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स्पेशल: कोरोना काल में सेकंड हैंड वाहनों पर गिरी गाज, लेकिन सस्ती कारें अभी भी सदाबहार

3 महीने प्रदेश में पूरी तरह लॉकडाउन रहा. पब्लिक ट्रांसपोर्टेशन के नाम पर मेट्रो भी बंद रही और बस सेवाएं भी बन रही. वहीं बात करे अगर लोकल सिटी बसें और लो-फ्लोर बस की तो उसको शुरू कर दिया गया है. ऐसी स्थिति में पुराने यूज की हुई छोटी कारों की डिमांड में एकाएक वृद्धि हुई, लेकिन जिस तरह डिमांड बढ़ी उस अनुरूप सप्लाई नहीं हो पाई. उसका एक बड़ा कारण कोरोना का हाल में लोगों की आर्थिक रूप से स्थिति खराब होना रहा.

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सस्ती कारों की है अभी भी डिमांड
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Published : Jul 31, 2020, 8:32 PM IST

जयपुर. वैश्विक महामारी कोरोना के संकट काल के दौरान जहां लंबे समय तक सार्वजनिक परिवहन सेवा बंद रही. वहीं पुराने सेकंड हैंड वाहनों की बिक्री पर भी इसका असर देखने को मिला. पब्लिक ट्रांसपोर्टेशन बंद होने की स्थिति में छोटी और सस्ती कारों की डिमांड बढ़ी, लेकिन थोड़ी महंगी यूज्ड कारों की बिक्री लगभग गिर गई. वहीं पुराने दोपहिया वाहनों की बिक्री में भी सहायक फीसदी तक की गिरावट आई है.

सस्ती कारों की है अभी भी डिमांड

दरअसल 3 महीने प्रदेश में पूरी तरह लॉकडाउन रहा. पब्लिक ट्रांसपोर्टेशन के नाम पर मेट्रो भी बंद रही और बस सेवाएं भी बन रही. वहीं बात करे अगर लोकल सिटी बसें और लो-फ्लोर बस की तो उसको शुरू कर दिया गया है. ऐसी स्थिति में पुराने यूज की हुई छोटी कारों की डिमांड में एकाएक वृद्धि हुई, लेकिन जिस तरह डिमांड बढ़ी उस अनुरूप सप्लाई नहीं हो पाई. उसका एक बड़ा कारण कोरोना का हाल में लोगों की आर्थिक रूप से स्थिति खराब होना रहा. मतलब जब आपके पास आय के साधन सीमित हो जाएंगे तो आप नहीं कहा यह वाहन नहीं खरीदेंगे और व्यक्ति जब नया वाहन खरीद लेगा तभी पुराना वाहन बेचने के लिए मार्केट में छोड़ेगा.

पढ़ेंः परिवहन विभाग के अधिकारियों की मनमर्जी, समय पर जारी नहीं किया रोस्टर

राजधानी जयपुर में यूज्ड कार का काम करने वाली कई कंपनियों से जानकारी ली गई. जिसमें यही बात निकल कर सामने आई. यूज्ड कार के कारोबार से जुड़े व्यापारियों का कहना है कि डेढ़ से 2 लाख तक की पुरानी कारें खरीदने को लेकर मांग आ रही है. लेकिन उसके ऊपर 5 लाख और 10 लाख तक की कारें तो नहीं के बराबर बिक रही है.

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सेकंड हैंड वाहनों की गिरी सेल

यह तो बात हुई यूज्ड कार के खरीद और बिक्री की. अब बताते हैं कि कोरोना संक्रमण का असर पुराने दुपहिया वाहनों की बिक्री पर किस तरह पड़ा. दरअसल, लॉकडाउन के दौरान दुपहिया वाहनों की बिक्री पूरी तरह बंद रही. लेकिन जब थोड़ा बहुत मार्केट खुला तब बिक्री पहले की तुलना में 20 से 30% तक ही पहुंच पाई. मतलब अभी 60 से 70 फीसदी तक बिक्री पहले की तुलना में कम है. उसका बड़ा कारण है लोगों की आर्थिक क्षमता कमजोर होना क्योंकि लॉकडाउन के दौरान अधिकतर व्यापार धंधे बंद रहे.

