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Special: एसडीआरएफ के जवानों को विशेष जोखिम भत्ते की आस, सरकारी दस्तावेज में अटकी बात - गहलोत सरकार के समक्ष गहलोत सरकार की मांग

प्राकृतिक आपदा आने पर एसडीआरएफ के जवान हमेशा आगे बढ़कर अपनी जिम्मेदारी निभाते हैं. बाढ़, भूकंप में वे बिना अपनी जान की परवाह किए लोगों की जिंदगी बचाने में जुटे रहते हैं. ऐसे में उनकी मांग है कि इस विशेष कार्य के लिए उन्हें वेतन का 25 फीसदी विशेष जोखिम भत्ते के तहत अतिरिक्त दिया जाना चाहिए. पढ़ें पूरी खबर....

SDRF personnel in the hope of special risk allowance
विशेष जोखिम भत्ते की आस में एसडीआरएफ के जवान
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Published : Dec 3, 2020, 9:06 PM IST

जयपुर. प्राकृतिक आपदा आने पर लोगों की सहायता के लिए जुलाई 2013 में राजस्थान में एसडीआरएफ का गठन किया गया और जवानों की भर्ती की गई. एसडीआरएफ के जवानों को जोधपुर में बीएसएफ से ट्रेनिंग भी दिलवाई गई. प्रदेश में किसी भी तरह की प्राकृतिक आपदा आने पर एसडीआरएफ की टीम मदद के लिए तत्काल पहुंच जाती है और सेवाएं देती है.

एसडीआरएएफ मांग रही विशेष जोखिम भत्ता...

एसडीआरएफ के गठन से पूर्व जब भी कोई प्राकृतिक आपदा से राजस्थान का कोई जिला प्रभावित होता तो एनडीआरफ की टीम के आने का इंतजार किया जाता है और उसके बाद ही राहत व बचाव कार्य शुरू हो पाता था. इसे देखते हुए राज्य सरकार की ओर से एसडीआरएफ (स्टेट डिजास्टर रिस्पांस फोर्स) का गठन किया गया. एसडीआरएफ के जवान किसी भी तरह की प्राकृतिक आपदा आने पर अपनी जान को जोखिम में डालकर राहत और बचाव कार्य में करते हैं. इस जोखिम भरे काम के मद्देनजर अब एसडीआरएफ के जवानों द्वारा विशेष जोखिम भत्ते की मांग की जा रही है.

SDRAF soldiers risk their lives
जान जोखिम में डालते हैं एसडीआरएएफ जवान...

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एसडीआरएफ का गठन कर जवानों की भर्ती वर्ष 2013 में की गई. गठन के 7 साल बाद वर्ष 2020 में एसडीआरएफ के जवानों द्वारा मूल वेतन का 25% विशेष जोखिम भत्ते के रूप में देने की मांग की जा रही है. एसडीआरएफ के जवान प्राकृतिक आपदाओं बाढ़, भूकंप, अग्निकांड, जहरीली व हानिकारक गैसों की रिसाव, दुर्घटनाओं एवं ट्रेन हादसों से लेकर न्यूक्लियर रिसाव जैसे हादसों में बचाव और राहत कार्यों के लिए ट्रेंड किए गए हैं.

SDRF soldiers remain in trouble
मुसीबत में डटे रहते हैं एसडीआरएफ के जवान...

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एसडीआरएफ के जवान बाढ़ व मलबे में दबे लोगों को निकालने, केमिकल हादसों, बड़ी दुर्घटनाओं, बायोलॉजिकल, रेडियोलॉजिकल व न्यूक्लियर आपदाओं के दौरान अपनी जान जोखिम में डालकर बचाव कार्य करते हैं. इसे देखते हुए एसडीआरएफ में तैनात कांस्टेबल से लेकर डिप्टी कमांडेंट स्तर तक के अधिकारी को विशेष जोखिम भत्ता दिए जाने की मांग की जा रही है.

SDRF personnel ready to deal with every difficulty
हर मुश्किल से निपटने को तैयार एसडीआरएफ के जवान...
एसडीआरएफ मुख्यालय से भेजा गया विशेष जोखिम भत्ते का प्रस्ताव...
एसडीआरएफ मुख्यालय से 8 अक्टूबर को एडीजी एसडीआरएफ सुष्मित विश्वास द्वारा एसडीआरएफ में कार्यरत पुलिसकर्मियों के जोखिम पूर्ण कार्यों को देखते हुए उन्हें मूल वेतन का 25% राशि विशेष जोखिम भत्ते के रूप में देने के लिए एक प्रस्ताव तैयार कर पुलिस मुख्यालय को भिजवाया गया था. पुलिस मुख्यालय ने प्रस्ताव पर अमल करते हुए 23 नवंबर को एसडीआरएफ के जवानों को विशेष जोखिम भत्ता देने का प्रस्ताव प्रमुख सचिव गृह को भिजवा दिया था. गृह विभाग की ओर से प्रस्ताव का एक ड्राफ्ट बनाकर वित्त विभाग को भेजा गया है. अब इस पूरे प्रकरण में गेंद राजस्थान सरकार के पाले में है.

