जयपुर. धमाकों से जहां गुलाबी नगरी के लोग अनजान थे, वहीं प्रदेश के सबसे बड़े अस्पताल एसएमएस के डॉक्टर्स ने भी कभी नहीं सोचा था कि उन्हें ऐसे हालातों से गुजरना पड़ेगा. इन धमाकों में हुए घायलों को इलाज के लिए सवाई मानसिंह अस्पताल ले जाया गया. तब उनके इलाज की जिम्मेदारी निभाई अस्पताल के चिकित्सकों, नर्सिंग स्टाफ और अस्पताल से जुड़े अन्य कर्मचारियों ने.
एसएमएस अस्पताल के तत्कालीन अधीक्षक डॉक्टर नरपत सिंह शेखावत ने ईटीवी भारत को उस मंजर के बारे में बताया जब धमाकों में घायलों को इमरजेंसी में लाया गया. वे बताते हैं कि जैसे ही उन्हें इस घटना की जानकारी मिली तो वे तुरंत एस.एम.एस. अस्पताल पहुंचे.
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वे याद करते हुए बताते हैं कि उस समय अस्पताल में मंजर दिल दहला देने वाला था. बड़ी संख्या में बम विस्फोट में घायल पहुंच रहे थे, जिन्हें आपातकालीन वार्ड में लाया गया. तब तत्काल व्यवस्थाओं को संभालने के लिए सभी चिकित्सकों, नर्सिंग स्टाफ और अस्पताल से जुड़े अन्य कर्मचारियों को तुरंत अस्पताल पहुंचने के आदेश दिए.
डॉ. शेखावत ने बताया कि जैसे ही अस्पताल में घायलों का पहुंचना शुरू हुआ तो अस्पताल के सभी चिकित्सक और नर्सिंग स्टाफ उनके इलाज में जुट गए. यही नहीं जैसे-जैसे अस्पताल में घायल पहुंच रहे थे उनको अस्पताल के अलग-अलग वार्डों में शिफ्ट किया जा रहा था.
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उन्होंने बताया जो घायल पहुंचे थे वे लगभग मरणासन्न की स्थिति में थे. ऐसे में आनन-फानन में अस्पताल के अलग-अलग हिस्सों में ऑपरेशन थिएटर बनाए गए और घायलों को तुरंत इलाज मुहैया करवाया गया. डॉक्टर नरपत सिंह शेखावत ने यह भी बताया कि अस्पताल में उनकी टीम ने 60 घंटे तक लगातार घायलों का इलाज किया.