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सरकारी तंत्र के झोल में फंसा इलेक्ट्रॉनिक टारगेट सिस्टम... कैसे साधें सटीक निशाना

जयपुर की जगतपुरा स्थित शूटिंग रेंज में शूटर्स लगातार इलेक्ट्रॉनिक टारगेट लगवाने की मांग कर रहे हैं. लेकिन कई बार टेंडर निकलने के बाद भी यह सुविधा शूटर्स को नहीं मिल सकी है. जिसके चलते शूटर्स दूसरे शूटिंग रेंज का रुख कर रहे हैं.

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जयपुर की जगतपुरा स्थित शूटिंग रेंज में शूटर्स लगातार इलेक्ट्रॉनिक टारगेट लगवाने की मांग कर रहे हैं
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Published : Mar 29, 2021, 5:49 PM IST

Updated : Mar 30, 2021, 3:42 PM IST

जयपुर. राजधानी के जगतपुरा स्थित शूटिंग रेंज के कई शूटरों ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया है. लेकिन आज भी यह शूटिंग रेंज सुविधाओं के अभाव से जूझ रही है. शूटर्स के लिए कई बार मांग करने पर भी इलेक्ट्रॉनिक टारगेट्स नहीं लगवाए गए हैं. इसके लिए कई बार टेंडर निकाले गए. लेकिन इलेक्ट्रॉनिक टारगेट की सुविधा खिलाड़ियों को नहीं मिली. जिसके चलते शूटर्स को खासी परेशानियों का सामना करना पड़ता है और वो दूसरी शूटिंग रेंज में जाने पर मजबूर हो रहे हैं.

इलेक्ट्रॉनिक टारगेट के अभाव में लगा रहे हैं शूटर्स निशाना

पढे़ं: गहलोत-माकन की सिफारिश पर बदला पायलट का असम दौरा, अब फिर दिखेंगे एक ही जाजम पर

शूटर्स का क्या कहना है

शूटर्स का कहना है कि जगतपुरा शूटिंग रेंज में सभी तरह की सुविधाएं मौजूद हैं. यहां से कई अंतरराष्ट्रीय लेवल के शूटर भी निकले हैं. हाल ही में आयोजित हुई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भी इस रेंज के शूटरों राजस्थान को कई मेडल दिलाए. लेकिन कहीं ना कहीं इलेक्ट्रॉनिक टारगेट नहीं होने के चलते हमारी तैयारी अधूरी रह जाती है. और ऐसे में उन्हें दूसरी शूटिंग रेंज जाना पड़ता है.

खेल मंत्री ने दिया भरोसा

राजस्थान के खेल मंत्री अशोक चांदना ने कहा कि हाल ही में विधानसभा में भी इलेक्ट्रॉनिक टारगेट का मुद्दा उठाया था. पिछली बार टेंडर ठीक तरीके से नहीं होने के चलते इलेक्ट्रॉनिक टारगेट शूटिंग रेंज में नहीं लग पाए थे. खेल मंत्री ने खिलाड़ियों को विश्वास दिलाया कि टेंडर से जुड़ी प्रक्रिया लगभग पूरी हो चुकी हैं और जल्द ही इलेक्ट्रॉनिक टारगेट की सुविधा शूटिंग रेंज में शूटर्स को उपलब्ध करवाई जाएगी.

क्या होते हैं इलेक्ट्रॉनिक टारगेट

शूटिंग रेंज में दो तरह के टारगेट इस्तेमाल किए जाते हैं. एक होता है गत्ते वाला टारगेट जो मैन्युअल होता है. दूसरा इलेक्ट्रॉनिक टारगेट.

क्या होते हैं इलेक्ट्रॉनिक टारगेट

गत्तेवाले टारगेट पर जब शूटर निशाना लगाते हैं तो उनकी परफॉर्मेंस कैसी रही उसका बिल्कुल सटीक हिसाब नहीं लगाया जा सकता. वहीं इलेक्ट्रॉनिक टारगेट पर फायर करने के बात रिजल्ट तुरंत आ जाता है. जो बिल्कुल सटीक होता है. ऐसे में शूटर बेहतर प्रैक्टिस के लिए इलेक्ट्रॉनिक टारगेट को ज्यादा मुफीद मानते हैं.

जयपुर. राजधानी के जगतपुरा स्थित शूटिंग रेंज के कई शूटरों ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया है. लेकिन आज भी यह शूटिंग रेंज सुविधाओं के अभाव से जूझ रही है. शूटर्स के लिए कई बार मांग करने पर भी इलेक्ट्रॉनिक टारगेट्स नहीं लगवाए गए हैं. इसके लिए कई बार टेंडर निकाले गए. लेकिन इलेक्ट्रॉनिक टारगेट की सुविधा खिलाड़ियों को नहीं मिली. जिसके चलते शूटर्स को खासी परेशानियों का सामना करना पड़ता है और वो दूसरी शूटिंग रेंज में जाने पर मजबूर हो रहे हैं.

इलेक्ट्रॉनिक टारगेट के अभाव में लगा रहे हैं शूटर्स निशाना

पढे़ं: गहलोत-माकन की सिफारिश पर बदला पायलट का असम दौरा, अब फिर दिखेंगे एक ही जाजम पर

शूटर्स का क्या कहना है

शूटर्स का कहना है कि जगतपुरा शूटिंग रेंज में सभी तरह की सुविधाएं मौजूद हैं. यहां से कई अंतरराष्ट्रीय लेवल के शूटर भी निकले हैं. हाल ही में आयोजित हुई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भी इस रेंज के शूटरों राजस्थान को कई मेडल दिलाए. लेकिन कहीं ना कहीं इलेक्ट्रॉनिक टारगेट नहीं होने के चलते हमारी तैयारी अधूरी रह जाती है. और ऐसे में उन्हें दूसरी शूटिंग रेंज जाना पड़ता है.

खेल मंत्री ने दिया भरोसा

राजस्थान के खेल मंत्री अशोक चांदना ने कहा कि हाल ही में विधानसभा में भी इलेक्ट्रॉनिक टारगेट का मुद्दा उठाया था. पिछली बार टेंडर ठीक तरीके से नहीं होने के चलते इलेक्ट्रॉनिक टारगेट शूटिंग रेंज में नहीं लग पाए थे. खेल मंत्री ने खिलाड़ियों को विश्वास दिलाया कि टेंडर से जुड़ी प्रक्रिया लगभग पूरी हो चुकी हैं और जल्द ही इलेक्ट्रॉनिक टारगेट की सुविधा शूटिंग रेंज में शूटर्स को उपलब्ध करवाई जाएगी.

क्या होते हैं इलेक्ट्रॉनिक टारगेट

शूटिंग रेंज में दो तरह के टारगेट इस्तेमाल किए जाते हैं. एक होता है गत्ते वाला टारगेट जो मैन्युअल होता है. दूसरा इलेक्ट्रॉनिक टारगेट.

क्या होते हैं इलेक्ट्रॉनिक टारगेट

गत्तेवाले टारगेट पर जब शूटर निशाना लगाते हैं तो उनकी परफॉर्मेंस कैसी रही उसका बिल्कुल सटीक हिसाब नहीं लगाया जा सकता. वहीं इलेक्ट्रॉनिक टारगेट पर फायर करने के बात रिजल्ट तुरंत आ जाता है. जो बिल्कुल सटीक होता है. ऐसे में शूटर बेहतर प्रैक्टिस के लिए इलेक्ट्रॉनिक टारगेट को ज्यादा मुफीद मानते हैं.

Last Updated : Mar 30, 2021, 3:42 PM IST
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