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वर्तमान में एसडीआरएफ में 684 कांस्टेबल, 80 हेड कांस्टेबल, 22 सब इंस्पेक्टर और इंस्पेक्टर, 2 उप अधीक्षक, 4 अतिरिक्त अधीक्षक, 1 पुलिस अधीक्षक और 1 अतिरिक्त महानिदेशक स्तर के अधिकारी कार्यरत हैं.

एनडीआरएफ की तरह एसडीआरएफ के जवानों को भी मिले सुविधा...

राजस्थान के पूर्व पुलिस अधिकारी योगेंद्र जोशी का कहना है कि जिस प्रकार से एनडीआरएफ के जवानों को विशेष सुविधाएं प्रदान की गई है और बेहतर परिणाम के लिए विशेष वेतन दिया जाता है. ठीक उसी प्रकार से एसडीआरएफ के जवानों को भी सरकार द्वारा विशेष सुविधा मुहैया करवानी चाहिए. पुलिसकर्मियों को भी हार्ड ड्यूटी एलाउंस दिया जाता है और आपदा के वक्त एसडीआरएफ के जवान भी जान को जोखिम में डालकर राहत व बचाव कार्य करते हैं. ऐसे में उन्हें भी हार्ड ड्यूटी एलाउंस दिया जाना चाहिए.

विशेष जोखिम भत्ता देने से सरकार पर आएगा करोड़ों का वित्तीय भार...

एसडीआरएफ के जवान मूल वेतन का 25% विशेष जोखिम भत्ते के रूप में देने की मांग कर रहे हैं. यदि सरकार एसडीआरएफ के जवानों को विशेष जोखिम भत्ता देने को राजी होती है तो सरकार पर छठे और सातवें वेतन आयोग के आधार पर करोड़ों रुपए का वित्तीय भार आएगा. यदि बात छठे वेतन आयोग के अनुसार की जाए तो एसडीआरएफ के जवानों को मूल वेतन का 25% विशेष जोखिम भत्ता देने पर सरकार पर तकरीबन 3 करोड़ रुपए का अतिरिक्त वित्तीय भार आएगा.

वहीं, यदि बात सातवें वेतन आयोग के अनुसार की जाए तो एसडीआरएफ के जवानों को मूल वेतन का 25% विशेष जोखिम भत्ता देने पर सरकार पर तकरीबन 6 करोड़ रुपए का अतिरिक्त वित्तीय भार पड़ेगा. हालांकि एसडीआरएफ के जवान अपनी जान को जोखिम में डालकर लोगों की जान बचाने के लिए जो कार्य कर रहे हैं उसके सामने सरकार पर आने वाला अतिरिक्त वित्तीय भार न के बराबर है.

जयपुर. प्राकृतिक आपदा आने पर लोगों की सहायता के लिए जुलाई 2013 में राजस्थान में एसडीआरएफ का गठन किया गया और जवानों की भर्ती की गई. एसडीआरएफ के जवानों को जोधपुर में बीएसएफ से ट्रेनिंग भी दिलवाई गई. प्रदेश में किसी भी तरह की प्राकृतिक आपदा आने पर एसडीआरएफ की टीम मदद के लिए तत्काल पहुंच जाती है और सेवाएं देती है.

एसडीआरएएफ मांग रही विशेष जोखिम भत्ता...

एसडीआरएफ के गठन से पूर्व जब भी कोई प्राकृतिक आपदा से राजस्थान का कोई जिला प्रभावित होता तो एनडीआरफ की टीम के आने का इंतजार किया जाता है और उसके बाद ही राहत व बचाव कार्य शुरू हो पाता था. इसे देखते हुए राज्य सरकार की ओर से एसडीआरएफ (स्टेट डिजास्टर रिस्पांस फोर्स) का गठन किया गया. एसडीआरएफ के जवान किसी भी तरह की प्राकृतिक आपदा आने पर अपनी जान को जोखिम में डालकर राहत और बचाव कार्य में करते हैं. इस जोखिम भरे काम के मद्देनजर अब एसडीआरएफ के जवानों द्वारा विशेष जोखिम भत्ते की मांग की जा रही है.

SDRAF soldiers risk their lives
जान जोखिम में डालते हैं एसडीआरएएफ जवान...

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एसडीआरएफ का गठन कर जवानों की भर्ती वर्ष 2013 में की गई. गठन के 7 साल बाद वर्ष 2020 में एसडीआरएफ के जवानों द्वारा मूल वेतन का 25% विशेष जोखिम भत्ते के रूप में देने की मांग की जा रही है. एसडीआरएफ के जवान प्राकृतिक आपदाओं बाढ़, भूकंप, अग्निकांड, जहरीली व हानिकारक गैसों की रिसाव, दुर्घटनाओं एवं ट्रेन हादसों से लेकर न्यूक्लियर रिसाव जैसे हादसों में बचाव और राहत कार्यों के लिए ट्रेंड किए गए हैं.

