जयपुर. ग्रेटर नगर निगम में महापौर और तीन पार्षदों को निलंबित करने के बाद राज्य सरकार ने शील धाभाई को कार्यवाहक महापौर बनाकर एक तीर से दो निशाने साधे हैं. एक तो डॉ. सौम्या गुर्जर को हटाने के कारण गुर्जर समाज में जो नाराजगी उभरी थी, उसे साधने का काम किया. दूसरी तरफ बीजेपी की एकता को भी टटोलने का काम किया है.
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राज्य सरकार ने बीजेपी की वरिष्ठ पार्षद और पूर्व मेयर शील धाभाई को कार्यवाहक महापौर बनाया है. शील धाभाई का नाम चुनाव के वक्त से ही महापौर के लिए चल रहा था. लेकिन नामांकन के आखिरी मौके पर बीजेपी ने उनका नाम काटकर डॉ. सौम्या को मेयर का उम्मीदवार बनाया था. इसे लेकर शील धाभाई अंदर खाने काफी नाराज भी चल रही थीं.
इसी नाराजगी को भुनाने की कोशिश अपनी रणनीति में यूडीएच मंत्री ने की है. धारीवाल ने राजनीतिक दांव खेलते हुए आदेशों के माध्यम से ये भी स्पष्ट कर दिया कि उपमहापौर पुनीत कर्णावट सामान्य वर्ग में है, इसलिए उन्हें कार्यवाहक महापौर नहीं बनाया जा सकता. ग्रेटर निगम में बीजेपी का बोर्ड है. ऐसे में किसी भी तरह के विवाद से बचने के लिए धाभाई को महापौर बनाया गया है. गहलोत सरकार के इस कदम को कोर्ट में अपना पक्ष मजबूत करने के तौर पर भी देखा जा रहा है.
आपको बता दें कि जयपुर नगर निगम के 1999 में बने दूसरे बोर्ड में निर्मला वर्मा को महापौर बनाया गया था. उनके निधन के बाद 2001 में धाबाई को कार्यवाहक महापौर बनाया गया. अगले चुनाव तक वही महापौर बनी रही.
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ये है पूरा मामला
दरअसल, बीते शुक्रवार को महापौर सौम्या गुर्जर और आयुक्त यज्ञमित्र देव सिंह के बीच एक बैठक के दौरान तीखी बहस हुई थी. बताया जा रहा है कि कि डोर-टू-डोर कचरा उठाने वाली कंपनियों के भुगतान के मुद्दे पर हुई बैठक के दौरान जब मेयर से उनकी और आयुक्त के बीच तकरार हुई, तो वो बाहर जाने लगे.
आयुक्त सिंह का आरोप है, इस दौरान भाजपा के तीन पार्षदों ने उनसे अभद्र व्यवहार और मारपीट भी की, घटना के बाद आयुक्त ने तीन पार्षदों के खिलाफ थाने में शिकायत दी और जिसके आधार पर एफआईआर दर्ज हुई. इसके बाद स्वायत्त शासन विभाग ने मेयर सौम्या गुर्जर सहित चार पार्षदों को निलंबित कर दिया.