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जब सरकार को लगेगा आवश्यक वस्तुओं के दाम बढ़ रहे हैं, स्टॉक लिमिट तय की जाएगी : बीडी कल्ला - राजस्थान विधानसभा सत्र

केंद्रीय कृषि कानूनों के विरोध में राजस्थान में सोमवार को तीन संशोधन विधेयक पास किए गए. इनमें से एक आवश्यक वस्तु विशेष उपबंध और राजस्थान संशोधन विधेयक 2020 भी है. अब राज्य सरकार 100 प्रतिशत या 50 प्रतिशत कीमतों में वृद्धि का इंतजार नहीं करेगी, जब सरकार को लगेगा वह स्टॉक लिमिट तय कर सकती है.

special provisions and rajasthan amendment bill 2020,  rajasthan assembly
आवश्यक वस्तु विशेष उपबंध और राजस्थान संशोधन विधेयक 2020
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Published : Nov 2, 2020, 11:04 PM IST

जयपुर. केंद्रीय कृषि कानूनों के विरोध में राजस्थान में सोमवार को तीन संशोधन विधेयक पास किए गए. इनमें से एक आवश्यक वस्तु विशेष उपबंध और राजस्थान संशोधन विधेयक 2020 भी है. इस विधेयक के बारे में ऊर्जा मंत्री बीडी कल्ला ने कहा कि महात्मा गांधी के सिद्धांत पर यह कानून बनाया था कि आम आदमी के काम आने वाली चीजों में जमाखोरी को रोका जाए. लेकिन वर्तमान में केंद्र सरकार के नए आवश्यक वस्तु संशोधन अधिनियम 2020 में धारा 3 में उप धारा 1 को जोड़ा है.

बीडी कल्ला पार्ट - 1

केंद्र का कानून जमाखोरी को बढ़ाएगा...

इसमें आलू, प्याज, खाद्य तेल और तिलहन समेत छह वस्तुओं की कीमतों में अगर अप्रत्याशित वृद्धि होती है. अकाल, युद्ध और प्राकृतिक आपदा आती है तो ऐसे वक्त में केंद्र सरकार इन वस्तुओं के स्टॉक को लिमिट करने के बारे में नोटिफिकेशन जारी कर सकती है. उसमें भी दो शर्तें और लगाई गई हैं कि आलू और प्याज की कीमतों में 100% तक की वृद्धि हो तब जाकर वह इस संबंध में नोटिफिकेशन जारी करेंगे और स्टॉक की सीमा जारी करेंगे.

पढ़ें: गुर्जर आरक्षण आंदोलन: समस्या का हल बातचीत से निकलेगा, पटरियों पर नहीं: रघु शर्मा

दाल, दलहन और खाद्य तेल और तिलहन इन चारों की 50% कीमती जब वृद्धि होगी तब जाकर स्टॉक लिमिट को निर्धारित किया जाएगा. उन्होंने कहा कि नेता प्रतिपक्ष और उपनेता प्रतिपक्ष ने कहा कि इस कानून के बनने से आम आदमी को लाभ होगा जबकि हकीकत यह है कि 100% कीमतें बढ़ने पर केंद्र सरकार की आंखें खुलेगी और वह स्टॉक की कीमतें निर्धारित करेगी. ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि आम उपभोक्ता को कितना नुकसान होगा.

जब यह कानून बना था वह महंगाई को रोकने के लिए था. जब 10- 20% कीमती भी बढ़ती थी तो केंद्र की सरकार और राज्य सरकार हरकत में आ जाती थी और स्टॉक लिमिट निर्धारित करती थी. जिसकी पालना होती थी. हमारे यहां जमाखोरी और मुनाफाखोरी को रोकने का यह साधन था. अब मुनाफाखोरी और जमाखोरी की सीमा इससे बढ़ जाएगी और एक लाख करोड़ टन अनाज अगर कोई इकट्ठा करना चाहता है तो वह कर सकता है.

पढ़ें: लोकतंत्र में टकराव ठीक नहीं, केवल Revenue के लिए विरोध कर रही गहलोत सरकार : कटारिया

जब तक कि आलू और प्याज की 100% कीमत बढ़ेगी तब जाकर वह विचार करेंगे. इसमें भी 1 साल की खुदरा कीमत और 5 साल की खुदरा कीमत को आधार में लेकर स्टॉक की लिमिट निर्धारित की जाएगी. दलहन, अनाज, खाद्य तेल और तिलहन पर 50% की कीमत बढ़ने पर स्टॉक लिमिट तय की जाएगी. इसमें भी यह छूट दी गई है कि खाद्य पदार्थ प्रोसेसर, खेत से अंतिम खपत तक पैकेजिंग, उत्पादन, भंडारण, ट्रांसपोर्टेशन और डिसटीब्यूशन करने वाले व्यापारियों को उत्पादन क्षमता तक, निर्यातकों को उनकी निर्यात मात्रा तक स्टॉक लिमिट में छूट दी गई है. उसमें कोई स्टॉक लिमिट निर्धारित नहीं की जाएगी.