पढ़ेंः Special : कोरोना काल में थमे पब्लिक ट्रांसपोर्ट के पहिए...कमाई 'लॉक' और खर्चा 'अनलॉक'

अब राजस्थान में कोरोना का संकट तो बढ़ रहा है. लेकिन अनलॉक में व्यापार उद्योग धंधे पूर्व की तरह बदस्तूर जारी है. इसी दौरान अब लोगों की आर्थिक क्षमता वापस बढ़ेगी तो लोग भी नए-पुराने वाहन खरीदने में भी रुचि दिखाएंगे. यही कारण है कि इन पुराने वाहनों की बिक्री करने वाले व्यापारियों को अब आने वाले दीपावली के सीजन का इंतजार है ताकि फेस्टिवल सीजन के दौरान इनके व्यापार को कुछ राहत मिल सके.

जयपुर. वैश्विक महामारी कोरोना के संकट काल के दौरान जहां लंबे समय तक सार्वजनिक परिवहन सेवा बंद रही. वहीं पुराने सेकंड हैंड वाहनों की बिक्री पर भी इसका असर देखने को मिला. पब्लिक ट्रांसपोर्टेशन बंद होने की स्थिति में छोटी और सस्ती कारों की डिमांड बढ़ी, लेकिन थोड़ी महंगी यूज्ड कारों की बिक्री लगभग गिर गई. वहीं पुराने दोपहिया वाहनों की बिक्री में भी सहायक फीसदी तक की गिरावट आई है.

सस्ती कारों की है अभी भी डिमांड

दरअसल 3 महीने प्रदेश में पूरी तरह लॉकडाउन रहा. पब्लिक ट्रांसपोर्टेशन के नाम पर मेट्रो भी बंद रही और बस सेवाएं भी बन रही. वहीं बात करे अगर लोकल सिटी बसें और लो-फ्लोर बस की तो उसको शुरू कर दिया गया है. ऐसी स्थिति में पुराने यूज की हुई छोटी कारों की डिमांड में एकाएक वृद्धि हुई, लेकिन जिस तरह डिमांड बढ़ी उस अनुरूप सप्लाई नहीं हो पाई. उसका एक बड़ा कारण कोरोना का हाल में लोगों की आर्थिक रूप से स्थिति खराब होना रहा. मतलब जब आपके पास आय के साधन सीमित हो जाएंगे तो आप नहीं कहा यह वाहन नहीं खरीदेंगे और व्यक्ति जब नया वाहन खरीद लेगा तभी पुराना वाहन बेचने के लिए मार्केट में छोड़ेगा.

पढ़ेंः परिवहन विभाग के अधिकारियों की मनमर्जी, समय पर जारी नहीं किया रोस्टर

राजधानी जयपुर में यूज्ड कार का काम करने वाली कई कंपनियों से जानकारी ली गई. जिसमें यही बात निकल कर सामने आई. यूज्ड कार के कारोबार से जुड़े व्यापारियों का कहना है कि डेढ़ से 2 लाख तक की पुरानी कारें खरीदने को लेकर मांग आ रही है. लेकिन उसके ऊपर 5 लाख और 10 लाख तक की कारें तो नहीं के बराबर बिक रही है.

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सेकंड हैंड वाहनों की गिरी सेल

यह तो बात हुई यूज्ड कार के खरीद और बिक्री की. अब बताते हैं कि कोरोना संक्रमण का असर पुराने दुपहिया वाहनों की बिक्री पर किस तरह पड़ा. दरअसल, लॉकडाउन के दौरान दुपहिया वाहनों की बिक्री पूरी तरह बंद रही. लेकिन जब थोड़ा बहुत मार्केट खुला तब बिक्री पहले की तुलना में 20 से 30% तक ही पहुंच पाई. मतलब अभी 60 से 70 फीसदी तक बिक्री पहले की तुलना में कम है. उसका बड़ा कारण है लोगों की आर्थिक क्षमता कमजोर होना क्योंकि लॉकडाउन के दौरान अधिकतर व्यापार धंधे बंद रहे.

पढ़ेंः Special : कोरोना काल में थमे पब्लिक ट्रांसपोर्ट के पहिए...कमाई 'लॉक' और खर्चा 'अनलॉक'

अब राजस्थान में कोरोना का संकट तो बढ़ रहा है. लेकिन अनलॉक में व्यापार उद्योग धंधे पूर्व की तरह बदस्तूर जारी है. इसी दौरान अब लोगों की आर्थिक क्षमता वापस बढ़ेगी तो लोग भी नए-पुराने वाहन खरीदने में भी रुचि दिखाएंगे. यही कारण है कि इन पुराने वाहनों की बिक्री करने वाले व्यापारियों को अब आने वाले दीपावली के सीजन का इंतजार है ताकि फेस्टिवल सीजन के दौरान इनके व्यापार को कुछ राहत मिल सके.

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