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RU में रिसर्च स्कॉलरशिप में 18 लाख रुपए की गड़बड़ी का मामला आया सामने, प्रशासन ने दिए जांच के आदेश

राजस्थान विश्वविद्यालय में इतिहास विभाग से पीएचडी कर रहे चार स्कॉलर्स ने विभागाध्यक्ष के हस्ताक्षर के बिना ही स्कॉलरशिप निकाल ली है. बताया जा रहा है कि इस मामले में 18 लाख रुपए की गड़बड़ी की गई है. हालांकि, इसको लेकर विभागाध्यक्ष ने विश्वविद्यालय प्रशासन को शिकायत दर्ज करवा दी है.

जयपुर की खबर, 18 lakh rupees scholarship
चार स्कॉलर्स ने विभागाध्यक्ष हस्ताक्षर के बिना लिया स्कॉलरशिप
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Published : Jan 29, 2020, 8:33 PM IST

जयपुर. राजस्थान विश्वविद्यालय से इतिहास विभाग में पीएचडी कर रहे चार स्कॉलर्स के स्कॉलरशिप में 18 लाख रुपए की गड़बड़ी मिली है. बताया जा रहा है कि स्कॉलर्स ने विभागाध्यक्ष के हस्ताक्षर के बिना ही 15 महीनों की यूजीसी के लिए स्कॉलरशिप निकाल ली है.

शोधार्थियों ने गांधी अध्ययन केंद्र से अगस्त 2016 में एमफिल किया और नवंबर 2017 में इतिहास विभाग में पीएचडी के लिए प्रवेश लिया. ऐसे में विभागाध्यक्ष ने आरोप लगाया है कि शोधार्थियों ने बिना विभागाध्यक्ष के हस्ताक्षर के फेलोशिप लिया, जो एक बड़ी वित्तीय अनियमितता है.

स्कॉलर्स ने विभागाध्यक्ष हस्ताक्षर के बिना लिया स्कॉलरशिप

विभागाध्यक्ष प्रो.पूनिया का कहना है कि चार स्कॉलर्स ने बिना विभागाध्यक्ष के हस्ताक्षर के यूजीसी के लिए स्कॉलरशिप लिया. मामले को लेकर कुलपति को पत्र लिखा, जिसके बाद कुलपति ने कमेटी का गठन किया है, जिसमें एसएल शर्मा को कन्वीनर बनाया गया है.

पढ़ें: स्कूलों में संविधान की प्रस्तावना का वाचन अच्छी पहल, लेकिन गहलोत सरकार खुद भी करे आत्मसात: पूनिया

फिलहाल, विभागाअध्यक्ष ने शोधार्थियों के खिलाफ विश्वविद्यालय प्रशासन को शिकायत दर्ज करावा दिया है. शिकायत दर्ज किए जाने के बाद कुलपति ने रिसर्च डायरेक्टर को जांच के आदेश दिए हैं. इसके बावजूद भी अभी तक किसी प्रकार की कोई जांच नहीं हुई है. ऐसे में ये अंदेशा लगाया जा रहा है कि इसमें विश्वविद्यालय के अधिकारियों की भी मिलीभगत हो सकती है. मामले में कुलपति आरके कोठारी का कहना है कि जांच की जा रही है और जो भी दोषी होगा उसकी जिम्मेदारी तय की जाएगी.

जयपुर. राजस्थान विश्वविद्यालय से इतिहास विभाग में पीएचडी कर रहे चार स्कॉलर्स के स्कॉलरशिप में 18 लाख रुपए की गड़बड़ी मिली है. बताया जा रहा है कि स्कॉलर्स ने विभागाध्यक्ष के हस्ताक्षर के बिना ही 15 महीनों की यूजीसी के लिए स्कॉलरशिप निकाल ली है.

शोधार्थियों ने गांधी अध्ययन केंद्र से अगस्त 2016 में एमफिल किया और नवंबर 2017 में इतिहास विभाग में पीएचडी के लिए प्रवेश लिया. ऐसे में विभागाध्यक्ष ने आरोप लगाया है कि शोधार्थियों ने बिना विभागाध्यक्ष के हस्ताक्षर के फेलोशिप लिया, जो एक बड़ी वित्तीय अनियमितता है.

