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RERA की चुनौती और समाधान पर प्रदेश स्तरीय वर्कशॉप, निकायों और रेरा के कानूनों में अंतर को दूर करने का होगा प्रयास - राजस्थान आवासन मंडल

राजस्थान रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी के कानूनों की जानकारी को लेकर प्रदेश स्तरीय वर्कशॉप का आयोजन हुआ. इस दौरान आवासन आयुक्त ने नगरीय निकायों और रेरा के कानूनों में आ रहे अंतर को प्रेजेंटेशन के माध्यम से प्रस्तुत किया.

Real Estate Regulatory Authority, State level workshop
रेरा की चुनौती और समाधान पर प्रदेश स्तरीय वर्कशॉप
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Published : Feb 12, 2021, 11:07 PM IST

जयपुर. राजस्थान रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी के कानूनों की जानकारी राजस्थान आवासन मंडल के प्रदेशभर के अधिकारी कर्मचारियों उपलब्ध कराने के नजरिए से शुक्रवार को प्रदेश स्तरीय वर्कशॉप का आयोजन हुआ. इस दौरान आवासन आयुक्त ने नगरीय निकायों और रेरा के कानूनों में आ रहे अंतर को प्रेजेंटेशन के माध्यम से प्रस्तुत किया. इसे रेरा अध्यक्ष ने इनहाउस बैठक कर समाधान निकालने की बात कही है. रेरा की चुनौतियों और समाधान विषय पर आयोजित वर्कशॉप में रेरा अध्यक्ष एनसी गोयल मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद रहे, जबकि आवासन मंडल के अध्यक्ष भास्कर ए सावंत ने वर्कशॉप की अध्यक्षता की.

रेरा की चुनौती और समाधान पर प्रदेश स्तरीय वर्कशॉप

इस दौरान आवासन मंडल आयुक्त पवन अरोड़ा, जेडीसी गौरव गोयल और चीफ टाउन प्लानर आरके विजयवर्गीय भी मौजूद रहे. इस दौरान एनसी गोयल ने बताया कि डेवलपर या बिल्डर समय पर आवास बनाकर नहीं दे या योजना को पूरा नहीं करे. ऐसी समस्याओं के समाधान के लिए रेरा एक्ट बनाया गया है. इसके तहत हर प्रोजेक्ट रेरा में रजिस्टर्ड होना चाहिए. रेरा की साइट पर संबंधित प्रोजेक्ट की जानकारी ग्राहकों को उपलब्ध कराई जाती है, ताकि आम आदमी अपनी पूंजी जिस आवास को खरीदने में लगाने वाला है. उसके साथ कोई फर्जीवाड़ा ना हो. उन्होंने कहा कि आवासन मंडल राजस्थान रेरा में पहला प्रमोटर है, जिसने 50 प्रोजेक्ट रजिस्टर्ड कराए हो. उन्होंने आवासन आयुक्त द्वारा रेरा प्रावधानों में बताए गए संशोधन उपयोगी बताते हुए संयुक्त रूप से बैठकर समाधान निकालने की बात कही है.

वहीं आवासन मंडल आयुक्त पवन अरोड़ा ने बताया कि बीते डेढ़ साल में करीब 51 प्रोजेक्ट रेरा में पंजीकृत कराए हैं. मंडल का ऐसा कोई प्रोजेक्ट नहीं है, जिसे रेरा में पंजीकरण से पहले लांच किया गया हो. उन्होंने बताया कि रेरा कानून और स्थानीय निकायों के कानून में कुछ अंतर है. रेरा कानून कहता है कि कोई भी प्रोजेक्ट बुक करने पर 10 प्रतिशत राशि एडवांस में लेने की अनुमति है, लेकिन नगर पालिका, यूआईटी, विकास प्राधिकरण, हाउसिंग बोर्ड नीलामी करने के 72 घंटे के अंदर 15 प्रतिशत राशि लेता है. उन्होंने ऐसे ही कई नियमों में अंतर बताया, जिस पर रेरा चेयरमैन ने सकारात्मक रुख दिखाया है.

