जयपुर. राजस्थान उपचुनाव के रण में कमर कस चुकी भाजपा की मुश्किलें अपनों ने ही बढ़ा रखी हैं. धरियावद हो या फिर वल्लभनगर दोनों ही विधानसभा सीटों पर टिकट न मिलने से नाराज भाजपा के नेताओं ने बगावत का बिगुल फूंक दिया है. खास बात यह है कि उपचुनाव से पहले भाजपा के पास इन बागियों को मना कर वापस शांत कराना बेहद जरूरी है वरना दोनों ही सीटों पर बीजेपी का कमल खिलना मुश्किल होगा. हालांकि पार्टी ने बागियों को मनाने की जिम्मेदारी कई दिग्गज नेताओं को सौंपी है. वे नाराज पदाधिकारियों और नेताओं को मनाएंगे और पार्टी की जीत में सहयोगी बनेंगे.
धरियावद सीट पर कन्हैया ने बढ़ाई परेशानी,इन्हें मान मनोव्वल की सौपी जिम्मेदारी
भाजपा के लिए धरियावद सीट पर उनके दिवंगत विधायक के पुत्र कन्हैयालाल मीणा ही बड़ी चुनौती बनकर सामने आ गए हैं. टिकट नहीं मिलने से नाराज कन्हैयालाल ने यहां निर्दलीय ताल ठोंक दी है. कन्हैया लाल मीणा पूर्व में दो बार लसाड़िया के प्रधान रह चुके हैं और वर्तमान में उनकी पत्नी भी प्रधान हैं. यही कारण है कि उनके चुनाव मैदान में उतरने से भाजपा की स्थिति खराब हो सकती है. कन्हैया लाल मीणा के प्रति क्षेत्र में सहानुभूति की लहर भी है. ऐसे में भाजपा के प्रमुख नेता कन्हैया लाल मीणा की मान मनोव्वल में लगे है ताकि वे नामांकन वापस ले लें.
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खुद भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया भी कन्हैया लाल से संपर्क साधेंगे तो वहीं प्रतिपक्ष के उप नेता राजेंद्र राठौड़ विधायक जोगेश्वर गर्ग, अमृत लाल मीणा, चंद्रभान सिंह आक्या, पूर्व विधायक नानालाल अहारी और गौतम लाल दक और प्रदेश महामंत्री सुशील कटारा को भी कन्हैया लाल को नाम वापसी के लिए मनाने की जिम्मेदारी दी गई है.
वल्लभनगर में उदय लाल डांगी को मिला आरएलपी का साथ, भाजपा को झटका
वल्लभनगर सीट पर भाजपा की परेशानी दोगुनी हो गई है. पहले ही रणधीर सिंह भींडर की जनता सेना बीजेपी के लिए चुनौती बनी हुई थी, अब भाजपा के ही बागी उदय लाल डांगी को राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी का साथ मिल गया है. उस के बैनर तले उन्होंने नामांकन भी दाखिल किया है. डांगी ने पहले निर्दलीय नामांकन भरा था लेकिन आरएलपी सुप्रीमो हनुमान बेनीवाल ने उनसे संपर्क कर अपने सिंबल पर चुनाव लगवाने का ऐलान किया. मतलब इस सीट पर भाजपा की परेशानी अब और बढ़ गई है और यहां कमल खिलाने के लिए भाजपा को काफी पसीना बहाना पड़ेगा.
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हालांकि बीजेपी अब भी प्रयास कर रही है कि उदय लाल डांगी अपना नामांकन वापस ले लें और इसके लिए कई प्रमुख नेताओं को उन्हें मनाने की जिम्मेदारी भी सौंपी गई है. पिछले विधानसभा चुनाव में उदय लाल डांगी भाजपा के प्रत्याशी थे और करीब 42000 वोट हासिल किए थे. इस बार भी वे टिकट की दौड़ में थे लेकिन पार्टी ने तवज्जों नहीं दी तो पहले निर्दलीय नामांकन दाखिल किया और अंतिम दिन आरएलपी का भी साथ उन्हें मिल गया. ऐसे में डांगी ने आरएलपी के टिकट पर चुनाव मैदान में ताल ठोंक दी.
हालांकि नेता प्रतिपक्ष गुलाब चंद कटारिया दांगी को मानने की जिम्मेदारी सौंपी गई है. वहीं केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल, सांसद सीपी जोशी, दीया कुमारी, सुरेश रावत और फूलचंद मीणा भी उदय लाल डांगी की मान मनोव्वल में जुटे हैं लेकिन आरएलपी प्रत्याशी बनने के बाद डांगी के चुनाव मैदान से हटने की संभावना कम ही है.
13 अक्टूबर को साफ होगी तस्वीर,फिर सामने आएगा असली समीकरण
दोनों ही सीटों पर उपचुनाव में नाम वापसी का अंतिम तिथि 13 अक्टूबर है. लिहाजा बागियों की मान मनौवल का दौर अंतिम समय तक जारी रहेगा. हालांकि नाम वापसी का समय निकलने के बाद ही चुनाव मैदान की असली तस्वीर साफ हो पाएगी कि कौन-कौन से प्रत्याशी चुनावी रण में रहेंगे. ये भी तय है कि भाजपा के इन बागियों ने अपना नामांकन वापस नहीं लिया तो इन दोनों ही सीटों पर कमल खिलना मुश्किल होगा.