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वर्ल्ड कैंसर डेः दृढ़ इच्छा शक्ति से नानगराम ने कैंसर को दिया 'मात' - Cancer disease

राजस्थान के जयपुर में रहने वाले एक साधारण व्यक्ति नानगराम ने अपनी दृढ़ इच्छा और मजबूत इरादों के साथ कैंसर पर जीत हासिल की है. आईए जानते हैं नानगराम की कहानी...

वर्ल्ड कैंसर डे,  World cancer day
वर्ल्ड कैंसर डे
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Published : Feb 4, 2020, 12:09 AM IST

जयपुर. विश्व भर में 4 फरवरी को वर्ल्ड कैंसर डे के रूप में मनाया जाता है. इस बार की थीम है ‘आई एम एंड आई विल’...यानि की मैं हूं और मैं करुंगा. जयपुर के रहने वाले साधारण से व्यक्ति नानगराम ने अपनी दृढ़ इच्छा और मजबूत इरादों के साथ कैंसर पर जीत हासिल की है.

नानगराम ने कैंसर को दी मात, देखें स्पेशल स्टोरी

गरीबी में जीवन यापन करने वाले नानगराम को जब यह पता चला कि उसे गले का कैंसर है तो उसके परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा. कैंसर पीड़ित होने के बाद नानगराम हर जगह इलाज कराने पहुंचा, लेकिन आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने के कारण इलाज नहीं करवा पाया. उस समय नानगराम एक चाय की दुकान पर नौकरी किया करता था, ऐसे मुश्किल वक्त में नानगराम को हौसला दिया उसके दुकान मालिक प्रदीप सोमानी ने.

पढ़ें- स्पेशल रिपोर्ट: कैंसर पर 'विजय' पाएंगे बीकानेर के डॉक्टर, समय रहते चल जाएगा पता

4 साल इलाज के बाद नानगराम हुआ स्वस्थ

कैंसर पीड़ित नानगराम का शुरुआती इलाज का खर्च प्रदीप सोमानी ने उठाया, लेकिन इलाज के लिए इतना काफी नहीं था. ऐसे में नानगराम की दृढ़ इच्छा को देखते हुए प्रयास किए गए. इसके लिए मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री राहत कोष से इलाज के लिए पैसों का इंतजाम किया गया. करीब 3 से 4 साल तक इलाज चलने के बाद नानगराम एकदम स्वस्थ हो गया.

इलाज में देरी के कारण निकालना पड़ा वोकल कॉर्ड

हालांकि, इलाज में कुछ देरी हो जाने के कारण नानगराम का वोकल कॉर्ड निकालना पड़ा, जिसके बाद अब वह बोल नहीं सकता. लेकिन अपनी दृढ़ इच्छा और मजबूत इरादों के चलते कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी पर नानगराम ने जीत हासिल की है और आज 17 साल बाद भी स्वस्थ जीवन व्यतीत कर रहा है.

पढ़ें- वेंटिलेटर के अभाव में कैंसर पीड़ित की मौत, NRI परिवार ने PM मोदी और CM गहलोत से मांगा जवाब, कहा- भरता हूं 50 लाख टैक्स

सामाजिक संस्थाएं भी कैंसर मरीजों के लिए कर रही है काम

सरकार की ओर से कैंसर पीड़ित मरीजों को सुविधाएं दी जा रही है, तो वहीं कुछ सामाजिक संस्थाएं ऐसी भी हैं जो नानगराम जैसे कैंसर पीड़ित मरीजों के लिए काम कर रही है. ऐसी ही एक सामाजिक कार्यकर्ता श्यामला कुमारी हैं.

उन्होंने बताया कि पिछले 15 साल से अधिक समय से कैंसर से पीड़ित मरीजों के लिए भी काम कर रही है. कैंसर पीड़ित मरीजों को घर पर ही दवाइयां उपलब्ध करवाना और उनके बच्चों को पढ़ाई लिखाई करवाने का काम उनकी संस्था की ओर से किया जाता है.

जयपुर. विश्व भर में 4 फरवरी को वर्ल्ड कैंसर डे के रूप में मनाया जाता है. इस बार की थीम है ‘आई एम एंड आई विल’...यानि की मैं हूं और मैं करुंगा. जयपुर के रहने वाले साधारण से व्यक्ति नानगराम ने अपनी दृढ़ इच्छा और मजबूत इरादों के साथ कैंसर पर जीत हासिल की है.

नानगराम ने कैंसर को दी मात, देखें स्पेशल स्टोरी

गरीबी में जीवन यापन करने वाले नानगराम को जब यह पता चला कि उसे गले का कैंसर है तो उसके परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा. कैंसर पीड़ित होने के बाद नानगराम हर जगह इलाज कराने पहुंचा, लेकिन आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने के कारण इलाज नहीं करवा पाया. उस समय नानगराम एक चाय की दुकान पर नौकरी किया करता था, ऐसे मुश्किल वक्त में नानगराम को हौसला दिया उसके दुकान मालिक प्रदीप सोमानी ने.

