जयपुर. प्रदेश में फाल्गुन मास में कृष्ण पक्ष की अंतिम तिथि को कल फाल्गुन अमावस्या है. हिन्दू धर्म के अनुसार अमावस्या तिथि का विशेष महत्व होता है. ऐसे में इस बार विशेष संयोग के साथ पितरों के तर्पण के लिए पवित्र सरोवर में स्नानादि के बाद दान पुण्य करें, इसका भी विशेष महत्व है.
ज्योतिषाचार्य पंडित पुरुषोत्तम गौड़ ने बताया कि, 13 मार्च शनिवार को फाल्गुन माह की अमावस्या यानी देवपितृ अमावस्या का शास्त्र संवत मिल रहा है. इस दिन पितरों के लिए खासतौर जो पितृ आपके पाटे बैठे हुए हैं. उनके लिए गीता में से 14 नंबर और 11 नंबर के अध्याय का पाठ करें और पितरों को सुनाएं.
इससे पितरों की शक्ति, मुक्ति और उनको बल मिलेगा, ताकि आपको उनका शुभ आशीर्वाद मिल सकें. इस दिन तीर्थ स्नान, गलताजी, पुष्कर और गंगा जी में स्नान कर पितरों की स्मृति को हाथ में उठाकर गीता का पाठ जरूर करें.
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साथ ही उन्होंने कहा कि देवपितृ अमावस्या पर दीपक, अगरबत्ती लगाकर और घी व पकवान बनाकर पितरों को भोग भी लगाएं. इससे पितृ प्रसन्न होंगे और मनोकामनाएं पूर्ण करेंगे. फाल्गुन अमावस्या के मुहूर्त की बात करें तो आज दोपहर 3 बजे के बाद अमावस्या तिथि का प्रारंभ हो चुका है, जो शनिवार को दोपहर 3.50 बजे समाप्त होगी.
इसी मुहूर्त के बीच कोई भी ये उपाय करके अशुभ प्रभावों से मुक्ति प्राप्त कर सकते हैं. इसके अलावा ये अमावस्या तिथि कालसर्प दोष निवारण के लिए भी काफी महत्वपूर्ण होती है.