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National Doctors Day: कोरोना काल में धरती के 'भगवान' ने खुद भी दिखाई हिम्मत और मरीजों को भी दिया हौसला

1 जुलाई को हर साल राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस मनाया जाता है. कोरोना के संकट काल में रेजिडेंट डॉक्टर्स ने कोरोना योद्धा के रूप में अहम भूमिका निभाई हैं. मरीजों की सेवा और देखभाल के अलावा चिकित्सकों ने उनकी हौसला अफजाई भी की है. जिससे उनका मनोबल बना रहे. देखिए ये स्पेशल रिपोर्ट...

National Doctors Day, Dr. Bidhan Chandra Roy, Sawai Mansingh Hospital
राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस पर स्पेशल रिपोर्ट
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Published : Jul 1, 2020, 7:03 AM IST

जयपुर. 1 जुलाई को हर साल राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस (National Doctors Day) मनाया है. कोरोना के संकट काल में डॉक्टर्स एक योद्धा के रूप में सामने आए हैं. चिकित्सकों ने संकट की इस घड़ी में मोर्चा संभालकर महामारी से लड़ाई को जारी रखा है.

आज हम बात करेंगे जयपुर के सवाई मानसिंह मेडिकल कॉलेज के रेजिडेंट चिकित्सकों की, जो SMS अस्पताल की रीढ़ की हड्डी भी कहे जाते हैं. इन्हीं रेजिडेंट चिकित्सकों ने कोरोना काल में एसएमएस अस्पताल में मोर्चा संभाला और कोरोना जैसी महामारी से दो-दो हाथ किए. इस दौरान रेजिडेंट चिकित्सक भी इलाज के दौरान पॉजिटिव हुए. लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और अपना काम जारी रखा.

राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस पर स्पेशल रिपोर्ट

जरूरतमंदों को उपलब्ध करवाया ब्लड

प्रदेश में लॉकडाउन के दौरान सवाई मानसिंह अस्पताल में जरूरतमंद मरीजों को ब्लड की आवश्यकता पड़ी, तो रेजिडेंट चिकित्सकों ने आगे आकर मुहिम चलाई और जरूरतमंदों को ब्लड उपलब्ध कराया. साथ ही गंभीर बीमारियों से जूझ रहे मरीजों की जान भी बचाई. जयपुर एसोसिएशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स के चिकित्सक डॉ. अजीत बागड़ा ने बताया कि कोरोना काल के दौरान रेजिडेंट चिकित्सकों ने अपनी जान की परवाह नहीं करते हुए एसएमएस अस्पताल में भर्ती कोरोना पॉजिटिव मरीजों का इलाज किया.

ये भी पढ़ें- SPECIAL: अलवर में रंग लाई ETV Bharat की मुहिम, तालाब में पानी आने से गांव में बढ़ा भूमिगत जलस्तर

यही नहीं इस दौरान करीब 2 महीने तक वे अपने परिवार वालों से भी दूर रहे. उन्होंने बताया कि इलाज के दौरान कुछ रेजिडेंट चिकित्सक खुद भी इस बीमारी की चपेट में आए. लेकिन कोरोना को मात देकर एक बार फिर वे मरीजों की सेवा में जुट गए. बता दें कि सवाई मानसिंह मेडिकल कॉलेज का एक रेजिडेंट चिकित्सक आमतौर पर 20 से 30 घंटे लगातार अपनी ड्यूटी करता है.

कविताओं के माध्यम से बढ़ाया हौसला

जयपुर में स्थित ईएसआई मॉडल हॉस्पिटल के चिकित्सक डॉक्टर अखिलेश जैन वैसे तो वरिष्ठ मनोचिकित्सक हैं, लेकिन कोरोना काल में डॉ. जैन ने अपनी कविताओं के माध्यम से चिकित्साकर्मियों का हौसला बढ़ाया. हाल ही में जब लॉकडाउन खुला तो उन्होंने अपनी एक कविता के माध्यम से आमजन को संदेश दिया.

जिसमें लिखा है, 'संयम ही था हम सबका ये जो कोरोना कमजोर हुआ, किंतु ध्यान रहे सबको यह अभी नहीं है दूर हुआ' कुछ इस तरह की कविताओं के माध्यम से डॉक्टर अखिलेश ने कोरोना वारियर्स और ईएसआई अस्पताल में भर्ती कोरोना पॉजिटिव मरीजों का हौसला बढ़ाया.

ये भी पढ़ें- गहलोत सरकार खिलाड़ियों को देने जा रही सरकारी नौकरी का तोहफा

भीलवाड़ा में डॉक्टरों का डांस VIRAL

राजस्थान में सबसे पहले कोरोना की शुरुआत भीलवाड़ा जिले से हुई थी. जहां लगातार मरीजों का आंकड़ा दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा था. ऐसे में लोगों की देखरेख के साथ-साथ डॉक्टर्स कोरोना वार्ड में मुस्तैदी के साथ मोर्चा संभाले हुए थे. वहीं, इसके बीच डॉक्टर्स का एक डांस का वीडियो वायरल हुआ. जिसमें उन्होंने यह संदेश दिया कि इस महामारी से खौफ ना रखें, बल्कि हंसते-मुस्कुराते रहें.

इस वीडियो को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से लेकर पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और कई अन्य नेताओं ने सोशल मीडिया पर शेयर करते हुए चिकित्सकों की हौसला अफजाई की थी.