बीडी कल्ला पार्ट - 2

3, 4 लोग मिलकर पूरे देश को लूटेंगे

व्यापारियों को इसमें निजी लाभ की छूट दे दी गई है. इससे कृत्रिम अभाव पैदा किया जाएगा. केवल तीन, चार लोग मिलकर सामान बेचेगे और पूरे देश को लूटेंगे. इस कारण से राज्य सरकार ने उचित समझा यह कानून बनाया जाए इसी एक्ट में संविधान के आर्टिकल 254 की धारा 2 के अनुसार राष्ट्रपति की अनुमति से दूसरा कानून लागू किया जा सकता है. इससे पहले भी इसी अधिनियम की धारा 7 ए का राजस्थान अधिनियम 1960 लागू किया गया है.

पढ़ें: किसान को अब पूंजीपतियों के दरवाजे पर जाकर दस्तक देनी पड़ेगी: शांति धारीवाल

उसमें उन्हीं 6 वस्तुओं आलू, प्याज, अनाज, दाल, खाद्य तेल और तिलहन इन 6 वस्तुओं के बारे में प्राकृतिक आपदा कीमतों में वृद्धि अन्य किसी भी परिस्थिति के आधार पर कीमतों में वृद्धि होने पर राज्य सरकार अगर कोई भी व्यक्ति जमाखोरी या मुनाफाखोरी करता है तो ऐसे में राज्य के नए कानून के अनुसार आलू और प्याज की कीमतों में 100% वृद्धि को देखा जाए यह जरूरी नहीं है. ऐसे में राज्य सरकार 10%, 20% वृद्धि होने पर भी स्टॉक लिमिट तय कर सकती है.

जब सरकार के लगेगा कीमते बढ़ रही हैं स्टॉक लिमिट तय कर दी जाएगी

अनाज, दाल, तेल और तिलहन इसमें भी 50% तक की वृद्धि का वेट करना आवश्यक नहीं है. राज्य सरकार ने अधिकार अपने पास लिया है कि वह इसको विनियमित करें ताकी कीमतों में अनावश्यक वृद्धि ना हो और आवश्यक वस्तुओं की कीमतों को काबू में रखा जा सके. उन्होंने कहा कि हमने जो प्रावधान किया है. उसमें कीमत बढ़ोतरी का कोई पैमाना नहीं रखा है. केंद्र ने 100% और 50% कीमतें बढ़ने का पैमाना रखा है. हमने ऐसा नहीं किया है और हमने 4 कारण प्राकृतिक आपदा, कीमतों में वृद्धि, अकाल और प्राकृतिक आपदा में राज्य सरकार इस कानून के आधार पर कीमतों को कंट्रोल कर सकती हैं. हमने जो एक्ट बनाया है यह जून 2005 से नहीं लगेगा. यह फैक्टर नोटिफाई होने के बाद ही लागू होगा.

जयपुर. केंद्रीय कृषि कानूनों के विरोध में राजस्थान में सोमवार को तीन संशोधन विधेयक पास किए गए. इनमें से एक आवश्यक वस्तु विशेष उपबंध और राजस्थान संशोधन विधेयक 2020 भी है. इस विधेयक के बारे में ऊर्जा मंत्री बीडी कल्ला ने कहा कि महात्मा गांधी के सिद्धांत पर यह कानून बनाया था कि आम आदमी के काम आने वाली चीजों में जमाखोरी को रोका जाए. लेकिन वर्तमान में केंद्र सरकार के नए आवश्यक वस्तु संशोधन अधिनियम 2020 में धारा 3 में उप धारा 1 को जोड़ा है.

बीडी कल्ला पार्ट - 1

केंद्र का कानून जमाखोरी को बढ़ाएगा...

इसमें आलू, प्याज, खाद्य तेल और तिलहन समेत छह वस्तुओं की कीमतों में अगर अप्रत्याशित वृद्धि होती है. अकाल, युद्ध और प्राकृतिक आपदा आती है तो ऐसे वक्त में केंद्र सरकार इन वस्तुओं के स्टॉक को लिमिट करने के बारे में नोटिफिकेशन जारी कर सकती है. उसमें भी दो शर्तें और लगाई गई हैं कि आलू और प्याज की कीमतों में 100% तक की वृद्धि हो तब जाकर वह इस संबंध में नोटिफिकेशन जारी करेंगे और स्टॉक की सीमा जारी करेंगे.