पढ़ें- स्पेशल रिपोर्ट: कैंसर पर 'विजय' पाएंगे बीकानेर के डॉक्टर, समय रहते चल जाएगा पता

4 साल इलाज के बाद नानगराम हुआ स्वस्थ

कैंसर पीड़ित नानगराम का शुरुआती इलाज का खर्च प्रदीप सोमानी ने उठाया, लेकिन इलाज के लिए इतना काफी नहीं था. ऐसे में नानगराम की दृढ़ इच्छा को देखते हुए प्रयास किए गए. इसके लिए मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री राहत कोष से इलाज के लिए पैसों का इंतजाम किया गया. करीब 3 से 4 साल तक इलाज चलने के बाद नानगराम एकदम स्वस्थ हो गया.

इलाज में देरी के कारण निकालना पड़ा वोकल कॉर्ड

हालांकि, इलाज में कुछ देरी हो जाने के कारण नानगराम का वोकल कॉर्ड निकालना पड़ा, जिसके बाद अब वह बोल नहीं सकता. लेकिन अपनी दृढ़ इच्छा और मजबूत इरादों के चलते कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी पर नानगराम ने जीत हासिल की है और आज 17 साल बाद भी स्वस्थ जीवन व्यतीत कर रहा है.

पढ़ें- वेंटिलेटर के अभाव में कैंसर पीड़ित की मौत, NRI परिवार ने PM मोदी और CM गहलोत से मांगा जवाब, कहा- भरता हूं 50 लाख टैक्स

सामाजिक संस्थाएं भी कैंसर मरीजों के लिए कर रही है काम

सरकार की ओर से कैंसर पीड़ित मरीजों को सुविधाएं दी जा रही है, तो वहीं कुछ सामाजिक संस्थाएं ऐसी भी हैं जो नानगराम जैसे कैंसर पीड़ित मरीजों के लिए काम कर रही है. ऐसी ही एक सामाजिक कार्यकर्ता श्यामला कुमारी हैं.

उन्होंने बताया कि पिछले 15 साल से अधिक समय से कैंसर से पीड़ित मरीजों के लिए भी काम कर रही है. कैंसर पीड़ित मरीजों को घर पर ही दवाइयां उपलब्ध करवाना और उनके बच्चों को पढ़ाई लिखाई करवाने का काम उनकी संस्था की ओर से किया जाता है.

Intro:जयपुर- विश्व भर में 4 फरवरी को वर्ल्ड कैंसर डे के रूप में मनाया जाता है जहां विश्व की कैंसर पीड़ित बड़ी हस्तियों ने इस बीमारी को मात दी है तो वही जयपुर के रहने वाले साधारण से व्यक्ति नानगराम ने भी अपनी दृढ़ इच्छा और मजबूत इरादों के साथ कैंसर पर विजय हासिल की है


Body: वीओ 1-गरीबी में जीवन यापन करने वाले नानगराम को जब यह पता चला कि उसे गले का कैंसर है तो उसके परिवार पर पहाड़ टूट पड़ा। कैंसर पीड़ित होने के बाद नानगराम हर जगह इलाज कराने पहुंचा लेकिन आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने के चलते इलाज नहीं करवा पाया। उस समय नानगराम एक चाय की दुकान पर नौकरी किया करता था ऐसे मुश्किल वक्त में नानगराम को हौसला दिया उसके दुकान मालिक प्रदीप सोमानी ने। कैंसर पीड़ित नानगराम का शुरुआती इलाज का खर्च प्रदीप सोमानी ने उठाया। लेकिन इलाज के लिए इतना काफी नहीं था ऐसे में नानगराम दृढ़ इच्छा को देखते हुए प्रयास किए गए और मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री राहत से इलाज के लिए पैसों का इंतजाम किया गया और करीब 3 से 4 साल तक इलाज चलने के बाद नानगराम एकदम स्वस्थ हो गया हालांकि इलाज में कुछ देरी हो जाने के चलते उसका वोकल कॉर्ड निकालना पड़ा जिसके बाद अब नानगराम बोल नहीं सकता लेकिन उसकी दृढ़ इच्छा और मजबूत इरादों के चलते ही उसने कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी पर विजय हासिल की है और आज 17 साल बाद भी स्वास्थ्य जीवन व्यतीत कर रहा है
बाईट- प्रदीप सोमानी, (नानगराम बोल नही सकते ऐसे में दुकान मालिक से बाईट के रूप में जानकारी ली है)

वीओ 2- जहां सरकार की ओर से कैंसर पीड़ित मरीजों को सुविधाएं दी जा रही है तो वहीं कुछ सामाजिक संस्थाएं ऐसी भी है जो नानगराम जैसे कैंसर पीड़ित मरीजों के लिए काम कर रही है ऐसी ही एक सामाजिक कार्यकर्ता है श्यामला कुमारी । श्यामला कुमारी ने बताया कि पिछले 15 साल से अधिक समय से कैंसर से पीड़ित मरीजों के लिए भी काम कर रही है और कैंसर पीड़ित मरीजों को घर पर ही दवाइयां उपलब्ध करवाना और उनके बच्चों को पढ़ाई लिखाई करवाने का काम उनकी संस्था की ओर से किया जाता है
बाईट- श्यामला कुमारी सामाजिक कार्यकर्ता

फाइनल वीओ- भले ही विश्व की बड़ी-बड़ी हस्तियों ने अपनी दृढ़ इच्छा शक्ति से कैंसर जैसी बीमारी को मात दी हो लेकिन जयपुर के साधारण से व्यक्ति नानगराम कैंसर पीड़ितों के लिए एक मिसाल है


Conclusion:
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