SDRF soldiers remain in trouble
मुसीबत में डटे रहते हैं एसडीआरएफ के जवान...

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एसडीआरएफ के जवान बाढ़ व मलबे में दबे लोगों को निकालने, केमिकल हादसों, बड़ी दुर्घटनाओं, बायोलॉजिकल, रेडियोलॉजिकल व न्यूक्लियर आपदाओं के दौरान अपनी जान जोखिम में डालकर बचाव कार्य करते हैं. इसे देखते हुए एसडीआरएफ में तैनात कांस्टेबल से लेकर डिप्टी कमांडेंट स्तर तक के अधिकारी को विशेष जोखिम भत्ता दिए जाने की मांग की जा रही है.

SDRF personnel ready to deal with every difficulty
हर मुश्किल से निपटने को तैयार एसडीआरएफ के जवान...
एसडीआरएफ मुख्यालय से भेजा गया विशेष जोखिम भत्ते का प्रस्ताव...
एसडीआरएफ मुख्यालय से 8 अक्टूबर को एडीजी एसडीआरएफ सुष्मित विश्वास द्वारा एसडीआरएफ में कार्यरत पुलिसकर्मियों के जोखिम पूर्ण कार्यों को देखते हुए उन्हें मूल वेतन का 25% राशि विशेष जोखिम भत्ते के रूप में देने के लिए एक प्रस्ताव तैयार कर पुलिस मुख्यालय को भिजवाया गया था. पुलिस मुख्यालय ने प्रस्ताव पर अमल करते हुए 23 नवंबर को एसडीआरएफ के जवानों को विशेष जोखिम भत्ता देने का प्रस्ताव प्रमुख सचिव गृह को भिजवा दिया था. गृह विभाग की ओर से प्रस्ताव का एक ड्राफ्ट बनाकर वित्त विभाग को भेजा गया है. अब इस पूरे प्रकरण में गेंद राजस्थान सरकार के पाले में है.

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वर्तमान में एसडीआरएफ में 684 कांस्टेबल, 80 हेड कांस्टेबल, 22 सब इंस्पेक्टर और इंस्पेक्टर, 2 उप अधीक्षक, 4 अतिरिक्त अधीक्षक, 1 पुलिस अधीक्षक और 1 अतिरिक्त महानिदेशक स्तर के अधिकारी कार्यरत हैं.

एनडीआरएफ की तरह एसडीआरएफ के जवानों को भी मिले सुविधा...

राजस्थान के पूर्व पुलिस अधिकारी योगेंद्र जोशी का कहना है कि जिस प्रकार से एनडीआरएफ के जवानों को विशेष सुविधाएं प्रदान की गई है और बेहतर परिणाम के लिए विशेष वेतन दिया जाता है. ठीक उसी प्रकार से एसडीआरएफ के जवानों को भी सरकार द्वारा विशेष सुविधा मुहैया करवानी चाहिए. पुलिसकर्मियों को भी हार्ड ड्यूटी एलाउंस दिया जाता है और आपदा के वक्त एसडीआरएफ के जवान भी जान को जोखिम में डालकर राहत व बचाव कार्य करते हैं. ऐसे में उन्हें भी हार्ड ड्यूटी एलाउंस दिया जाना चाहिए.

विशेष जोखिम भत्ता देने से सरकार पर आएगा करोड़ों का वित्तीय भार...

एसडीआरएफ के जवान मूल वेतन का 25% विशेष जोखिम भत्ते के रूप में देने की मांग कर रहे हैं. यदि सरकार एसडीआरएफ के जवानों को विशेष जोखिम भत्ता देने को राजी होती है तो सरकार पर छठे और सातवें वेतन आयोग के आधार पर करोड़ों रुपए का वित्तीय भार आएगा. यदि बात छठे वेतन आयोग के अनुसार की जाए तो एसडीआरएफ के जवानों को मूल वेतन का 25% विशेष जोखिम भत्ता देने पर सरकार पर तकरीबन 3 करोड़ रुपए का अतिरिक्त वित्तीय भार आएगा.

वहीं, यदि बात सातवें वेतन आयोग के अनुसार की जाए तो एसडीआरएफ के जवानों को मूल वेतन का 25% विशेष जोखिम भत्ता देने पर सरकार पर तकरीबन 6 करोड़ रुपए का अतिरिक्त वित्तीय भार पड़ेगा. हालांकि एसडीआरएफ के जवान अपनी जान को जोखिम में डालकर लोगों की जान बचाने के लिए जो कार्य कर रहे हैं उसके सामने सरकार पर आने वाला अतिरिक्त वित्तीय भार न के बराबर है.

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