ETV Bharat / city

छात्र संघ चुनाव 2019: महारानी कॉलेज 75 साल बाद भी नहीं दे सका RU को छात्रसंघ अध्यक्ष

राजनीति में महिलाओं के लिए काफी अरसे से राजनीति में भी 30 प्रतिशत आरक्षण की आवाज बुलंद होती रही है. राजस्थान विश्वविद्यालय के संघठक महारानी महाविद्यालय को 75 साल हो गए, लेकिन अभी तक एक भी छात्रा कॉलेज राजनीति में अध्यक्ष पद तक नहीं पहुंची.

Students UNION President of Women, छात्र संघ चुनाव 2019
author img

By

Published : Aug 26, 2019, 8:21 PM IST

जयपुर. केंद्र और राज्य सरकारें चुनाव में महिलाओं की भागीदारी के लिए सीट आरक्षित कर उन्हें आगे बढ़ाने का प्रयास कर रही हैं. इसके लिए महिलाओं के लिए काफी अरसे से राजनीति में भी 30 प्रतिशत आरक्षण की आवाज बुलंद होती रही है. राजस्थान विश्वविद्यालय के संघठक महारानी महाविद्यालय को 75 साल हो गए लेकिन अभी तक एक छात्रा कॉलेज राजनीति में आगे नहीं बढ़ पाई है.

छात्र संघ चुनाव 2019: महारानी कॉलेज 75 साल बाद भी नहीं दे सका महिला छात्रसंघ अध्यक्ष
जी हां प्रदेश की राजधानी जयपुर में सबसे पुराने महिला महाविद्यालय महारानी कॉलेज में छात्राएं राजनीति में सक्रिय तो रही है. लेकिन महारानी कॉलेज से विश्वविद्यालय राजनीति में पिछले 52 सालों से एक भी छात्रा ने विश्वविद्यालय में अध्ययनरत रहते हुए केंद्रीय छात्र संघ के अध्यक्ष, महासचिव पद पर अभी तक चुनावी मैदान में नहीं उतरी. कॉलेज में अध्यनरत छात्राएं मात्र कॉलेज तक या फिर छात्रसंघ के उपाध्यक्ष या फिर संयुक्त सचिव पद तक ही पहुंच पाई है.छात्राएं अध्यक्ष पद के लिए अभी तक नहीं आई सामने:प्रदेश की राजधानी होते हुए भी कॉलेज में अब तक रही छात्रसंघ अध्यक्ष राजनीति में कोई बड़ा मुकाम हासिल नहीं कर पाई है. कॉलेज की छात्राओं का सबसे बड़ा दुर्भाग्य यह भी रहा है कि यूजी में पास आउट होने के बाद पीजी में प्रवेश पर इन छात्राओं पर पार्टी संगठन एबीवीपी व एनएसयूआई, एसएफआई आदि ने कभी छात्रसंघ अध्यक्ष और महासचिव पद के लिए विशेष जोर नहीं दिया. संगठन की नजर में महारानी कॉलेज की छात्राएं मात्र उपाध्यक्ष और संयुक्त सचिव पद के लिए आगे आई है. मात्र कुछ छात्राएं पूजा कपिल, रोजी खान आदि ने विश्वविद्यालय से अपेक्स अध्यक्ष पद पर के रूप में चुनाव तो लड़ा लेकिन वे चुनाव हार गई.


बाहुबल और हिंसक वातावरण के कारण चुनाव से दूरियां?
महारानी कॉलेज पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष ने बताया कि सालों पहले से ही छात्राएं विश्वविद्यालय में लड़कों की ओर से होने वाले बाहुबल और हिंसक वातावरण के कारण चुनाव से दूरियां बनाती रही है. यही कारण रहा कि मात्र कुछ छात्राएं ही निर्दलीय तौर पर अपेक्स अध्यक्ष पद पर चुनाव लड़ पाई लेकिन वह लड़कों के जैसे हिंसक और धनबल का प्रयोग नहीं करने से चुनाव हार गई.

