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स्पेशल रिपोर्टः मानसून में गुलाबी नगरी का सूरत-ए-हाल...नाले में तब्दील हो जाती हैं सड़कें... - Municipal Corporation Jaipur News

मानसून आते ही गुलाबी नगरी की सड़के मानों तालाब हो जाती हैं. जगह-जगह सीवरेज का गंदा पानी दिखना बारिश के दिनों में आम बात है. वर्तमान में नगर निगम में 117 शिकायतें तो अकेले सीवरेज की पेंडिंग चल रही हैं. वहीं जिम्मेदारों की माने तो नए प्लांट के निर्माण के बाद शहर की सीवरेज से जुड़ी समस्याओं का निराकरण हो जाएगा.

Municipal Corporation Jaipur News
तालाब बनी गुलाबी नगरी की सड़कें
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Published : Jul 27, 2020, 8:03 AM IST

Updated : Jul 27, 2020, 1:23 PM IST

जयपुर. 484 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैले जयपुर शहर की आबादी 40 लाख के करीब पहुंच चुकी है. लेकिन राजधानी जयपुर में अभी भी सीवरेज मैनेजमेंट को लेकर पुख्ता नीति तैयार नहीं की गई. कहने को तो जयपुर शहर स्मार्ट सिटी में शुमार हो रहा है. लेकिन आज भी मानसून के दौरान शहर के सीवरेज मेनहोल उफन पड़ते हैं, और सड़कें नदियों में तब्दील हो जाती हैं.

तालाब बनी गुलाबी नगरी की सड़कें

आसमान से हुई मेघ मल्हार लोगों को जहां गर्मी और उमस से राहत देती है. वहीं नगरीय व्यवस्था की पोल भी खोल देती है. राजधानी में नगर निगम प्रशासन भले ही मानसून से पहले सीवरेज मेनहोल और नालों की सफाई के दावे करता है. लेकिन ये दावे बारिश में हवा हो जाते हैं.

बारिश के साथ ही सीवर चैंबर भी उफन पड़ते हैं, और सड़कें नदियों में तब्दील हो जाती हैं. राजधानी के परकोटा क्षेत्र में तो ये समस्या आम है. लेकिन शहर के पॉश एरिया सिविल लाइन, सी स्कीम भी इससे अछूते नहीं. सीवरेज का गंदा पानी सड़कों पर बहने से आम जनता को भी खासी परेशानी का सामना करना पड़ता है. वर्तमान में नगर निगम में 117 शिकायतें तो अकेले सीवरेज की पेंडिंग चल रही है.

Municipal Corporation Jaipur News
सड़कोंं पर पसरी है गंदगी

उधर, ग्रेटर नगर निगम कमिश्नर दिनेश यादव ने इस समस्या को वृहद और तात्कालिक दो भागों में बांटते हुए कहा कि शहर में जो भी सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट हैं. समय के साथ और जनसंख्या की दृष्टि से अब आउटडेटेड हो गए हैं. ऐसे में अब बड़े सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट बनाने की कवायद शुरू की जा रही हैं. राज्य सरकार की बजट घोषणा के अनुसार डेहलावास में नया प्लांट बनाया जा रहा है. इसमें एनजीटी और सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार नवीनतम तकनीक का इस्तेमाल किया जाएगा. इसके निर्माण के बाद शहर की सीवरेज से जुड़ी समस्याओं का निराकरण हो जाएगा.

Municipal Corporation Jaipur News
तालाब बनी शहर की सड़कें

पढ़ें- जयपुर: नगर निगम ने शहर के एक पार्क को बंद किया, कहा- स्थानीय लोगों की डिमांड है

वहीं उन्होंने मानसून के दौरान तात्कालिक समस्याओं को लेकर निवर्तमान सभी 8 जोन कार्यालयों में नियंत्रण कक्ष बनाए जाने की बात कही. जहां आम जनता शिकायत दर्ज करा सकती है. जिससे तत्काल निराकरण हो सके.

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जगह-जगह भरा है गंदा पानी

उन्होंने कहा कि सीवरेज मेनहोल और नालों से जुड़ी समस्याओं को लेकर के जोन XEN को भी फील्ड में निकलकर मॉनिटरिंग के निर्देश दिए हुए हैं, और यदि उनके कार्य क्षेत्र में कोई समस्या या दुर्घटना होती है, तो वो खुद इसके जिम्मेदार होंगे.

