ETV Bharat / city

कर्नल बैंसला और संघर्ष समिति आंदोलन की राह छोड़ वार्ता के लिए आगे आएं : अशोक चांदना - राजस्थान ताजा हिंदी खबरे

प्रदेश के युवा एवं खेल मामलात मंत्री अशोक चांदना ने गुर्जर समाज के लोगों से अपील की है. गुर्जर आरक्षण आंदोलन को लेकर उन्होंने कहा कि सरकार ने उनकी मानने योग्य बातें मान ली हैं. कर्नल बैसला और संघर्ष समिति आंदोलन की राह छोड़कर वार्ता के लिए आगे आएं.

Ashok Chandna statement, Rajasthan Gurjar reservation movement
अशोक चांदना का बयान
author img

By

Published : Nov 5, 2020, 11:07 PM IST

जयपुर. बैकलॉग भरने की मांग को लेकर गुर्जर समाज पटरी डटा हुआ है. वहीं युवा एवं खेल मामलात राज्यमंत्री अशोक चांदना ने अपील करते हुए कहा है कि मानने योग्य सभी मांगों को सरकार ने मान लिया है. कर्नल बैंसला और संघर्ष समिति आंदोलन की राह छोड़ वार्ता के आगे आएं.

युवा एवं खेल मामलात राज्यमंत्री अशोक चांदना ने कहा है कि अति पिछड़ा वर्ग के शैक्षणिक, सामाजिक एवं आर्थिक विकास के लिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की पिछली दो सरकारों में कई महत्वपूर्ण कदम उठाए. साथ ही वर्तमान कार्यकाल में भी लगातार ऐसे फैसले लिए हैं, जिनसे ये वर्ग समाज की अग्रणी पंक्ति में खड़ा हो सके. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति की ओर से रखी गई. मांगों पर पूरी तत्परता से विचार कर मानने योग्य सभी मांगों को आगे बढ़कर मान लिया है. फिर भी राज्य सरकार के स्तर पर कानूनी रूप से संभव कोई मांग शेष है, तो कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला एवं संघर्ष समिति के सदस्य प्रदेश को आंदोलन से पैदा होने वाली कठिनाई में नहीं डालकर वार्ता करें. लोकतंत्र में बातचीत से ही किसी भी समस्या का हल संभव है.

पढ़ें- गुर्जर आरक्षण आंदोलन के 5वें दिन भी नहीं निकला कोई हल, दूसरे खेमे ने की आंदोलन समाप्त करने की अपील

चांदना ने कहा है कि अति पिछड़ा वर्ग के उत्थान के लिए पूरी संवेदनशील सोच रखते हुए गुर्जर, राईका, बंजारा, गाड़िया लुहार एवं गड़रिया के लिए 5 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान, 10 आवासीय विद्यालयों का निर्माण, आरक्षण के दौरान दर्ज मुकदमों का निस्तारण, मृतकों के परिवारजनों को आर्थिक सहायता, देवनारायण योजना में विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति, सरकारी भर्तियों में नियुक्ति जैसे बडे़ निर्णय लिए हैं. वर्तमान सरकार के कार्यकाल में अति पिछड़ा वर्ग के अभ्यर्थियों को 2491 नियुक्तियां दी जा चुकी हैं और प्रक्रियाधीन भर्तियों में 1356 पद इस वर्ग के लिए आरक्षित हैं.

सुप्रीम कोर्ट में प्रकरण विचाराधीन होने के बावजूद भी एमबीसी वर्ग के 1252 अभ्यर्थियों को नियमित वेतन श्रृंखला दिए जाने का निर्णय लिया गया है. इन निर्णयों से अति पिछड़ा वर्ग की तरक्की के रास्ते खुले हैं. चांदना ने कहा कि अति पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षण से सम्बंधित प्रावधान को 9 वीं अनुसूची में शामिल करने के लिए पूर्व में भारत सरकार को 22 फरवरी 2019 एवं 21 अक्टूबर 2020 को पत्र लिखा गया है. अब तीसरी बार फिर भारत सरकार को पत्र लिखा जा रहा है.

पढ़ें- गुर्जर आरक्षण आंदोलन : मेनिफेस्टो ही बना गहलोत सरकार के गले की फांस...

उन्होंने कहा कि यह निर्णय केंद्र सरकार के स्तर से होना है. आरक्षण संघर्ष समिति एवं समाज के लोग इसके लिए केंद्र सरकार से संवाद भी करें. उन्होंने कहा कि कैलाश गुर्जर, मान सिंह गुर्जर और बद्री गुर्जर के परिवार जनों को 5-5 लाख रुपये की आर्थिक सहायता तथा परिवार के एक-एक सदस्य को नगर परिषद/नगर निगम में नौकरी दिए जाने का निर्णय भी ले लिया गया है. चांदना ने कहा है कि राज्य सरकार ने कानूनी रूप से संभव सभी मांगें मान ली हैं. इसके बावजूद आंदोलन जारी रखना उचित नहीं है. आंदोलन से आम आदमी को बहुत परेशानी का सामना करना पड़ता है. बीमार, परीक्षार्थी एवं अन्य अतिआवश्यक कार्य से आने-जाने वाले व्यक्तियों को बेहद पीड़ा से गुजरना पड़ता है. आंदोलन के कारण व्यक्तियों को कई बार ऐसी हानि का सामना करना पड़ता है, जिसकी भरपाई पूरे जीवनभर नहीं हो सकती. उन्होंने कहा है कि आंदोलन के दौरान कई बार परिस्थितिवश दर्ज होने वाले मुकदमे भी युवाओं की नौकरी में बाधा बनते हैं, जो पीड़ादायक होता है. साथ ही बार-बार आंदोलन से पूरे समाज की छवि को भी नुकसान होता है.

