जयपुर. विश्व भर में 4 फरवरी को वर्ल्ड कैंसर डे के रूप में मनाया जाता है. इस बार की थीम है ‘आई एम एंड आई विल’...यानि की मैं हूं और मैं करुंगा. जयपुर के रहने वाले साधारण से व्यक्ति नानगराम ने अपनी दृढ़ इच्छा और मजबूत इरादों के साथ कैंसर पर जीत हासिल की है.
गरीबी में जीवन यापन करने वाले नानगराम को जब यह पता चला कि उसे गले का कैंसर है तो उसके परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा. कैंसर पीड़ित होने के बाद नानगराम हर जगह इलाज कराने पहुंचा, लेकिन आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने के कारण इलाज नहीं करवा पाया. उस समय नानगराम एक चाय की दुकान पर नौकरी किया करता था, ऐसे मुश्किल वक्त में नानगराम को हौसला दिया उसके दुकान मालिक प्रदीप सोमानी ने.
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4 साल इलाज के बाद नानगराम हुआ स्वस्थ
कैंसर पीड़ित नानगराम का शुरुआती इलाज का खर्च प्रदीप सोमानी ने उठाया, लेकिन इलाज के लिए इतना काफी नहीं था. ऐसे में नानगराम की दृढ़ इच्छा को देखते हुए प्रयास किए गए. इसके लिए मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री राहत कोष से इलाज के लिए पैसों का इंतजाम किया गया. करीब 3 से 4 साल तक इलाज चलने के बाद नानगराम एकदम स्वस्थ हो गया.
इलाज में देरी के कारण निकालना पड़ा वोकल कॉर्ड
हालांकि, इलाज में कुछ देरी हो जाने के कारण नानगराम का वोकल कॉर्ड निकालना पड़ा, जिसके बाद अब वह बोल नहीं सकता. लेकिन अपनी दृढ़ इच्छा और मजबूत इरादों के चलते कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी पर नानगराम ने जीत हासिल की है और आज 17 साल बाद भी स्वस्थ जीवन व्यतीत कर रहा है.
सामाजिक संस्थाएं भी कैंसर मरीजों के लिए कर रही है काम
सरकार की ओर से कैंसर पीड़ित मरीजों को सुविधाएं दी जा रही है, तो वहीं कुछ सामाजिक संस्थाएं ऐसी भी हैं जो नानगराम जैसे कैंसर पीड़ित मरीजों के लिए काम कर रही है. ऐसी ही एक सामाजिक कार्यकर्ता श्यामला कुमारी हैं.
उन्होंने बताया कि पिछले 15 साल से अधिक समय से कैंसर से पीड़ित मरीजों के लिए भी काम कर रही है. कैंसर पीड़ित मरीजों को घर पर ही दवाइयां उपलब्ध करवाना और उनके बच्चों को पढ़ाई लिखाई करवाने का काम उनकी संस्था की ओर से किया जाता है.