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जयपुर का पारंपरिक सिंजारा पर्व रहा सूना, महिलाओं में मायूसी

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Published : Aug 3, 2019, 5:51 PM IST

जयपुर की लोक परंपरा और महिलाओं का त्यौहार हरियाली तीज की शुरुआत इस बार फीकी रही. हर साल तालकटोरा के सामने पौण्ड्रिक उद्यान में मनाया जाने वाला सिंजारा पर्व इस बार नहीं हुआ. पौण्ड्रिक उद्यान पहुंचने वाली महिलाएं यहां से मायूस लौटी.

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जयपुर. नगर निगम की लापरवाही की वजह से सालों से चली आ रही परंपरा टूट गई. तालकटोरा के सामने पौण्ड्रिक उद्यान में होने वाला सिंजारा महोत्सव इस बार नहीं हुआ. हरियाली तीज के मौके पर 1 दिन पहले शाम को और तीज की सुबह यहां महिलाओं के मेहंदी लगाने, लहरिया और घेवर बांटने की परंपरा रही है. जिसे ध्यान में रखते हुए शहर के कोने-कोने से महिलाएं यहां पहुंची. लेकिन, बैरंग ही वापस लौट गई. इस बार यहां निगम प्रशासन की ओर से किसी तरह की तैयारी नहीं की गई.

जयपुर के तालकटोरा में नहीं आयोजित हुआ सिंजारा पर्व

पढ़े- ACB ने असिस्टेंट कमिश्नर को लाखों रुपए की रिश्वत लेते रंगे हाथ किया गिरफ्तार

हालांकि, शनिवार सुबह यहां पर लहरियों के झूले लगाकर औपचारिकता जरूर निभाई गई. इस दौरान लहरिया धारण कर पौण्ड्रिक उद्यान पहुंची महिलाओं ने बताया कि निगम की ओर से यहां सांस्कृतिक कार्यक्रमों की कोई व्यवस्था नहीं की गई है. तीज पर्व पर पौण्ड्रिक उद्यान और तालकटोरा पर सांस्कृतिक कार्यक्रम कराए जाने की परंपरा रही है. लेकिन इस बार ऐसा कुछ देखने को नहीं मिला.

पढ़े- मानवाधिकार आयोग की दखल के बाद कैंसर रोग से पीड़िता को मिली सरकारी राहत

महिलाओं ने कहा कि यहां हर वर्ष मेहंदी और महिलाओं के फेशियल करने की भी व्यवस्था रहती है. लेकिन निगम प्रशासन ने इस बार महिलाओं को मायूस किया है. और अब झूले लगाकर खानापूर्ति की जा रही है.

बता दें कि इस संबंध में निगम की सांस्कृतिक समिति की 8 जुलाई को ही कार्यक्रम के संबंध में बैठक कर ली गई थी. और तकरीबन 10 लाख रुपए के व्यय का अनुमान लगाकर फाइल आगे बढ़ाई गई थी. लेकिन बार-बार चर्चा के बावजूद सिंजारा महोत्सव का आयोजन नहीं किया जा सका. ऐसे में अब जहां एक और महिलाओं में असंतोष है. वहीं निगम की सांस्कृतिक समिति मामले को यूडीएच मंत्री और मुख्यमंत्री तक ले जाने की बात कह रही है.

जयपुर. नगर निगम की लापरवाही की वजह से सालों से चली आ रही परंपरा टूट गई. तालकटोरा के सामने पौण्ड्रिक उद्यान में होने वाला सिंजारा महोत्सव इस बार नहीं हुआ. हरियाली तीज के मौके पर 1 दिन पहले शाम को और तीज की सुबह यहां महिलाओं के मेहंदी लगाने, लहरिया और घेवर बांटने की परंपरा रही है. जिसे ध्यान में रखते हुए शहर के कोने-कोने से महिलाएं यहां पहुंची. लेकिन, बैरंग ही वापस लौट गई. इस बार यहां निगम प्रशासन की ओर से किसी तरह की तैयारी नहीं की गई.

जयपुर के तालकटोरा में नहीं आयोजित हुआ सिंजारा पर्व

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हालांकि, शनिवार सुबह यहां पर लहरियों के झूले लगाकर औपचारिकता जरूर निभाई गई. इस दौरान लहरिया धारण कर पौण्ड्रिक उद्यान पहुंची महिलाओं ने बताया कि निगम की ओर से यहां सांस्कृतिक कार्यक्रमों की कोई व्यवस्था नहीं की गई है. तीज पर्व पर पौण्ड्रिक उद्यान और तालकटोरा पर सांस्कृतिक कार्यक्रम कराए जाने की परंपरा रही है. लेकिन इस बार ऐसा कुछ देखने को नहीं मिला.

