जयपुर. राजस्थान विधानसभा में शनिवार को 10वीं अनुसूची के दल-बदल कानून में विधानसभा अध्यक्ष की भूमिका को लेकर सेमिनार शुरू हुआ. जिसमें बोलते हुए राजस्थान विधान सभा के स्पीकर सीपी जोशी ने कहा कि दल बदल करने वाले विधायकों के संबंध में कार्रवाई का अधिकार विधानसभा अध्यक्ष की जगह दल-बदल करने वाले विधायक की पार्टी और चुनाव आयोग के पास होने चाहिए.
जोशी ने कहा कि विधानसभा स्पीकर का काम सदन को सही से चलना होता है. जब चुनाव प्रक्रिया देश में शुरू हुई तो हमे आशा थी कि चुने हुए प्रतिनिधि अपनी पार्टी के प्रति निष्ठावान रहेंगे. लेकिन जैसे-जैसे चुनाव हुए दल-बदल की समस्या खड़ी हो गई, जो नेता पार्टी की रीति की नीति के नाम पर जीत कर आया वो दल-बदल कर दूसरी पार्टी में चला गया.
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इसी के चलते दसवीं अनुसूची लागू हुई जिसके कुछ प्रोविजन पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी. जिसके अनुसार पहले एक तिहाई और अब एक पार्टी के दो तिहाई सदस्य मिलकर बिना पार्टी की इच्छा के दल-बदल कर सकते हैं. जोशी ने कहा कि हमने देश में संसदीय लोकतंत्र अपनाया है जिसमें अलग-अलग पार्टियां अपनी विचारधारा के हिसाब से अपने प्रत्याशी खड़े करते हैं. साथ ही पार्टी विचारधारा के आधार पर वह जनता से वोट मांगती है और उसके प्रत्याशी जीत कर आते हैं और जब वह प्रत्याशी दल-बदल करता है, तो इसका अधिकार स्पीकर को दे दिया, जो मैं सही नहीं मानता हूं.
स्पीकर सीपी जोशी ने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष का काम है कि वह सदन को सही से चलाएं और सदन में सही से नहीं चलने वाले सदस्य के खिलाफ कार्रवाई करें. लेकिन यह दायित्व अध्यक्ष का नहीं है कि वह दल-बदल करने वाले विधायकों पर भी निर्णय ले. जोशी ने कहा की 10वीं अनुसूची के तहत यह नियम बना दिया गया की दो-तिहाई सदस्य अगर चाहे तो वह मिलकर पार्टी बदल सकते हैं. उसमें उन्हें अपनी पार्टी को पूछने और बताने की भी आवश्यकता नहीं है.
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इसके चलते छोटी पार्टियों में यह खेल होता है कि उसके दो तिहाई सदस्य पार्टी छोड़ कर चले जाते हैं और उन पर कोई कार्रवाई नहीं कर सकता है. वहीं, बड़ी पार्टियों में यह खेल चल रहा है कि वह सदस्यों से रिजाइन करवाती हैं और फिर दोबारा चुनाव करवाकर बहुमत हासिल कर लेते हैं. ऐसे में पार्टी से दल-बदल करने वाले सदस्यों को डिसक्वालीफाई करने का अधिकार अध्यक्ष के पास ना होकर उस पार्टी के पास होना चाहिए.
वहीं, सीपी जोशी ने कहा कि विधानसभा का अध्यक्ष भी एक व्यक्ति है वह भी बहुमत वाली पार्टी का सदस्य है, उसके मन में भी होता है कि वह चुनाव लड़ेगा और उसे टिकट भी पार्टी ही देगी. ऐसे में यह कैसे हो सकता है कि वह पूरी तरीके से इंपार्शियल होकर निर्णय लेगा. सीपी जोशी ने कहा कि भारत का लोकतंत्र इसलिए ताकतवर है कि हम संसदीय लोकतंत्र के हिसाब से सरकार चला रहे हैं.