क्यों मनाया जाता है नेशनल डॉक्टर्स-डे

देश में हर साल प्रसिद्ध चिकित्सक डॉ. बिधान चंद्र रॉय को श्रद्धांजलि और सम्मान देने के लिए राष्ट्रीय डॉक्टर्स-जे मनाया जाता है. महान चिकित्सक और स्वतंत्रता सेनानी डॉ. बिधान चंद्र रॉय के सम्मान में भारत में इसकी शुरुआत 1991 में तत्कालिक सरकार द्वारा की गई थी. तब से हर साल 1 जुलाई को नेशनल डॉक्टर्स डे मनाया जाता है. कहा जाता है कि वे जब तक जीवित रहे तब तक उन्होंने लोगों का मुफ्त में ही इलाज किया. डॉ. बिधान चंद्र स्वतंत्रता सेनानी और पश्चिम बंगाल के दूसरे मुख्यमंत्री भी रहे.

जयपुर. 1 जुलाई को हर साल राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस (National Doctors Day) मनाया है. कोरोना के संकट काल में डॉक्टर्स एक योद्धा के रूप में सामने आए हैं. चिकित्सकों ने संकट की इस घड़ी में मोर्चा संभालकर महामारी से लड़ाई को जारी रखा है.

आज हम बात करेंगे जयपुर के सवाई मानसिंह मेडिकल कॉलेज के रेजिडेंट चिकित्सकों की, जो SMS अस्पताल की रीढ़ की हड्डी भी कहे जाते हैं. इन्हीं रेजिडेंट चिकित्सकों ने कोरोना काल में एसएमएस अस्पताल में मोर्चा संभाला और कोरोना जैसी महामारी से दो-दो हाथ किए. इस दौरान रेजिडेंट चिकित्सक भी इलाज के दौरान पॉजिटिव हुए. लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और अपना काम जारी रखा.

राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस पर स्पेशल रिपोर्ट

जरूरतमंदों को उपलब्ध करवाया ब्लड

प्रदेश में लॉकडाउन के दौरान सवाई मानसिंह अस्पताल में जरूरतमंद मरीजों को ब्लड की आवश्यकता पड़ी, तो रेजिडेंट चिकित्सकों ने आगे आकर मुहिम चलाई और जरूरतमंदों को ब्लड उपलब्ध कराया. साथ ही गंभीर बीमारियों से जूझ रहे मरीजों की जान भी बचाई. जयपुर एसोसिएशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स के चिकित्सक डॉ. अजीत बागड़ा ने बताया कि कोरोना काल के दौरान रेजिडेंट चिकित्सकों ने अपनी जान की परवाह नहीं करते हुए एसएमएस अस्पताल में भर्ती कोरोना पॉजिटिव मरीजों का इलाज किया.

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यही नहीं इस दौरान करीब 2 महीने तक वे अपने परिवार वालों से भी दूर रहे. उन्होंने बताया कि इलाज के दौरान कुछ रेजिडेंट चिकित्सक खुद भी इस बीमारी की चपेट में आए. लेकिन कोरोना को मात देकर एक बार फिर वे मरीजों की सेवा में जुट गए. बता दें कि सवाई मानसिंह मेडिकल कॉलेज का एक रेजिडेंट चिकित्सक आमतौर पर 20 से 30 घंटे लगातार अपनी ड्यूटी करता है.

कविताओं के माध्यम से बढ़ाया हौसला

जयपुर में स्थित ईएसआई मॉडल हॉस्पिटल के चिकित्सक डॉक्टर अखिलेश जैन वैसे तो वरिष्ठ मनोचिकित्सक हैं, लेकिन कोरोना काल में डॉ. जैन ने अपनी कविताओं के माध्यम से चिकित्साकर्मियों का हौसला बढ़ाया. हाल ही में जब लॉकडाउन खुला तो उन्होंने अपनी एक कविता के माध्यम से आमजन को संदेश दिया.

जिसमें लिखा है, 'संयम ही था हम सबका ये जो कोरोना कमजोर हुआ, किंतु ध्यान रहे सबको यह अभी नहीं है दूर हुआ' कुछ इस तरह की कविताओं के माध्यम से डॉक्टर अखिलेश ने कोरोना वारियर्स और ईएसआई अस्पताल में भर्ती कोरोना पॉजिटिव मरीजों का हौसला बढ़ाया.

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भीलवाड़ा में डॉक्टरों का डांस VIRAL

राजस्थान में सबसे पहले कोरोना की शुरुआत भीलवाड़ा जिले से हुई थी. जहां लगातार मरीजों का आंकड़ा दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा था. ऐसे में लोगों की देखरेख के साथ-साथ डॉक्टर्स कोरोना वार्ड में मुस्तैदी के साथ मोर्चा संभाले हुए थे. वहीं, इसके बीच डॉक्टर्स का एक डांस का वीडियो वायरल हुआ. जिसमें उन्होंने यह संदेश दिया कि इस महामारी से खौफ ना रखें, बल्कि हंसते-मुस्कुराते रहें.

इस वीडियो को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से लेकर पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और कई अन्य नेताओं ने सोशल मीडिया पर शेयर करते हुए चिकित्सकों की हौसला अफजाई की थी.

क्यों मनाया जाता है नेशनल डॉक्टर्स-डे

देश में हर साल प्रसिद्ध चिकित्सक डॉ. बिधान चंद्र रॉय को श्रद्धांजलि और सम्मान देने के लिए राष्ट्रीय डॉक्टर्स-जे मनाया जाता है. महान चिकित्सक और स्वतंत्रता सेनानी डॉ. बिधान चंद्र रॉय के सम्मान में भारत में इसकी शुरुआत 1991 में तत्कालिक सरकार द्वारा की गई थी. तब से हर साल 1 जुलाई को नेशनल डॉक्टर्स डे मनाया जाता है. कहा जाता है कि वे जब तक जीवित रहे तब तक उन्होंने लोगों का मुफ्त में ही इलाज किया. डॉ. बिधान चंद्र स्वतंत्रता सेनानी और पश्चिम बंगाल के दूसरे मुख्यमंत्री भी रहे.

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