चांदना ने कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला, संघर्ष समिति तथा समाज के लोगों से पुनः अनुरोध किया है कि वे आंदोलन का रास्ता छोड़कर वार्ता के लिए आगे आएं. राज्य सरकार पूरी तरह से संवेदनशील है.

जयपुर. बैकलॉग भरने की मांग को लेकर गुर्जर समाज पटरी डटा हुआ है. वहीं युवा एवं खेल मामलात राज्यमंत्री अशोक चांदना ने अपील करते हुए कहा है कि मानने योग्य सभी मांगों को सरकार ने मान लिया है. कर्नल बैंसला और संघर्ष समिति आंदोलन की राह छोड़ वार्ता के आगे आएं.

युवा एवं खेल मामलात राज्यमंत्री अशोक चांदना ने कहा है कि अति पिछड़ा वर्ग के शैक्षणिक, सामाजिक एवं आर्थिक विकास के लिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की पिछली दो सरकारों में कई महत्वपूर्ण कदम उठाए. साथ ही वर्तमान कार्यकाल में भी लगातार ऐसे फैसले लिए हैं, जिनसे ये वर्ग समाज की अग्रणी पंक्ति में खड़ा हो सके. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति की ओर से रखी गई. मांगों पर पूरी तत्परता से विचार कर मानने योग्य सभी मांगों को आगे बढ़कर मान लिया है. फिर भी राज्य सरकार के स्तर पर कानूनी रूप से संभव कोई मांग शेष है, तो कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला एवं संघर्ष समिति के सदस्य प्रदेश को आंदोलन से पैदा होने वाली कठिनाई में नहीं डालकर वार्ता करें. लोकतंत्र में बातचीत से ही किसी भी समस्या का हल संभव है.

पढ़ें- गुर्जर आरक्षण आंदोलन के 5वें दिन भी नहीं निकला कोई हल, दूसरे खेमे ने की आंदोलन समाप्त करने की अपील

चांदना ने कहा है कि अति पिछड़ा वर्ग के उत्थान के लिए पूरी संवेदनशील सोच रखते हुए गुर्जर, राईका, बंजारा, गाड़िया लुहार एवं गड़रिया के लिए 5 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान, 10 आवासीय विद्यालयों का निर्माण, आरक्षण के दौरान दर्ज मुकदमों का निस्तारण, मृतकों के परिवारजनों को आर्थिक सहायता, देवनारायण योजना में विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति, सरकारी भर्तियों में नियुक्ति जैसे बडे़ निर्णय लिए हैं. वर्तमान सरकार के कार्यकाल में अति पिछड़ा वर्ग के अभ्यर्थियों को 2491 नियुक्तियां दी जा चुकी हैं और प्रक्रियाधीन भर्तियों में 1356 पद इस वर्ग के लिए आरक्षित हैं.

सुप्रीम कोर्ट में प्रकरण विचाराधीन होने के बावजूद भी एमबीसी वर्ग के 1252 अभ्यर्थियों को नियमित वेतन श्रृंखला दिए जाने का निर्णय लिया गया है. इन निर्णयों से अति पिछड़ा वर्ग की तरक्की के रास्ते खुले हैं. चांदना ने कहा कि अति पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षण से सम्बंधित प्रावधान को 9 वीं अनुसूची में शामिल करने के लिए पूर्व में भारत सरकार को 22 फरवरी 2019 एवं 21 अक्टूबर 2020 को पत्र लिखा गया है. अब तीसरी बार फिर भारत सरकार को पत्र लिखा जा रहा है.

पढ़ें- गुर्जर आरक्षण आंदोलन : मेनिफेस्टो ही बना गहलोत सरकार के गले की फांस...

उन्होंने कहा कि यह निर्णय केंद्र सरकार के स्तर से होना है. आरक्षण संघर्ष समिति एवं समाज के लोग इसके लिए केंद्र सरकार से संवाद भी करें. उन्होंने कहा कि कैलाश गुर्जर, मान सिंह गुर्जर और बद्री गुर्जर के परिवार जनों को 5-5 लाख रुपये की आर्थिक सहायता तथा परिवार के एक-एक सदस्य को नगर परिषद/नगर निगम में नौकरी दिए जाने का निर्णय भी ले लिया गया है. चांदना ने कहा है कि राज्य सरकार ने कानूनी रूप से संभव सभी मांगें मान ली हैं. इसके बावजूद आंदोलन जारी रखना उचित नहीं है. आंदोलन से आम आदमी को बहुत परेशानी का सामना करना पड़ता है. बीमार, परीक्षार्थी एवं अन्य अतिआवश्यक कार्य से आने-जाने वाले व्यक्तियों को बेहद पीड़ा से गुजरना पड़ता है. आंदोलन के कारण व्यक्तियों को कई बार ऐसी हानि का सामना करना पड़ता है, जिसकी भरपाई पूरे जीवनभर नहीं हो सकती. उन्होंने कहा है कि आंदोलन के दौरान कई बार परिस्थितिवश दर्ज होने वाले मुकदमे भी युवाओं की नौकरी में बाधा बनते हैं, जो पीड़ादायक होता है. साथ ही बार-बार आंदोलन से पूरे समाज की छवि को भी नुकसान होता है.

चांदना ने कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला, संघर्ष समिति तथा समाज के लोगों से पुनः अनुरोध किया है कि वे आंदोलन का रास्ता छोड़कर वार्ता के लिए आगे आएं. राज्य सरकार पूरी तरह से संवेदनशील है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.