जयपुर. प्रदेश निर्वाचन योग्य सहकारी संस्थाओं के चुनाव 3 चरणों में किए जाएंगे, जिसकी प्रक्रिया शुरू हो चुकी है. आगामी जून महीने तक प्रदेश की लगभग 18 हजार सहकारी समितियों के चुनाव कराए जाएंगे, जिसके ओर से सहकारी समितियों के प्रतिनिधि चुने जाएंगे. यह जानकारी सहकारिता मंत्री उदयलाल आंजना ने दी. इस दौरान मंत्री आंजना ने ईटीवी भारत से खास बातचीत की.
ईटीवी भारत से खास बातचीत में मंत्री उदयलाल आंजना ने कहा कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सरकारी संस्थाओं के चुनाव समय पर कराने के निर्देश दिए थे. इसके कारण इसी महीने से इसकी प्रक्रिया शुरू कर दी गई. आंजना ने बताया कि पिछली वसुंधरा राज्य सरकार के कार्यकाल में 5 साल तक सहकारी समितियों के चुनाव नहीं कराए गए, लेकिन हमारी सरकार लोकतंत्र में विश्वास रखती है. लिहाजा मुख्यमंत्री के निर्देश पर चुनाव की प्रक्रिया शुरू कर दी गई.
पहले चरण में 1500 सहकारी समितियों के चुनाव होंगे संपन्न
आंजना ने बताया कि दिसंबर और जनवरी महीने में प्राथमिक सहकारी समिति, बुनकर समिति, हाउसिंग बचत, साख क्रय-विक्रय समिति की सदस्य समितियों, केंद्रीय सहकारी बैंक की सदस्य समितियों, प्राथमिक सहकारी, उपभोक्ता भंडार और नागरिक सहकारी बैंक सहित अन्य प्रकार के लगभग 1500 सहकारी समितियों के चुनाव संपन्न कराए जाएंगे.
दूसरे चरण में 6 हजार सहकारी समितियों के फरवरी महीने में होंगे चुनाव
उन्होंने बताया कि दूसरे चरण में फरवरी महीने से प्रदेश की लगभग 6 हजार ग्राम सेवा सहकारी समितियों और क्रय-विक्रय सहकारी समितियों के चुनाव प्रारंभ किए जाएंगे. इसके बाद केंद्रीय सहकारी बैंक, अपेक्स बैंक और राजफेड के चुनाव संपन्न होंगे. सहकारिता मंत्री ने बताया कि इसी अवधि के दौरान सहकारी होलसेल भंडार के चुनाव पूर्ण कराए जाएंगे.
तीसरे चरण में 10 हजार से अधिक प्राथमिक दुग्ध सहकारी समितियों के चुनाव होंगे संपन्न
सहकारिता मंत्री उदयलाल आंजना ने बताया कि तीसरे चरण में मई महीने में 10 हजार से अधिक प्राथमिक दुग्ध सहकारी समितियों के चुनाव संपन्न कराए जाएंगे और इसके बाद जिला दुग्ध उत्पादक संघ और आरसीडीएफ के चुनाव भी संपन्न होंगे. मंत्री के अनुसार सहकारी निर्वाचन प्राधिकरण को चुनाव की तैयारियों के निर्देश दे दिए गए हैं.
मंत्री उदयलाल आंजना ने भाजपा पर साधा निशाना
ईटीवी भारत से खास बातचीत के दौरान मंत्री उदयलाल आंजना ने भाजपा पर भी निशाना साधा. आंजना ने कहा की गहलोत सरकार के कार्यकाल में हुई किसान ऋण माफी योजना को लेकर विपक्ष ने काफी हल्ला मचाया और आरोप भी लगाए. लेकिन अब उसी योजना के सफल क्रियान्वयन के कारण अन्य प्रदेश भी इसे अपना रहे हैं. आंजना ने महाराष्ट्र का उदाहरण देते हुए कहा कि महाराष्ट्र से भी अधिकारियों का दल राजस्थान में इस योजना के अध्ययन के लिए आ रहे हैं.