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हिंदी दिवस विशेष: मातृ भाषा के प्रति लोगों को अपनी मानसिकता में लाना होगा बदलाव

14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाया जाता है. ऐसे में ईटीवी भारत ने आरयू के प्रोफेसर और हिंदी भाषा के विशेषज्ञ आरएन मीना के बात की. बातचीत में उन्होंने बताया कि हिंदी भाषा के लोगों से पिछड़ने के पीछे मानसिकता का फर्क है और मानसिकता की वजह से ही आज हिंदी भाषा को नुकसान हो रहा है.

hindi diwas Jaipur, हिंदी दिवस जयपुर
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Published : Sep 13, 2019, 10:14 PM IST

जयपुर. हिंदी दिवस पर हिंदी की वर्तमान दशा पर गहरी चिंता व्यक्त की गई तो उधर अंग्रेजी भाषा पर प्रहार भी किए गए. लेकिन शिक्षा अधिकारियों के बोल में साफ हो गया कि आज भी अंग्रेजी के बिना कहीं काम नहीं होते हैं. यहां तक कि आदेश भी हिंदी की बजाय अंग्रेजी में आते हैं. कोर्ट में अधिकतर देखा गया है कि आज भी सुनवाई अंग्रेजी भाषा में होती है. यहीं नहीं केंद्र और राज्य सरकार के अधिकतर दिशा-निर्देश भी अंग्रेजी में ही आते है. ऐसे में हिंदी भाषा का विकास कैसे संभव है.

आरयू के प्रोफेसर और हिंदी भाषा के विशेषज्ञ आरएन मीना के बातचीत

पढ़ें- हिंदी दिवस: कागजी आंकड़ों में तो है अव्वल... लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है..ठीक से दो शब्द भी नहीं लिख पाए बच्चे

इसको लेकर राजस्थान विश्विद्यालय के प्रोफेसर विनोद शर्मा ने बताया कि ये बात सत्य है कि हम हिंदी को जिंदा भी रखना चाहते है और बच्चों का एडमिशन अंग्रेजी स्कूल में भी करवाना चाहते है. इन सबके पीछे लोगों की मानसिकता का फर्क है और मानसिकता की वजह से ही आज हिंदी भाषा को नुकसान हो रहा है. लोगों को अपनी मानसिकता को बदलना चाहिए. विश्व में तीसरे नंबर पर बोली जाने वाली भाषा हिंदी इसलिए हिंदी बहुत महत्वपूर्ण भाषा है. विनोद शर्मा ने कहा कि विश्व मे व्यापार और रोजगार की दृष्टि से हिंदी का जो क्षेत्र है वो व्यापक है. चाइना जैसे देश में भी चीन भाषा के बाद कि हिंदी ही पढ़ाई जा रही है. हिंदी को बढ़ावा देने के लिए सरकार से लेकर लोगों को अपनी मानसिकता में बदलाव लाना होगा.

पढ़ें- हिन्दी और Hindi पत्रकारिता का भविष्य उज्जवल है : वरिष्ठ पत्रकार

वहीं उच्च शिक्षा के आरएन मीना ने बताया कि एक हजार साल का हिंदी का इतिहास है. वहीं हिंदी भाषा अनेकों भाषा मिलकर बनी है. उन्होंने हिंदी पर संकट का कारण बताते हुए कहा कि शहरीकरण बढ़ने से आज की पीढ़ी ये पता ही नहीं है कि कई बोलिया गांवों में ही छूटती जा रही है. हिंदी दिवस पर हिंदी को बढ़ावा देने के लिए सभी आवाज तो उठाते हैं लेकिन इस और आमजन से लेकर सरकार और मंत्री तक कितना अमल करते हैं यह देखने वाली बात है.

जयपुर. हिंदी दिवस पर हिंदी की वर्तमान दशा पर गहरी चिंता व्यक्त की गई तो उधर अंग्रेजी भाषा पर प्रहार भी किए गए. लेकिन शिक्षा अधिकारियों के बोल में साफ हो गया कि आज भी अंग्रेजी के बिना कहीं काम नहीं होते हैं. यहां तक कि आदेश भी हिंदी की बजाय अंग्रेजी में आते हैं. कोर्ट में अधिकतर देखा गया है कि आज भी सुनवाई अंग्रेजी भाषा में होती है. यहीं नहीं केंद्र और राज्य सरकार के अधिकतर दिशा-निर्देश भी अंग्रेजी में ही आते है. ऐसे में हिंदी भाषा का विकास कैसे संभव है.