ये भी पढ़ें: गहलोत के मंत्री ने राहुल गांधी के कश्मीर जाने पर मायावती के बयान को बताया मोदी का डर

महारानी कॉलेज की पूर्व प्रिंसिपल अल्पना कटेजा ने बताया कि कॉलेज राजनीति क्षेत्र के लिए छोटा कुआं जैसा होता है. सीमित मात्रा में छात्राएं वोटर्स होते है जो आप से निकटता से जुड़े होते हैं. विश्वविद्यालय समुंदर जैसे हैं जहां हर जगह से छात्र पढ़ने आते है उनमें कुछ सीधे-साधे तो कुछ उग्र तरीके से छात्र भी होते है उनसे राजनीति उठापटक करना छात्राओं के लिए बेहतर नहीं हो पाता. यही कारण है कि संगठन भी छात्राओं को मात्र संयुक्त सचिव और उपाध्यक्ष पद पर डमी के रूप में इस्तेमाल करते है.

जयपुर. केंद्र और राज्य सरकारें चुनाव में महिलाओं की भागीदारी के लिए सीट आरक्षित कर उन्हें आगे बढ़ाने का प्रयास कर रही हैं. इसके लिए महिलाओं के लिए काफी अरसे से राजनीति में भी 30 प्रतिशत आरक्षण की आवाज बुलंद होती रही है. राजस्थान विश्वविद्यालय के संघठक महारानी महाविद्यालय को 75 साल हो गए लेकिन अभी तक एक छात्रा कॉलेज राजनीति में आगे नहीं बढ़ पाई है.

छात्र संघ चुनाव 2019: महारानी कॉलेज 75 साल बाद भी नहीं दे सका महिला छात्रसंघ अध्यक्ष
जी हां प्रदेश की राजधानी जयपुर में सबसे पुराने महिला महाविद्यालय महारानी कॉलेज में छात्राएं राजनीति में सक्रिय तो रही है. लेकिन महारानी कॉलेज से विश्वविद्यालय राजनीति में पिछले 52 सालों से एक भी छात्रा ने विश्वविद्यालय में अध्ययनरत रहते हुए केंद्रीय छात्र संघ के अध्यक्ष, महासचिव पद पर अभी तक चुनावी मैदान में नहीं उतरी. कॉलेज में अध्यनरत छात्राएं मात्र कॉलेज तक या फिर छात्रसंघ के उपाध्यक्ष या फिर संयुक्त सचिव पद तक ही पहुंच पाई है.छात्राएं अध्यक्ष पद के लिए अभी तक नहीं आई सामने:प्रदेश की राजधानी होते हुए भी कॉलेज में अब तक रही छात्रसंघ अध्यक्ष राजनीति में कोई बड़ा मुकाम हासिल नहीं कर पाई है. कॉलेज की छात्राओं का सबसे बड़ा दुर्भाग्य यह भी रहा है कि यूजी में पास आउट होने के बाद पीजी में प्रवेश पर इन छात्राओं पर पार्टी संगठन एबीवीपी व एनएसयूआई, एसएफआई आदि ने कभी छात्रसंघ अध्यक्ष और महासचिव पद के लिए विशेष जोर नहीं दिया. संगठन की नजर में महारानी कॉलेज की छात्राएं मात्र उपाध्यक्ष और संयुक्त सचिव पद के लिए आगे आई है. मात्र कुछ छात्राएं पूजा कपिल, रोजी खान आदि ने विश्वविद्यालय से अपेक्स अध्यक्ष पद पर के रूप में चुनाव तो लड़ा लेकिन वे चुनाव हार गई.


बाहुबल और हिंसक वातावरण के कारण चुनाव से दूरियां?
महारानी कॉलेज पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष ने बताया कि सालों पहले से ही छात्राएं विश्वविद्यालय में लड़कों की ओर से होने वाले बाहुबल और हिंसक वातावरण के कारण चुनाव से दूरियां बनाती रही है. यही कारण रहा कि मात्र कुछ छात्राएं ही निर्दलीय तौर पर अपेक्स अध्यक्ष पद पर चुनाव लड़ पाई लेकिन वह लड़कों के जैसे हिंसक और धनबल का प्रयोग नहीं करने से चुनाव हार गई.

ये भी पढ़ें: गहलोत के मंत्री ने राहुल गांधी के कश्मीर जाने पर मायावती के बयान को बताया मोदी का डर

महारानी कॉलेज की पूर्व प्रिंसिपल अल्पना कटेजा ने बताया कि कॉलेज राजनीति क्षेत्र के लिए छोटा कुआं जैसा होता है. सीमित मात्रा में छात्राएं वोटर्स होते है जो आप से निकटता से जुड़े होते हैं. विश्वविद्यालय समुंदर जैसे हैं जहां हर जगह से छात्र पढ़ने आते है उनमें कुछ सीधे-साधे तो कुछ उग्र तरीके से छात्र भी होते है उनसे राजनीति उठापटक करना छात्राओं के लिए बेहतर नहीं हो पाता. यही कारण है कि संगठन भी छात्राओं को मात्र संयुक्त सचिव और उपाध्यक्ष पद पर डमी के रूप में इस्तेमाल करते है.