यह भी पढ़ें- किसान नेता राकेश टिकैत का हमला : सरकार कितनी भी सरकारी एजेंसियां पीछे लगा दे...किसान डटे रहेंगे

इस दौरान आवासन आयुक्त ने बताया कि आवासन मंडल के प्रदेश में लगभग 20 हजार मकान बिना बिके हुए थे. इनमें से करीब 8 हजार मकानों को बीते सवा साल में बेचते हुए मंडल ने करीब 1200 करोड़ का राजस्व अर्जित किया है. वहीं जोधपुर और महला में निर्मित हाउसिंग बोर्ड के आवासों को ओपन जेल के रूप में देने की भी तैयारी की जा रही है. साथ ही अब आवासन मंडल हाउसिंग प्रोजेक्ट के अलावा कोचिंग हब, सिटी पार्क और जयपुर चौपाटी जैसे प्रोजेक्ट भी बना रहा है.

जयपुर. राजस्थान रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी के कानूनों की जानकारी राजस्थान आवासन मंडल के प्रदेशभर के अधिकारी कर्मचारियों उपलब्ध कराने के नजरिए से शुक्रवार को प्रदेश स्तरीय वर्कशॉप का आयोजन हुआ. इस दौरान आवासन आयुक्त ने नगरीय निकायों और रेरा के कानूनों में आ रहे अंतर को प्रेजेंटेशन के माध्यम से प्रस्तुत किया. इसे रेरा अध्यक्ष ने इनहाउस बैठक कर समाधान निकालने की बात कही है. रेरा की चुनौतियों और समाधान विषय पर आयोजित वर्कशॉप में रेरा अध्यक्ष एनसी गोयल मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद रहे, जबकि आवासन मंडल के अध्यक्ष भास्कर ए सावंत ने वर्कशॉप की अध्यक्षता की.

रेरा की चुनौती और समाधान पर प्रदेश स्तरीय वर्कशॉप

इस दौरान आवासन मंडल आयुक्त पवन अरोड़ा, जेडीसी गौरव गोयल और चीफ टाउन प्लानर आरके विजयवर्गीय भी मौजूद रहे. इस दौरान एनसी गोयल ने बताया कि डेवलपर या बिल्डर समय पर आवास बनाकर नहीं दे या योजना को पूरा नहीं करे. ऐसी समस्याओं के समाधान के लिए रेरा एक्ट बनाया गया है. इसके तहत हर प्रोजेक्ट रेरा में रजिस्टर्ड होना चाहिए. रेरा की साइट पर संबंधित प्रोजेक्ट की जानकारी ग्राहकों को उपलब्ध कराई जाती है, ताकि आम आदमी अपनी पूंजी जिस आवास को खरीदने में लगाने वाला है. उसके साथ कोई फर्जीवाड़ा ना हो. उन्होंने कहा कि आवासन मंडल राजस्थान रेरा में पहला प्रमोटर है, जिसने 50 प्रोजेक्ट रजिस्टर्ड कराए हो. उन्होंने आवासन आयुक्त द्वारा रेरा प्रावधानों में बताए गए संशोधन उपयोगी बताते हुए संयुक्त रूप से बैठकर समाधान निकालने की बात कही है.

वहीं आवासन मंडल आयुक्त पवन अरोड़ा ने बताया कि बीते डेढ़ साल में करीब 51 प्रोजेक्ट रेरा में पंजीकृत कराए हैं. मंडल का ऐसा कोई प्रोजेक्ट नहीं है, जिसे रेरा में पंजीकरण से पहले लांच किया गया हो. उन्होंने बताया कि रेरा कानून और स्थानीय निकायों के कानून में कुछ अंतर है. रेरा कानून कहता है कि कोई भी प्रोजेक्ट बुक करने पर 10 प्रतिशत राशि एडवांस में लेने की अनुमति है, लेकिन नगर पालिका, यूआईटी, विकास प्राधिकरण, हाउसिंग बोर्ड नीलामी करने के 72 घंटे के अंदर 15 प्रतिशत राशि लेता है. उन्होंने ऐसे ही कई नियमों में अंतर बताया, जिस पर रेरा चेयरमैन ने सकारात्मक रुख दिखाया है.

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इस दौरान आवासन आयुक्त ने बताया कि आवासन मंडल के प्रदेश में लगभग 20 हजार मकान बिना बिके हुए थे. इनमें से करीब 8 हजार मकानों को बीते सवा साल में बेचते हुए मंडल ने करीब 1200 करोड़ का राजस्व अर्जित किया है. वहीं जोधपुर और महला में निर्मित हाउसिंग बोर्ड के आवासों को ओपन जेल के रूप में देने की भी तैयारी की जा रही है. साथ ही अब आवासन मंडल हाउसिंग प्रोजेक्ट के अलावा कोचिंग हब, सिटी पार्क और जयपुर चौपाटी जैसे प्रोजेक्ट भी बना रहा है.

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