जयपुर. सोमवार को महादेव भगवान शिव का दिन माना जाता है. मान्यता है कि सोमवार का व्रत करने और इस दिन भगवान शिव की पूजा-उपासना करने से हर मनोकामना पूरी होती है और सभी प्रकार के दुख दूर होकर सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है.
ज्योतिर्विद श्रीराम गुर्जर बताते हैं कि नारद पुराण के अनुसार, सोमवार के दिन शिव भक्तों को प्रातः काल स्नान करने के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करना चाहिए. इसके बाद भगवान शिव और पार्वती को स्मरण करके व्रत का संकल्प लेना चाहिए. व्रत का संकल्प लेने के बाद शिवजी को जल और बिल्वपत्र चढ़ाएं और भगवान शिव के साथ संपूर्ण शिव परिवार की पूजा करें. पूजा के बाद कथा सुनें और आरती करने के बाद घर के सदस्यों में प्रसाद बांटें.
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मान्यता है कि सोमवार के दिन जो भक्त भगवान भोलेनाथ की पूजा करता है. वह हर प्रकार की समस्याओं से दूर रहता है. शिवजी की उपासना करने से घर में माता लक्ष्मी की कृपा हमेशा बनी रहती है. आर्थिक समस्याओं से भी शिव के भक्तों को छुटकारा मिलता है.
प्राचीन ग्रंथों के अनुसार सोमवार व्रत के तीन प्रकार हैं. सोमवार, सोलह सोमवार, सौभ्य प्रदोष. हालांकि, सोमवार का व्रत श्रावण (सावन) मास में आरंभ करना शुभ माना जाता है. यह व्रत सोमवार सूर्योदय से प्रारंभ होकर तीसरे पहर तक रखा जाता है. लेकिन कुछ भक्त सूर्योदय से सूर्यास्त तक निर्जल व्रत करते हैं. कुछ फलाहार करते हैं और भक्त इस दिन नमक रहित भोजन करते हैं.
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मान्यताओं के अनुसार सावन सोमवार व्रत रखने से विवाह में आ रही समस्या दूर हो जाती है. साथ ही आर्थिक स्थिति मजबूत होती है. शनि देव भगवान शिव के प्रिय शिष्य माने जाते हैं. इसलिए मान्यता है कि सोमवार को व्रत रखने से भगवान शंकर के साथ-साथ शनिदेव भी प्रसन्न हो जाते हैं. चंद्रदोष से मुक्ति के लिए भी सावन सोमवार व्रत का महत्व बताया जाता है. कुंडली में ग्रहण दोष या सर्प दोष है तो भी इस व्रत से लाभ होता है.