जयपुर. राजधानी जयपुर में पारंपरिक कचरा पात्र की व्यवस्था को स्मार्ट डस्टबिन से बदलने की कोशिश की जा रही है. अमूमन कचरा पात्र की चोरी होने, जरूरत से ज्यादा भरे होने या उनमें आग लगने की शिकायतें सामने आती हैं. निगम कई बार पारंपरिक कचरा पात्र के लिए टेंडर कर खर्च कर चुका है. इसके बावजूद शहर की सड़कों पर बहुत कम डस्टबिन नजर आते हैं.
इन शिकायतों को दूर करने के लिए स्मार्ट डस्टबिन बनाया गया है. स्मार्ट डस्टबिन के चोरी होने, कचरे से पूरा भरने से पहले ही खाली करने और आग लगने की स्थिति में ऑटो फायर फाइटिंग सिस्टम के जरिए आग बुझाने के साथ-साथ जिम्मेदारों तक मैसेज पहुंचाने का भी सिस्टम जोड़ा गया है.
सीकर के रहने वाले एंटरप्रेन्योर दिनेश फैनिन ने स्मार्ट डस्टबिन इजाद किया है. साथ ही इसे पेटेंट कराने के लिए भी रजिस्ट्रेशन किया है. उन्होंने बताया कि ये अपनी तरह का पहला डस्टबिन है, जो एक बार इंस्टॉलेशन के बाद बिना किसी खर्चे के वर्क करेगा. इस पर लगे सोलर पैनल से सूर्य की रोशनी को कलेक्ट कर डस्टबिन की फंक्शनिंग होगी. इसका बैकअप भी करीब 5 दिन का है.
इसके साथ ही आरएफआईडी लॉक सिस्टम भी लगाया गया है. आग लगने की स्थिति से लड़ने के लिए फायर फाइटिंग सिस्टम इंस्टॉल किया गया है. यदि गीले और सूखे कचरे का कंटेनर 80% फुल हो जाएगा, तो डस्टबिन नजदीकी हूपर के लिये सेल्फ मैसेज जनरेट करेगा. जिसे मौके पर पहुंचकर खाली किया जा सकेगा.
ऐसे में डस्टबिन के ओवरफिलिंग की समस्या खत्म हो जाएगी. इस स्मार्ट डस्टबिन को एक स्मार्ट डस्टबिन ऐप के साथ जोड़ा जाएगा. जिसमें आम जनता अपने आसपास के डस्टबिन को गूगल लोकेशन के माध्यम से ट्रैक भी कर सकेगी. इसके साथ ही इस स्मार्ट डस्टबिन में मोबाइल चार्जिंग, नाइट विजन जैसे फीचर भी इंस्टॉल किए गए हैं.
इस डस्टबिन की कीमत करीब 65 हज़ार से 70 हज़ार रुपए पड़ेगी. डस्टबिन का प्रयोग हेरिटेज नगर निगम में शुरू किया गया है. इसके सफल रहने की स्थिति में इसे शुरुआत में शहर के पर्यटन स्थलों पर लगाया जाएगा.
निगम कमिश्नर अवधेश मीणा के अनुसार आईटी बेस्ड स्मार्ट डस्टबिन के माध्यम से कचरे का डाटा बेस एनालिसिस हो सकता है. इसकी शुरुआत निगम परिसर से ही की गई है. अगर ये कारगर सिद्ध होता है, तो शहर में और जगह भी इसे लगाया जाएगा. उन्होंने बताया कि जो फर्म स्मार्ट डस्टबिन को लगाएगी, वही इसकी मॉनिटरिंग भी करेगी.
बहरहाल, ये प्रयोग अगर सफल होता है, तो स्मार्ट सिटी जयपुर के नाम के साथ स्मार्ट डस्टबिन का नाम भी जुड़ जाएगा. लेकिन फिलहाल कैपेसिटी और प्रबंधन पर निर्भर करेगा कि ये राजधानी में इस्तेमाल किया जाएगा भी या नहीं.