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दाल, दलहन और खाद्य तेल और तिलहन इन चारों की 50% कीमती जब वृद्धि होगी तब जाकर स्टॉक लिमिट को निर्धारित किया जाएगा. उन्होंने कहा कि नेता प्रतिपक्ष और उपनेता प्रतिपक्ष ने कहा कि इस कानून के बनने से आम आदमी को लाभ होगा जबकि हकीकत यह है कि 100% कीमतें बढ़ने पर केंद्र सरकार की आंखें खुलेगी और वह स्टॉक की कीमतें निर्धारित करेगी. ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि आम उपभोक्ता को कितना नुकसान होगा.

जब यह कानून बना था वह महंगाई को रोकने के लिए था. जब 10- 20% कीमती भी बढ़ती थी तो केंद्र की सरकार और राज्य सरकार हरकत में आ जाती थी और स्टॉक लिमिट निर्धारित करती थी. जिसकी पालना होती थी. हमारे यहां जमाखोरी और मुनाफाखोरी को रोकने का यह साधन था. अब मुनाफाखोरी और जमाखोरी की सीमा इससे बढ़ जाएगी और एक लाख करोड़ टन अनाज अगर कोई इकट्ठा करना चाहता है तो वह कर सकता है.

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जब तक कि आलू और प्याज की 100% कीमत बढ़ेगी तब जाकर वह विचार करेंगे. इसमें भी 1 साल की खुदरा कीमत और 5 साल की खुदरा कीमत को आधार में लेकर स्टॉक की लिमिट निर्धारित की जाएगी. दलहन, अनाज, खाद्य तेल और तिलहन पर 50% की कीमत बढ़ने पर स्टॉक लिमिट तय की जाएगी. इसमें भी यह छूट दी गई है कि खाद्य पदार्थ प्रोसेसर, खेत से अंतिम खपत तक पैकेजिंग, उत्पादन, भंडारण, ट्रांसपोर्टेशन और डिसटीब्यूशन करने वाले व्यापारियों को उत्पादन क्षमता तक, निर्यातकों को उनकी निर्यात मात्रा तक स्टॉक लिमिट में छूट दी गई है. उसमें कोई स्टॉक लिमिट निर्धारित नहीं की जाएगी.

बीडी कल्ला पार्ट - 2

3, 4 लोग मिलकर पूरे देश को लूटेंगे

व्यापारियों को इसमें निजी लाभ की छूट दे दी गई है. इससे कृत्रिम अभाव पैदा किया जाएगा. केवल तीन, चार लोग मिलकर सामान बेचेगे और पूरे देश को लूटेंगे. इस कारण से राज्य सरकार ने उचित समझा यह कानून बनाया जाए इसी एक्ट में संविधान के आर्टिकल 254 की धारा 2 के अनुसार राष्ट्रपति की अनुमति से दूसरा कानून लागू किया जा सकता है. इससे पहले भी इसी अधिनियम की धारा 7 ए का राजस्थान अधिनियम 1960 लागू किया गया है.

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उसमें उन्हीं 6 वस्तुओं आलू, प्याज, अनाज, दाल, खाद्य तेल और तिलहन इन 6 वस्तुओं के बारे में प्राकृतिक आपदा कीमतों में वृद्धि अन्य किसी भी परिस्थिति के आधार पर कीमतों में वृद्धि होने पर राज्य सरकार अगर कोई भी व्यक्ति जमाखोरी या मुनाफाखोरी करता है तो ऐसे में राज्य के नए कानून के अनुसार आलू और प्याज की कीमतों में 100% वृद्धि को देखा जाए यह जरूरी नहीं है. ऐसे में राज्य सरकार 10%, 20% वृद्धि होने पर भी स्टॉक लिमिट तय कर सकती है.

जब सरकार के लगेगा कीमते बढ़ रही हैं स्टॉक लिमिट तय कर दी जाएगी

अनाज, दाल, तेल और तिलहन इसमें भी 50% तक की वृद्धि का वेट करना आवश्यक नहीं है. राज्य सरकार ने अधिकार अपने पास लिया है कि वह इसको विनियमित करें ताकी कीमतों में अनावश्यक वृद्धि ना हो और आवश्यक वस्तुओं की कीमतों को काबू में रखा जा सके. उन्होंने कहा कि हमने जो प्रावधान किया है. उसमें कीमत बढ़ोतरी का कोई पैमाना नहीं रखा है. केंद्र ने 100% और 50% कीमतें बढ़ने का पैमाना रखा है. हमने ऐसा नहीं किया है और हमने 4 कारण प्राकृतिक आपदा, कीमतों में वृद्धि, अकाल और प्राकृतिक आपदा में राज्य सरकार इस कानून के आधार पर कीमतों को कंट्रोल कर सकती हैं. हमने जो एक्ट बनाया है यह जून 2005 से नहीं लगेगा. यह फैक्टर नोटिफाई होने के बाद ही लागू होगा.

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