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JLF 2020 : विवेकानंद, सावरकर और पटेल के नाम रहा पहला दिन

जयपुर में जेएलएफ 2020 का आगाज हो गया है. सत्र का पहला दिन विवेकानंद, सावरकर और पटेल के नाम रहा, जहां हिंडोल सेनगुप्ता ने मकरंद आर परापंजे और विक्रम संपत ने सावरकर को लेकर चर्चा की.

jaipur news, जयपुर न्यूज
वीर सावरकर RSS के हिस्सा नहीं थे- लेखक विक्रम संपत
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Published : Jan 23, 2020, 11:27 PM IST

जयपुर. जेएलएफ 2020 के पहले दिन विवेकानंद, सावरकर और पटेल के नाम रहा. 'विवेकानंद, सावरकर एंड पटेल स्कार्स फ्रॉम द पास्ट' सेशन में हिंडोल सेनगुप्ता ने मकरंद आर परापंजे और विक्रम संपत के साथ चर्चा की. सत्र के दौरान वक्ताओं द्वारा विवेकानंद, सवारकर और सरदार पटेल के भारत निर्माण में अहम योगदान पर विस्तार से चर्चा की गई.

वीर सावरकर RSS के हिस्सा नहीं थे- लेखक विक्रम संपत

इस दौरान सावरकर पर किताब लिखने वाले लेखक विक्रम संपत ने कहा कि इतिहास के लेखक की मंशा यह होनी चाहिए कि जो सही है लोग उसे आपकी किताब से जाने. उन्होंने कहा सावरकर को आरएसएस से जोड़ा जाता है जबकि वे इसका हिस्सा नहीं थे. बल्कि उनके भाई बाबा राव सावरकर संघ के संस्थापक सदस्य थे, वहीं उनके छोटे भाई महात्मा गांधी के अनुयाई थे. उनकी अलग विचारधारा थी.

फिर भी तीन भाई एक ही छत के नीचे रहते थे. सावरकर को इस्लाम विरुद्ध माना जाता है लेकिन, उन्होंने सभी के लिए एक कानून की बात रखी थी. वह भेदभाव के सख्त खिलाफ थे. यहां तक कि वह गाय को पूजने से भी मना करते थे.

पढ़ें- रेल सेवा का विस्तारः अब कोटा और हिसार के लिए मिलेगी सीधी ट्रेन....

दरअसल, यह हमारी अज्ञानता और कम शोध की वजह से है कि उनके खिलाफ ऐसी बातें की जाती है. दरअसल दूसरों की वजह से किसी भी स्वतंत्रता सेनानी का योगदान कम नहीं किया जा सकता. उन्होंने कहा कि विनायक दामोदर सावरकर की तरह स्वतंत्रता सेनानी राम प्रसाद बिस्मिल और कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया के संस्थापक सदस्य श्रीपद डांगे ने भी अंग्रेजों को दया याचिका लिखी थी.

लेकिन, वर्तमान राजनीति के परिपेक्ष में देखा जाए तो सिर्फ सावरकर की दया याचिका पर ही सवाल उठाए जाते हैं, हो सकता ये एक रणनीति का हिस्सा हो या फिर उस समय के हालात ऐसे हो, यदि लेखक भी वर्तमान माहौल से प्रभावित होकर तथ्यों को बदल दें तो यह सही नहीं है.

जयपुर. जेएलएफ 2020 के पहले दिन विवेकानंद, सावरकर और पटेल के नाम रहा. 'विवेकानंद, सावरकर एंड पटेल स्कार्स फ्रॉम द पास्ट' सेशन में हिंडोल सेनगुप्ता ने मकरंद आर परापंजे और विक्रम संपत के साथ चर्चा की. सत्र के दौरान वक्ताओं द्वारा विवेकानंद, सवारकर और सरदार पटेल के भारत निर्माण में अहम योगदान पर विस्तार से चर्चा की गई.

