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Special Report : चुनाव परिणाम से पहले इन वार्डों में भाजपा ने क्या मान ली हार ? यहां हुई पार्टी की हालत खराब... - rajasthan news

आगामी 28 जनवरी को प्रदेश के 20 जिलों के 90 निकायों में चुनाव है और 31 जनवरी को इसका परिणाम भी सबके सामने होगा, लेकिन मतदान से पहले नामांकन के दौरान ही भाजपा ने 3,035 वालों में से 498 वार्डों में अपनी हार मान ली. पार्टी ने इन वार्डों में अपने प्रत्याशी भी नहीं उतार पाई. इसमें सबसे ज्यादा प्रभावित जिला हनुमानगढ़ है. देखिये जयपुर से ये स्पेशल रिपोर्ट...

special report on rajasthan nikay chunav
राजस्थान निकाय चुनाव में भाजपा-कांग्रेस की स्थिति...
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Published : Jan 25, 2021, 10:27 PM IST

Updated : Jan 26, 2021, 2:16 AM IST

जयपुर. राजस्थान के 20 जिलों के 90 निकायों में चुनाव है और सभी दलों ने अपनी जमीनी पकड़ मजबूत बनाने के लिए कमर कस ली है. परिणाम अपने पक्ष में करने के लिए लगातार सियासी बैठकों का दौर जारी है और जीत के दावे किए जा रहे हैं. इन सबके बीच कुछ जगहों की बात करें तो भाजपा ने जैसे परिणाम से पहले ही अपनी हार मान ली हो, क्योंकि पार्टी ने कई वार्डों में अपने प्रत्याशी तक नहीं उतारी. इसमें सबसे ज्यादा प्रभावित जिला हनुमानगढ़ है.

राजस्थान निकाय चुनाव में भाजपा-कांग्रेस की स्थिति...

दरअसल, 90 निकायों में कुल 3,035 वार्डों के लिए चुनाव होना है. इसमें कांग्रेस के साथ भाजपा भी कुछ वार्डों में अपने प्रत्याशी नहीं उतार पाई. इसके पीछे कई सियासी कारण सामने आ रहे हैं. पहला बड़ा कारण स्थानीय स्तर पर प्रत्याशी चयन को लेकर मतभेद और दूसरा कारण सिंबल पर चुनाव लड़ने पर हार का खतरा. यूं तो चुनाव 20 जिलों के 90 निकायों में है, लेकिन सबसे ज्यादा प्रभावित जिला हनुमानगढ़ है, जहां भाजपा ने 185 वार्डों में से मात्र 79 में ही प्रत्याशी उतार पाई. सुजानगढ़

विधानसभा सीट जहां पर उपचुनाव बने हैं, वहां भी भाजपा 60 में से महज 46 वार्ड में ही अपने प्रत्याशी उतार पाई. मतलब वहां भी 14 वार्डों में उसे अपने प्रत्याशी नहीं मिले. अब ये बात और है कि भाजपा नेता इससे पार्टी रणनीति का ही एक हिस्सा करार देते हैं.

special report on rajasthan nikay chunav
भाजपा समर्थक प्रचार के दौरान (फाइल)

पढ़ें : BJP की कोर कमेटी सबने देखी, हमारे यहां कमेटी बनाने की जरूरत नहीं, एक ही हाथ में सत्ता : शांति धारीवाल

फिर इन निकाय चुनाव में भाजपा ने 498 वार्डों में अपना प्रत्याशी नहीं उतारे. ऐसे में इन वार्डों में किसी ना किसी निर्दलीयों को तो समर्थन देना ही होगा, लेकिन प्रतिपक्ष के उपनेता राजेंद्र राठौड़ कहते हैं कि भाजपा को किसी निर्दलीय की जरूरत पड़ेगी ही नहीं. पार्टी प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया इन निकायों में भाजपा का कमल खेलने का दावा भी करते हैं. ऐसे में सवाल यही है कि क्या उपनेता प्रतिपक्ष गलत बोल रहे हैं कि आपके पार्टी प्रदेश अध्यक्ष का दावा गलत है.

special report on rajasthan nikay chunav
सभी कर रहे जीत के दावे...

