल डीसीपी सिंघल ने बताया कि सुझाव पेटी में अनेक जवानों द्वारा स्वास्थ्य को लेकर सुझाव डाले गए. जयपुर पुलिस लाइन में 24 घंटे एक अस्पताल का संचालन किया जाता है. जिसमें होम्योपैथी और एलोपैथी दोनों तरह की चिकित्सा सेवाएं जवानों को मुहैया करवाई जाती हैं. हालांकि किसी भी तरह की जांच के लिए जवानों को एसएमएस या कांवटिया अस्पताल जाना पड़ता है.

पढ़ेंः Special : 'मृग मरीचिका' बनी मुख्यमंत्री युवा संबल योजना, आवेदन मंजूर लेकिन खाते में एक टका तक नहीं पहुंचा

कोरोना काल में जवानों ने स्वास्थ्य का ध्यान रखते हुए जयपुर पुलिस लाइन में लिक्विड प्रोफाइल टेस्ट मशीन लगाए जाने का सुझाव संपर्क सभा और सुझाव पेटी के माध्यम से दिया गया. जिस पर त्वरित कार्रवाई करते हुए जयपुर पुलिस लाइन में टेस्टिंग लैबोरेट्री का निर्माण किया गया और लिक्विड प्रोफाइल टेस्ट मशीन लगवाने के लिए एक प्रपोजल बनाकर भेजा गया है. जल्द ही जयपुर पुलिस लाइन में लिक्विड प्रोफाइल टेस्ट मशीन का संचालन शुरू कर दिया जाएगा. जिसके बाद जवानों की स्वास्थ्य संबंधित तमाम प्राथमिक जांचें पुलिस लाइन में संचालित अस्पताल में ही निशुल्क की जा सकेंगी.

डेढ़ माह में सुनी गई 9,000 की समस्याएं...

एडिशनल डीसीपी सिंघल ने बताया कि जयपुर पुलिस लाइन में पिछले डेढ़ माह से जवानों के लिए संपर्क सभा का आयोजन किया जा रहा है. संपर्क सभा के लिए प्रतिदिन 400 जवानों को बुलाया जाता है और उनसे वन-टू-वन संवाद किया जाता है. वहीं, स्वास्थ्य कारण और अन्य कारणों से जो जवान संपर्क सभा में निर्धारित दिन उपस्थित नहीं हो पाते उनकी समस्याएं सुनने के लिए शुक्रवार और शनिवार का दिन निर्धारित किया जाता है.

पिछले डेढ़ माह में 12 हजार कांस्टेबल को संपर्क सभा में बुलाया गया है. जिसमें से 9000 कांस्टेबल संपर्क सभा में उपस्थित हुए हैं और उनके द्वारा समस्याएं और सुझाव आला अधिकारियों को बताए गए हैं. इस दौरान जवानों की तरफ से टीए बिल से संबंधित, स्वास्थ्य से संबंधित, छुट्टी से संबंधित व अन्य जितनी भी समस्याएं हैं उनका त्वरित निदान किया जाता है. वहीं, संपर्क सभा और सुझाव पेटी के माध्यम से जवान और अधिकारियों के बीच की खाई को पाटने और संवाद की कमी को दूर करने का पूरा प्रयास किया जा रहा है.

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