वीर सावरकर RSS के हिस्सा नहीं थे- लेखक विक्रम संपत

इस दौरान सावरकर पर किताब लिखने वाले लेखक विक्रम संपत ने कहा कि इतिहास के लेखक की मंशा यह होनी चाहिए कि जो सही है लोग उसे आपकी किताब से जाने. उन्होंने कहा सावरकर को आरएसएस से जोड़ा जाता है जबकि वे इसका हिस्सा नहीं थे. बल्कि उनके भाई बाबा राव सावरकर संघ के संस्थापक सदस्य थे, वहीं उनके छोटे भाई महात्मा गांधी के अनुयाई थे. उनकी अलग विचारधारा थी.

फिर भी तीन भाई एक ही छत के नीचे रहते थे. सावरकर को इस्लाम विरुद्ध माना जाता है लेकिन, उन्होंने सभी के लिए एक कानून की बात रखी थी. वह भेदभाव के सख्त खिलाफ थे. यहां तक कि वह गाय को पूजने से भी मना करते थे.

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दरअसल, यह हमारी अज्ञानता और कम शोध की वजह से है कि उनके खिलाफ ऐसी बातें की जाती है. दरअसल दूसरों की वजह से किसी भी स्वतंत्रता सेनानी का योगदान कम नहीं किया जा सकता. उन्होंने कहा कि विनायक दामोदर सावरकर की तरह स्वतंत्रता सेनानी राम प्रसाद बिस्मिल और कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया के संस्थापक सदस्य श्रीपद डांगे ने भी अंग्रेजों को दया याचिका लिखी थी.

लेकिन, वर्तमान राजनीति के परिपेक्ष में देखा जाए तो सिर्फ सावरकर की दया याचिका पर ही सवाल उठाए जाते हैं, हो सकता ये एक रणनीति का हिस्सा हो या फिर उस समय के हालात ऐसे हो, यदि लेखक भी वर्तमान माहौल से प्रभावित होकर तथ्यों को बदल दें तो यह सही नहीं है.

Intro:जयपुर- जेएलएफ 2020 के पहले दिन विवेकानंद, सावरकर और पटेल के नाम रहा। 'विवेकानंद, सावरकर एंड पटेल स्कार्स फ्रॉम द पास्ट' सेशन में हिंडोल सेनगुप्ता ने मकरंद आर परापंजे और विक्रम संपत के साथ चर्चा की। सत्र के दौरान वक्ताओं द्वारा विवेकानंद, सवारकर और सरदार पटेल के भारत निर्माण में अहम योगदान पर विस्तार से चर्चा की गई। इस दौरान सावरकर पर किताब लिखने वाले लेखक विक्रम संपत ने कहा कि इतिहास के लेखक की मंशा यह होनी चाहिए कि जो सही है लोग उसे आपकी किताब से जाने। उन्होंने कहा सावरकर को आरएसएस से जोड़ा जाता है जबकि वे इसका हिस्सा नहीं थे। बल्कि उनके भाई बाबा राव सावरकर संघ के संस्थापक सदस्य थे, वहीं उनके छोटे भाई महात्मा गांधी के अनुयाई थे। उनकी अलग विचारधारा थी।


Body:फिर भी तीन भाई एक ही छत के नीचे रहते थे। सावरकर को इस्लाम विरुद्ध माना जाता है लेकिन उन्होंने सभी के लिए एक कानून की बात रखी थी। वह भेदभाव के सख्त खिलाफ थे। यहां तक कि वह गाय को पूजने से भी मना करते थे। दरअसल, यह हमारी अज्ञानता और कम शोध की वजह से है कि उनके खिलाफ ऐसी बातें की जाती है। दरअसल दूसरों की वजह से किसी भी स्वतंत्रता सेनानी का योगदान कम नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा कि विनायक दामोदर सावरकर की तरह स्वतंत्रता सेनानी राम प्रसाद बिस्मिल और कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया के संस्थापक सदस्य श्रीपद डांगे ने भी अंग्रेजों को दया याचिका लिखी थी लेकिन वर्तमान राजनीति के परिपेक्ष में देखा जाए तो सिर्फ सावरकर की दया याचिका पर ही सवाल उठाए जाते है, हो सकता ये एक रणनीति का हिस्सा हो या फिर उस समय के हालात ऐसे हो, यदि लेखक भी वर्तमान माहौल से प्रभावित होकर तथ्यों को बदल दें तो यह सही नहीं है।


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