जयपुर. मेवाड़ की शान महाराणा प्रताप की जीवनी आज भी पूरे विश्व के लिए प्रेरणादायक है. जिन्होंने राष्ट्र की आजादी की रक्षा के लिए तलवार के जरिए संघर्ष किया, जो कि एक महान योद्धा में से एक रहे. ऐसे वीर योद्धा महाराणा प्रताप की विशालकाय प्रतिमा देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में स्थापित होना राजस्थान की माटी के लोगों के लिए गर्व की बात है.
इस प्रतिमा को जयपुर के शिल्पकारों ने बड़ी बारीकी से तैयार किया है. इस प्रतिमा की खासियत यह है कि चेतक पर बैठे महाराणा प्रताप अब तक बनी महाराणा प्रताप की प्रतिमाओं से कुछ अलग है, जिसे अयोध्या में स्थापित होने पर इसका अनावरण मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा किया जाएगा.
पढ़ें : SPECIAL : लॉकडाउन के कारण शुद्ध हुई शहरों की आबोहवा...अनलॉक के साथ बढ़ने लगा वायु प्रदूषण का स्तर
विशालकाय प्रतिमा की खासियत...
भारत के वीर सपूत महाराणा प्रताप की विशालकाय प्रतिमा का शिल्पकार महावीर भारती की देखरेख में जयपुर में हुआ है. इसकी ऊंचाई 12 फ़ीट है जो कि कांस्य की बनाई गई है. इसमें उनके कद के अनुरूप उन्हें विशालकाय बनाया गया है. जिसमें उनका तेज, रौबीला चेहरा, चौड़ा सीना, मजबूत बाजू और योद्धा की पोशाक में चेतक पर सवार किया गया है.
इस प्रतिमा का वजन 1,500 किलो है और इसे बनाने में 6 माह का वक्त लगा है. जिसे रविवार को बीजेपी के प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया, RSS के प्रांत प्रचारक डॉ. शैलेन्द्र कुमार के अलावा सांसद, विधायक और भाजपा नेताओं द्वारा पुष्पांजलि अर्पित कर हरी झंडी दिखाकर सज्जित वाहन से यूपी के लिए रवाना किया जाएगा.
राजस्थान के रणबांकुरों के शौर्य गाथा आज भी अमर...
राजस्थान की वीर भूमि रणबांकुरों के बलिदान और शौर्य गाथाओं के अपने पराक्रम से आज भी अमर है. यहां के रणबाकुरों ने स्वाधीनता की रक्षा के लिए अपने प्राणों का बलिदान देने में कभी संकोच नहीं किया. यही वजह है कि उनके त्याग पर संपूर्ण भारत को आज भी गर्व है. इसमें सबसे ऊपर नाम आता है वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप का, जिनकी गौरव गाथा अब यूपी में भी गूंजेगी.
पढ़ें : SPECIAL : निजी शिक्षण संस्थान बंद होने से लाखों शिक्षकों के सामने रोटी का संकट
महाराण प्रताप की गौरव गाथा...
महाराणा प्रताप का जन्म सोलहवीं शताब्दी में राजस्थान में हुआ था. अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार उनका जन्म 9 मई, 1540 को कुंभलगढ़ में हुआ था. इस दिन ज्येष्ठ मास की तृतीया तिथि थी, इसलिए हिंदी पंचांग के अनुसार महाराणा प्रताप जयंती 13 जून को मनाई जाएगी. महाराणा प्रताप ने कई बार अकबर के साथ लड़ाई लड़ी. उन्हें महल छोड़कर जंगलों में रहना पड़ा. उनका पूरा जीवन संघर्ष में ही कट गया, लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी. उनका नाम इतिहास के पन्नों में स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज है.