स्कॉलर्स ने विभागाध्यक्ष हस्ताक्षर के बिना लिया स्कॉलरशिप

विभागाध्यक्ष प्रो.पूनिया का कहना है कि चार स्कॉलर्स ने बिना विभागाध्यक्ष के हस्ताक्षर के यूजीसी के लिए स्कॉलरशिप लिया. मामले को लेकर कुलपति को पत्र लिखा, जिसके बाद कुलपति ने कमेटी का गठन किया है, जिसमें एसएल शर्मा को कन्वीनर बनाया गया है.

पढ़ें: स्कूलों में संविधान की प्रस्तावना का वाचन अच्छी पहल, लेकिन गहलोत सरकार खुद भी करे आत्मसात: पूनिया

फिलहाल, विभागाअध्यक्ष ने शोधार्थियों के खिलाफ विश्वविद्यालय प्रशासन को शिकायत दर्ज करावा दिया है. शिकायत दर्ज किए जाने के बाद कुलपति ने रिसर्च डायरेक्टर को जांच के आदेश दिए हैं. इसके बावजूद भी अभी तक किसी प्रकार की कोई जांच नहीं हुई है. ऐसे में ये अंदेशा लगाया जा रहा है कि इसमें विश्वविद्यालय के अधिकारियों की भी मिलीभगत हो सकती है. मामले में कुलपति आरके कोठारी का कहना है कि जांच की जा रही है और जो भी दोषी होगा उसकी जिम्मेदारी तय की जाएगी.

Intro:नोट- मोजो में किसी टेक्निकल कारण की वजह से बाईट में आवाज नहीं आयी है। इसलिए खबर के विसुअल्स और बाईट व्रैप से भेजे गए है। कृपया स्वीकार करे।

जयपुर- राजस्थान विश्वविद्यालय में रिसर्च स्कॉलरशिप में गड़बड़ी का मामला सामने आया है, जिसमें 18 लाख रुपए की गड़बड़ी हुई है। मामला इतिहास विभाग से पीएचडी कर रहे चार स्कॉलर्स का है जिनके खिलाफ विभाग अध्यक्ष ने विश्वविद्यालय प्रशासन को शिकायत दर्ज कराई है। शिकायत में विभागाध्यक्ष ने कहा है कि चारों स्कॉलर्स ने विभागाध्यक्ष के बिना हस्ताक्षर किए और 15 महीनों की यूजीसी से स्कॉलरशिप उठा ली। दरअसल, जिन शोधर्थियों पर ये आरोप लगे हैं उन्होंने गांधी अध्ययन केंद्र से अगस्त 2016 में एमफिल किया और नवंबर 2017 में इतिहास विभाग में पीएचडी के लिए प्रवेश लिया। ऐसे में विभागाध्यक्ष ने आरोप लगाया है कि शोधार्थियों ने इन 15 महीनों को की फेलोशिप बिना विभागाध्यक्ष के हस्ताक्षर से उठा ली, जो एक बड़ी वित्त अनियमितताएं है, शिकायत दर्ज होने के बाद कुलपति ने रिसर्च डायरेक्टर को जांच के लिए आदेश दिया है।


Body:लेकिन अभी तक किसी प्रकार की जांच नहीं की गई है जिसको लेकर अंदेशा लगाया जा रहा है कि इस गड़बड़ झाले में विश्वविद्यालय के अधिकारियों की ही बड़ी मिलीभगत है।

इस मामले पर कुलपति आरके कोठारी ने कहा कि मामले की जांच चल रही है और जो भी दोषी होगा उसकी जिम्मेदारी तय की जाएगी। विभागाध्यक्ष प्रो पुनिया ने बताया कि चार स्कॉलर्स ने बिना विभागाध्यक्ष के हस्ताक्षर के 15 महीनों की स्कॉलरशिप यूजीसी से उठा ली है। इस मामले के खिलाफ कुलपति को पत्र लिखा गया था जिसके बाद कुलपति ने कमेटी का गठन किया जिसमें एसएल शर्मा को कन्वीनर बनाया गया है और जांच जारी है।

बाईट- प्रो प्रमिला पूनिया, विभागाध्यक्ष, इतिहास विभाग
बाईट- प्रो आरके कोठारी, आरयू


Conclusion:
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