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महिलाओं ने कहा कि यहां हर वर्ष मेहंदी और महिलाओं के फेशियल करने की भी व्यवस्था रहती है. लेकिन निगम प्रशासन ने इस बार महिलाओं को मायूस किया है. और अब झूले लगाकर खानापूर्ति की जा रही है.

बता दें कि इस संबंध में निगम की सांस्कृतिक समिति की 8 जुलाई को ही कार्यक्रम के संबंध में बैठक कर ली गई थी. और तकरीबन 10 लाख रुपए के व्यय का अनुमान लगाकर फाइल आगे बढ़ाई गई थी. लेकिन बार-बार चर्चा के बावजूद सिंजारा महोत्सव का आयोजन नहीं किया जा सका. ऐसे में अब जहां एक और महिलाओं में असंतोष है. वहीं निगम की सांस्कृतिक समिति मामले को यूडीएच मंत्री और मुख्यमंत्री तक ले जाने की बात कह रही है.

Intro:जयपुर - राजस्थानी लोक परंपरा और महिलाओं का त्योहार हरियाली तीज की शुरुआत इस बार फीकी रही। हर साल तालकटोरा के सामने पौण्ड्रिक उद्यान में मनाया जाने वाला सिंजारा पर्व इस बार नहीं हुआ। यहां ना तो कोई मेहंदी लगने का कार्यक्रम हुआ, और ना ही लहरिया घेवर और झूलों का नजारा देखने को मिला। इसकी तैयारी निगम प्रशासन की ओर से की जाती है। लेकिन इस साल पौण्ड्रिक उद्यान पहुंचने वाली महिलाएं यहां से मायूस लौटी।


Body:नगर निगम की लापरवाही की वजह से सालों से चली आ रही परंपरा टूट गई। तालकटोरा के सामने पौण्ड्रिक उद्यान में होने वाला सिंजारा महोत्सव इस बार नहीं हुआ। हरियाली तीज के मौके पर 1 दिन पहले शाम को और तीज की सुबह यहां महिलाओं के मेहंदी लगाने, लहरिया और घेवर बांटने की परंपरा रही है। जिसे ध्यान में रखते हुए शहर के कोने-कोने से महिलाएं यहां पहुंची। लेकिन बैरंग ही वापस लौट गई। इस बार यहां निगम प्रशासन की ओर से किसी तरह की तैयारी नहीं की गई। हालांकि शनिवार सुबह यहां पर लहरियों के झूले लगाकर औपचारिकता जरूर निभाई गई। इस दौरान लहरिया धारण कर पौण्ड्रिक उद्यान पहुंची महिलाओं ने बताया कि निगम की ओर से यहां सांस्कृतिक कार्यक्रमों की कोई व्यवस्था नहीं की गई। तीज पर्व पर पौण्ड्रिक उद्यान और तालकटोरा पर सांस्कृतिक कार्यक्रम कराए जाने की परंपरा रही है। लेकिन इस बार ऐसा कुछ देखने को नहीं मिला।
बाईट - शालू, शहरवासी
बाईट - पूजा, शहरवासी

महिलाओं ने कहा कि यहाँ हर वर्ष मेहंदी और महिलाओं के फेशियल करने की भी व्यवस्था रहती है। लेकिन निगम प्रशासन ने इस बार महिलाओं को मायूस किया है। और अब झूले लगाकर खानापूर्ति की जा रही है।
बाईट - तारा, शहरवासी
बाईट - रेणु, शहरवासी


Conclusion:आपको बता दें कि इस संबंध में निगम की सांस्कृतिक समिति की 8 जुलाई को ही कार्यक्रम के संबंध में बैठक कर ली गई थी। और तकरीबन 10 लाख रुपए के व्यय का अनुमान लगाकर फाइल आगे बढ़ाई गई थी। लेकिन बार-बार चर्चा के बावजूद सिंजारा महोत्सव का आयोजन नहीं किया जा सका। ऐसे में अब जहां एक और महिलाओं में असंतोष है। वहीं निगम की सांस्कृतिक समिति मामले को यूडीएच मंत्री और मुख्यमंत्री तक ले जाने की बात कह रही है।
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