निकाय के चुनाव छोटे चुनाव होते हैं, लेकिन इसमें बड़े-बड़े नेता इस बार पसीना बहा रहे हैं. केवल भाजपा ही नहीं, बल्कि कांग्रेस ने भी इस बार इन चुनाव में 300 से अधिक वार्डों में अपने प्रत्याशी नहीं उतारे. ऐसे में यदि रणनीति का हिस्सा है तो फिर इसका फायदा पार्टी को मिलना चाहिए, लेकिन कभी यह पार्टी के भीतर के गतिरोध का नतीजा है तो आने वाली 31 जनवरी को निकाय चुनाव के परिणाम सामने आएंगे तो यह भी साफ हो जाएगा.

जयपुर. राजस्थान के 20 जिलों के 90 निकायों में चुनाव है और सभी दलों ने अपनी जमीनी पकड़ मजबूत बनाने के लिए कमर कस ली है. परिणाम अपने पक्ष में करने के लिए लगातार सियासी बैठकों का दौर जारी है और जीत के दावे किए जा रहे हैं. इन सबके बीच कुछ जगहों की बात करें तो भाजपा ने जैसे परिणाम से पहले ही अपनी हार मान ली हो, क्योंकि पार्टी ने कई वार्डों में अपने प्रत्याशी तक नहीं उतारी. इसमें सबसे ज्यादा प्रभावित जिला हनुमानगढ़ है.

राजस्थान निकाय चुनाव में भाजपा-कांग्रेस की स्थिति...

दरअसल, 90 निकायों में कुल 3,035 वार्डों के लिए चुनाव होना है. इसमें कांग्रेस के साथ भाजपा भी कुछ वार्डों में अपने प्रत्याशी नहीं उतार पाई. इसके पीछे कई सियासी कारण सामने आ रहे हैं. पहला बड़ा कारण स्थानीय स्तर पर प्रत्याशी चयन को लेकर मतभेद और दूसरा कारण सिंबल पर चुनाव लड़ने पर हार का खतरा. यूं तो चुनाव 20 जिलों के 90 निकायों में है, लेकिन सबसे ज्यादा प्रभावित जिला हनुमानगढ़ है, जहां भाजपा ने 185 वार्डों में से मात्र 79 में ही प्रत्याशी उतार पाई. सुजानगढ़

विधानसभा सीट जहां पर उपचुनाव बने हैं, वहां भी भाजपा 60 में से महज 46 वार्ड में ही अपने प्रत्याशी उतार पाई. मतलब वहां भी 14 वार्डों में उसे अपने प्रत्याशी नहीं मिले. अब ये बात और है कि भाजपा नेता इससे पार्टी रणनीति का ही एक हिस्सा करार देते हैं.

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भाजपा समर्थक प्रचार के दौरान (फाइल)

पढ़ें : BJP की कोर कमेटी सबने देखी, हमारे यहां कमेटी बनाने की जरूरत नहीं, एक ही हाथ में सत्ता : शांति धारीवाल

फिर इन निकाय चुनाव में भाजपा ने 498 वार्डों में अपना प्रत्याशी नहीं उतारे. ऐसे में इन वार्डों में किसी ना किसी निर्दलीयों को तो समर्थन देना ही होगा, लेकिन प्रतिपक्ष के उपनेता राजेंद्र राठौड़ कहते हैं कि भाजपा को किसी निर्दलीय की जरूरत पड़ेगी ही नहीं. पार्टी प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया इन निकायों में भाजपा का कमल खेलने का दावा भी करते हैं. ऐसे में सवाल यही है कि क्या उपनेता प्रतिपक्ष गलत बोल रहे हैं कि आपके पार्टी प्रदेश अध्यक्ष का दावा गलत है.

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सभी कर रहे जीत के दावे...

निकाय के चुनाव छोटे चुनाव होते हैं, लेकिन इसमें बड़े-बड़े नेता इस बार पसीना बहा रहे हैं. केवल भाजपा ही नहीं, बल्कि कांग्रेस ने भी इस बार इन चुनाव में 300 से अधिक वार्डों में अपने प्रत्याशी नहीं उतारे. ऐसे में यदि रणनीति का हिस्सा है तो फिर इसका फायदा पार्टी को मिलना चाहिए, लेकिन कभी यह पार्टी के भीतर के गतिरोध का नतीजा है तो आने वाली 31 जनवरी को निकाय चुनाव के परिणाम सामने आएंगे तो यह भी साफ हो जाएगा.

Last Updated : Jan 26, 2021, 2:16 AM IST
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