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सीवरेज से बेहाल सड़कें

पढ़ें- राजस्थान में सियासी हलचल के दौरान जयपुर एयरपोर्ट पर बढ़ा चार्टर विमानों का मूवमेंट

बहरहाल, आज जयपुर भले ही स्मार्ट सिटी बनने जा रहा है. लेकिन यहां के सीवरेज सिस्टम को भी स्मार्ट बनाने की दरकार है. जनसंख्या बढ़ने के कारण परकोटे का सीवरेज सिस्टम तो पूरी तरह अपडेट होना चाहिए. ताकि मानसून में सीवरेज मेनहोल शहर की आम जनता के लिए परेशानी का सबब ना बने.

जयपुर. 484 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैले जयपुर शहर की आबादी 40 लाख के करीब पहुंच चुकी है. लेकिन राजधानी जयपुर में अभी भी सीवरेज मैनेजमेंट को लेकर पुख्ता नीति तैयार नहीं की गई. कहने को तो जयपुर शहर स्मार्ट सिटी में शुमार हो रहा है. लेकिन आज भी मानसून के दौरान शहर के सीवरेज मेनहोल उफन पड़ते हैं, और सड़कें नदियों में तब्दील हो जाती हैं.

तालाब बनी गुलाबी नगरी की सड़कें

आसमान से हुई मेघ मल्हार लोगों को जहां गर्मी और उमस से राहत देती है. वहीं नगरीय व्यवस्था की पोल भी खोल देती है. राजधानी में नगर निगम प्रशासन भले ही मानसून से पहले सीवरेज मेनहोल और नालों की सफाई के दावे करता है. लेकिन ये दावे बारिश में हवा हो जाते हैं.

बारिश के साथ ही सीवर चैंबर भी उफन पड़ते हैं, और सड़कें नदियों में तब्दील हो जाती हैं. राजधानी के परकोटा क्षेत्र में तो ये समस्या आम है. लेकिन शहर के पॉश एरिया सिविल लाइन, सी स्कीम भी इससे अछूते नहीं. सीवरेज का गंदा पानी सड़कों पर बहने से आम जनता को भी खासी परेशानी का सामना करना पड़ता है. वर्तमान में नगर निगम में 117 शिकायतें तो अकेले सीवरेज की पेंडिंग चल रही है.

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सड़कोंं पर पसरी है गंदगी

उधर, ग्रेटर नगर निगम कमिश्नर दिनेश यादव ने इस समस्या को वृहद और तात्कालिक दो भागों में बांटते हुए कहा कि शहर में जो भी सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट हैं. समय के साथ और जनसंख्या की दृष्टि से अब आउटडेटेड हो गए हैं. ऐसे में अब बड़े सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट बनाने की कवायद शुरू की जा रही हैं. राज्य सरकार की बजट घोषणा के अनुसार डेहलावास में नया प्लांट बनाया जा रहा है. इसमें एनजीटी और सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार नवीनतम तकनीक का इस्तेमाल किया जाएगा. इसके निर्माण के बाद शहर की सीवरेज से जुड़ी समस्याओं का निराकरण हो जाएगा.

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तालाब बनी शहर की सड़कें

पढ़ें- जयपुर: नगर निगम ने शहर के एक पार्क को बंद किया, कहा- स्थानीय लोगों की डिमांड है

वहीं उन्होंने मानसून के दौरान तात्कालिक समस्याओं को लेकर निवर्तमान सभी 8 जोन कार्यालयों में नियंत्रण कक्ष बनाए जाने की बात कही. जहां आम जनता शिकायत दर्ज करा सकती है. जिससे तत्काल निराकरण हो सके.

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जगह-जगह भरा है गंदा पानी

उन्होंने कहा कि सीवरेज मेनहोल और नालों से जुड़ी समस्याओं को लेकर के जोन XEN को भी फील्ड में निकलकर मॉनिटरिंग के निर्देश दिए हुए हैं, और यदि उनके कार्य क्षेत्र में कोई समस्या या दुर्घटना होती है, तो वो खुद इसके जिम्मेदार होंगे.

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सीवरेज से बेहाल सड़कें

पढ़ें- राजस्थान में सियासी हलचल के दौरान जयपुर एयरपोर्ट पर बढ़ा चार्टर विमानों का मूवमेंट

बहरहाल, आज जयपुर भले ही स्मार्ट सिटी बनने जा रहा है. लेकिन यहां के सीवरेज सिस्टम को भी स्मार्ट बनाने की दरकार है. जनसंख्या बढ़ने के कारण परकोटे का सीवरेज सिस्टम तो पूरी तरह अपडेट होना चाहिए. ताकि मानसून में सीवरेज मेनहोल शहर की आम जनता के लिए परेशानी का सबब ना बने.

Last Updated : Jul 27, 2020, 1:23 PM IST
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