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ईएसआई हॉस्पिटल में आत्महत्या रोकथाम विषय पर सेमिनार, विश्व में 8 लाख लोग हर साल करते हैं आत्महत्या - world suicide prevention day

जयपुर में ईएसआई हॉस्पिटल में आत्महत्या रोकथाम विषय पर सेमिनार आयोजित किया गया. इसमें विशेषज्ञों ने लोगों को बढ़ रही आत्महत्या की घटनाओं की रोकथाम को लेकर जागरूक किया.

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आत्महत्या रोकथाम विषय पर सेमिनार
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Published : Sep 10, 2021, 8:58 PM IST

जयपुर. अजमेर रोड स्थित ईएसआई मॉडल हॉस्पिटल में विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस पर मनोरोग विभाग की ओर से सेमिनार का आयोजन किया गया. इस अवसर पर मनोरोग विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. अखिलेश जैन ने आत्महत्या के प्रमुख कारणों एवं बचाव के उपायों के बारे में जानकारी दी.

डॉ. जैन ने बताया कि विश्व की लगभग 8 लाख आबादी प्रतिवर्ष आत्महत्या का शिकार होती हैं जो कि लगभग हर 40 सेकेंड में एक आत्महत्या का होना दर्शाता है. ताजा आंकड़ों के अनुसार हमारे देश मे प्रतिवर्ष लगभग 10 आत्महत्या के केस प्रति एक लाख आबादी पर रिकॉर्ड किये गए हैं.

पढ़ें: साइप्रस में फंसे एमबी मरीन शिप के क्रू-मेंबर लौटे स्वदेश...अपने घर उदयपुर पहुंचकर संजीव ने ली चैन की सांस

अवसाद, नशा, एवम विभिन व्यग्तिगत परिस्थियां इसका प्रमुख कारण बनती हैं. ऐसे में व्यक्ति के साथ संवाद बनाए रखना, उसकी भावनाओं को संज्ञान में लेना एवं उसमें सकारात्मक दृष्टिकोण पैदा करना अत्यंत महत्वपूर्ण है. कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए चिकित्सा अधीक्षक डॉ. अल्का पाल ने चिकित्सकों से मरीजों एवं परिजनों के प्रति सहानुभूति पूर्वक पेश आने पर जोर दिया. इसके अलावा उप अधीक्षक डॉ. आरपी मीना और डॉ. कुलदीप ने मरीजों और परिजनों को भी इस बारे में जागरक किया गया.

जयपुर. अजमेर रोड स्थित ईएसआई मॉडल हॉस्पिटल में विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस पर मनोरोग विभाग की ओर से सेमिनार का आयोजन किया गया. इस अवसर पर मनोरोग विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. अखिलेश जैन ने आत्महत्या के प्रमुख कारणों एवं बचाव के उपायों के बारे में जानकारी दी.

डॉ. जैन ने बताया कि विश्व की लगभग 8 लाख आबादी प्रतिवर्ष आत्महत्या का शिकार होती हैं जो कि लगभग हर 40 सेकेंड में एक आत्महत्या का होना दर्शाता है. ताजा आंकड़ों के अनुसार हमारे देश मे प्रतिवर्ष लगभग 10 आत्महत्या के केस प्रति एक लाख आबादी पर रिकॉर्ड किये गए हैं.

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अवसाद, नशा, एवम विभिन व्यग्तिगत परिस्थियां इसका प्रमुख कारण बनती हैं. ऐसे में व्यक्ति के साथ संवाद बनाए रखना, उसकी भावनाओं को संज्ञान में लेना एवं उसमें सकारात्मक दृष्टिकोण पैदा करना अत्यंत महत्वपूर्ण है. कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए चिकित्सा अधीक्षक डॉ. अल्का पाल ने चिकित्सकों से मरीजों एवं परिजनों के प्रति सहानुभूति पूर्वक पेश आने पर जोर दिया. इसके अलावा उप अधीक्षक डॉ. आरपी मीना और डॉ. कुलदीप ने मरीजों और परिजनों को भी इस बारे में जागरक किया गया.

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