जयपुर. कोविड-19 के असर के चलते राजस्थान में केंद्र सरकार की गाइड लाइन के अनुसार सभी स्कूल 31 जुलाई तक बंद है. 31 जुलाई के बाद भी स्कूल खुलेंगे या नहीं इस पर निर्णय भी सरकार की ओर से होगा, लेकिन इस बीच एक नया विवाद प्रदेश में खड़ा हो गया है और वो है स्कूल की फीस को लेकर पेरेंटस और स्कूल के बीच खड़ा हुआ विवाद.
बता दें कि प्राइवेट स्कूल इस आधार पर पेरेंट्स से फीस मांग रहे हैं कि उन्हें भी अपने टीचर्स को सैलरी देनी होती है और स्कूल बंद होने के बाद भी वो बच्चों के भविष्य को देखते हुए ऑनलाइन स्टडी करवा रहे हैं. वहीं, पेरेंट्स ये कह रहे हैं कि जब स्कूल ही नहीं खुले तो फिर किस बात की फीस स्कूल ले रहे हैं.
बहरहाल सरकार ने आम जनता की बात सुनते हुए पहले 3 महीने तक की फीस को स्थगित किया और इसके बाद जब 31 जुलाई तक स्कूल नहीं खोलने का निर्णय हुआ तो शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा ने 31 जुलाई तक प्राइवेट स्कूलों को फीस स्थगित करने के निर्देश दिए. जिस तरीके से मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा सख्ती से प्राइवेट स्कूलों को पाबंद कर रहे हैं उससे लगता है कि जब स्कूल खुलेंगे तो भी जिस समय पढ़ाई नहीं हुई है उस समय की फीस से वो जनता को कुछ रियायत जरूर दिलवाएंगे.
मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा कि कोविड-19 आने के कारण सब लोग परेशानी में हैं. हर सेक्टर बंद हो गया था, लोगों का रोजगार बंद था और स्कूल भी बंद थे. ऐसी परिस्थितियों को देखते हुए मुख्यमंत्री ने सबसे चर्चा करने के बाद 3 महीने की स्कूल फीस को स्थगित किया और जब भारत सरकार की गाइडलाइन के हिसाब से स्कूल 31 जुलाई तक बंद रखने हैं तो फिर 31 जुलाई तक फीस को स्थगित करने का निर्णय लिया गया है.
मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा कि जब स्कूल खुल नहीं रहे हैं कितनी पढ़ाई करवानी है ये सिलेबस अभी तय नहीं हुआ है, तो फिर स्कूल प्रशासन आगामी सेशन की फीस स्कूल किस बात की लेंगे. मंत्री डोटासरा ने कहा कि जिस दिन स्कूल खुलेंगे उस दिन राजस्थान सरकार की ओर से स्कूलों को लेकर नई गाइडलाइन जारी की जाएगी कि कितना सिलेबस पढ़ाया जाना है और उसके लिए कितनी फीस लेनी है.
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मंत्री डोटासरा ने कहा कि विवाद का कोई विषय ही नहीं है क्योंकि जब स्कूल खुल नहीं रहे हैं, सिलेबस तय नहीं है, कितना पढ़ाना है और क्या पढ़ाना है ये भी अभी तय नहीं हुआ है, यहां तक कि स्कूल कब खुलेंगे ये भी तय नहीं है तो फिर ऐसी स्थिति में आगामी सेशन की फीस कैसे ले सकते है.
डोटासरा ने कहा कि जब स्कूल खुलेंगे तो फीस को लेकर भी नई गाइडलाइन सरकार की ओर से जारी की जाएगी. जिसे प्रदेश के किसी भी स्कूल हो मानना होगा. अगर कोई स्कूल सरकारी गाइडलाइन को नहीं मानेगा तो उसे सख्त कार्रवाई के लिए तैयार भी रहना होगा.
राज्यों को मिले स्कूल खोलने की गाइडलाइन जारी करने का अधिकार
राजस्थान के शिक्षा मंत्री गोविंद डोटासरा ने स्कूलों को खोलने को लेकर कहा कि केंद्र सरकार इसकी गाइडलाइन जारी करने का अधिकार राज्यों को दे. इसके पीछे डोटासरा ने तर्क दिया है कि हर राज्य की परिस्थिति अलग-अलग है. उन्होंने कहा कि जो हालात दिल्ली, मुंबई या इंदौर के है, हो सकता है वो राजस्थान के नहीं हो. ऐसे में स्कूलों को खोलने का फैसला केंद्र राज्य को निर्धारित करने दें.
CBSE के बाद अब RBSE का सिलेबस भी होगा कम
RBSE के सिलेबस को लेकर शिक्षा मंत्री गोविंद डोटासरा ने साफ कर दिया है कि राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड का सिलेबस भी कम किया जाएगा. डोटासरा ने जानकारी दी कि इस बार वर्किंग डे कम हों रहे हैं तो ऐसे में सिलेबस कम होगा. वहीं CBSE के सिलेबस में से धर्मनिरपेक्षता और राष्ट्रीयता के पाठ हटाने पर उन्होंने कहा कि BJP का चुनाव जीतने के लिए और पढ़ाई के लिए अलग एजेंडा होता है.
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प्रताप-अकबर के बीच नहीं हुआ था धर्म युद्ध, सत्ता प्राप्ति और व्यापार के लिए हुआ था संघर्ष
राजस्थान की पाठ्य पुस्तकों में महाराणा प्रताप को लेकर कुछ विवादित बातें लिखी गई है जिससे विवाद लगातार गहराता जा रहा है. राजपूत समाज लगातार सरकार की आलोचना कर रहा है. इस मुद्दे को लेकर प्रदेश के शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा कि भाजपा का एजेंडा हमेशा विवाद करने का होता है. क्योंकि जितनी बड़ी बातें और वादे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किए वह काम भाजपा कर नहीं पा रही है इसलिए विवाद पैदा कर रही है.
डोटासरा ने कहा कि पिछले सत्र में जो किताब सिलेबस का हिस्सा रही उसमें जो पाठ्यक्रम था वहीं पाठ्यक्रम अब भी पढ़ाया जा रहा है. विधानसभा में 40 सदस्यों ने इसे लेकर सवाल भी उठाए और सब का जवाब भी दिया गया. डोटासरा ने कहा कि उस समय भी डिमांड पर चर्चा के दौरान मैंने कहा था कि महाराणा प्रताप और अकबर के बीच धर्म युद्ध नहीं हुआ था, बल्कि यह सत्ता प्राप्ति और व्यापार करने के लिए युद्ध था.