Intro:जयपुर- एक और जहां देश की केंद्र और राज्य सरकारें चुनाव में महिलाओं की भागीदारी के लिए सीट आरक्षित कर उन्हें आगे बढ़ाने का प्रयास कर रही है। महिलाओं के लिए काफी अरसे से राजनीति में भी 30 प्रतिशत आरक्षण की आवाज बुलंद हो रही है। वहीं दूसरी और प्रदेश के सबसे पुराने राजस्थान विश्वविद्यालय के संगठक महारानी महाविद्यालय को 75 साल हो गए लेकिन एक भी छात्रा कॉलेज राजनीति में आगे नहीं बढ़ पाई है।

जी हां प्रदेश की राजधानी जयपुर में सबसे पुराने महिला महाविद्यालय महारानी कॉलेज में छात्राएं राजनीति में सक्रिय तो रही है लेकिन महारानी कॉलेज से विश्वविद्यालय राजनीति में पिछले 52 सालों से एक भी छात्रा ने विश्वविद्यालय में अध्ययनरत रहते हुए केंद्रीय छात्र संघ के अध्यक्ष, उपाअध्यक्ष व महासचिव पद पर आज तक ताल नहीं ठोक हो पाई है। कॉलेज में अध्यनरत छात्राएं मात्र कॉलेज तक या फिर छात्रसंघ के उपाध्यक्ष व संयुक्त सचिव पद तक पहुंच पाई है।

विश्वविद्यालय के कुल छात्राओं का 25 प्रतिशत महारानी कॉलेज में अध्ययनरत
प्रदेश की राजधानी होते हुए भी कॉलेज में अब तक रही छात्रसंघ अध्यक्ष राजनीति में कोई बड़ा मुकाम हासिल नहीं कर पाई है। कॉलेज की छात्राओं का सबसे बड़ा दुर्भाग्य यह भी रहा है कि यूजी में पास आउट होने के बाद पीजी में प्रवेश पर इन छात्राओं पर पार्टी संगठन एबीवीपी व एनएसयूआई, एसएफआई आदि ने कभी छात्रसंघ अध्यक्ष व महासचिव पद के लिए विशेष जोर नहीं दिया। संगठन की नजर में महारानी कॉलेज की छात्राएं मात्र उपाध्यक्ष व संयुक्त सचिव पद के लिए ही डमी के रूप में शोभनीय बनी रही। मात्र कुछ छात्राएं पूजा कपिल, रोजी खान आदि ने विश्वविद्यालय से अपेक्स अध्यक्ष पद पर के रूप में चुनाव तो लड़ा लेकिन वे चुनाव हार गई।


Body:महारानी कॉलेज पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष ने बताया कि सालों पहले से ही छात्राएं विश्वविद्यालय में लड़कों की ओर से होने वाले बाहुबल व हिंसक वातावरण के कारण चुनाव से दूरियां बनाती रही है। हम यही कारण रहा कि मात्र कुछ छात्राएं ही निर्दलीय तौर पर अपेक्स अध्यक्ष पद पर चुनाव लड़ पाए लेकिन वह लड़कों के जैसे हिंसक व धनबल का प्रयोग नहीं करने से चुनाव हार गई।

महारानी कॉलेज की पूर्व प्रिंसिपल अल्पना कटेजा ने बताया कि कॉलेज राजनीति क्षेत्र के लिए एक तरह से छोटा कुआं होता है, जहां सीमित मात्रा में छात्राएं वोटर्स होते है। जो आप से निकटता से जुड़े होते हैं लेकिन विश्वविद्यालय समुंदर जैसे हैं जहां हर जगह से छात्र पढ़ने आते है। उनमें कुछ सीधे-साधे तो कुछ उग्र तरीके से छात्र भी होते है उनसे राजनीति उठापटक करना छात्राओं के लिए बेहतर नहीं हो पाता। यही कारण है कि संगठन भी छात्राओं को मात्र संयुक्त सचिव व उपाध्यक्ष पद पर डमी के रूप में इस्तेमाल करते है।

बाईट- अल्पना कटेजा, पूर्व प्रिंसिपल, महारानी कॉलेज


Conclusion:
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.