आरयू के प्रोफेसर और हिंदी भाषा के विशेषज्ञ आरएन मीना के बातचीत

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इसको लेकर राजस्थान विश्विद्यालय के प्रोफेसर विनोद शर्मा ने बताया कि ये बात सत्य है कि हम हिंदी को जिंदा भी रखना चाहते है और बच्चों का एडमिशन अंग्रेजी स्कूल में भी करवाना चाहते है. इन सबके पीछे लोगों की मानसिकता का फर्क है और मानसिकता की वजह से ही आज हिंदी भाषा को नुकसान हो रहा है. लोगों को अपनी मानसिकता को बदलना चाहिए. विश्व में तीसरे नंबर पर बोली जाने वाली भाषा हिंदी इसलिए हिंदी बहुत महत्वपूर्ण भाषा है. विनोद शर्मा ने कहा कि विश्व मे व्यापार और रोजगार की दृष्टि से हिंदी का जो क्षेत्र है वो व्यापक है. चाइना जैसे देश में भी चीन भाषा के बाद कि हिंदी ही पढ़ाई जा रही है. हिंदी को बढ़ावा देने के लिए सरकार से लेकर लोगों को अपनी मानसिकता में बदलाव लाना होगा.

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वहीं उच्च शिक्षा के आरएन मीना ने बताया कि एक हजार साल का हिंदी का इतिहास है. वहीं हिंदी भाषा अनेकों भाषा मिलकर बनी है. उन्होंने हिंदी पर संकट का कारण बताते हुए कहा कि शहरीकरण बढ़ने से आज की पीढ़ी ये पता ही नहीं है कि कई बोलिया गांवों में ही छूटती जा रही है. हिंदी दिवस पर हिंदी को बढ़ावा देने के लिए सभी आवाज तो उठाते हैं लेकिन इस और आमजन से लेकर सरकार और मंत्री तक कितना अमल करते हैं यह देखने वाली बात है.

Intro:जयपुर हिंदी दिवस पर हिंदी की वर्तमान दशा पर गहरी चिंता व्यक्त की गई तो उधर अंग्रेजी भाषा कब पर प्रहार भी किए गए लेकिन शिक्षा अधिकारियों के बोल में साफ हो गया कि आज भी अंग्रेजी के बिना कहीं काम नहीं होते हैं यहां तक कि आदेश भी हिंदी की बजाय अंग्रेजी में आते हैं


Body:कोर्ट में अधिकतर देखा गया है कि आज भी सुनवाई अंग्रेजी भाषा में होती है यही नहीं केंद्र और राज्य सरकार के अधिकतर दिशा-निर्देश भी अंग्रेजी में ही आते है। ऐसे में हिंदी भाषा का विकास कैसे संभव है। इसको लेकर राजस्थान विश्विद्यालय के प्रोफेसर विनोद शर्मा ने बताया कि ये बात सत्य है कि हम हिंदी को जिंदा भी रखना चाहते है और बच्चों का एडमिशन अंग्रेजी स्कूल में भी करवाना चाहते है। इन सबके पीछे लोगों की मानसिकता का फर्क है और मानसिकता की वजह से ही आज हिंदी भाषा को नुकसान हो रहा है। लोगों को अपनी मानसिकता को बदलना चाहिए। विश्व मे दूसरे नंबर पर बोली जाने वाली भाषा हिंदी इसलिए हिंदी बहुत महत्वपूर्ण भाषा है। विनोद शर्मा ने कहा कि विश्व मे व्यापार और रोजगार की दृष्टि से हिंदी का जो क्षेत्र है वो व्यापक है। चाइना जैसे देश मे भी चीन भाषा के बाद कि हिंदी ही पढ़ाई जा रही है। हिंदी को बढ़ावा देने के लिए सरकार से लेकर लोगों को अपनी मानसिकता में बदलाव लाना होगा।

वही उच्च शिक्षा के आरएन मीना ने बताया कि एक हजार साल का हिंदी का इतिहास है। वही हिंदी भाषा अनेकों भाषा मिलकर बनी है। उन्होंने हिंदी पर संकट का कारण बताते हुए कहा कि शहरीकरण बढ़ने से आज की पीढ़ी ये पता ही नहीं है कि कई बोलिया गांवों में ही छूटती जा रही है।


Conclusion:हिंदी दिवस पर हिंदी को बढ़ावा देने के लिए सभी आवाज तो उठाते हैं लेकिन इस और आमजन से लेकर सरकार और मंत्री तक कितना अमल करते हैं यह देखने वाली बात है।

बाईट- विनोद शर्मा, प्रोफेसर, आरयू
बाईट- आरएन मीना, हिंदी एक्सपर्ट
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