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करगिल के पहले शहीद सैनिक की मां को याद आए अभिनंदन, मोदी सरकार से की ये गुजारिश

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Published : Jul 26, 2019, 12:43 AM IST

29 जून 1976 को अमृतसर में जन्मे सौरभ कालिया का चयन अगस्त 1997 में एनडीए परीक्षा के जरिए सेना में हुआ था. ट्रेनिंग के बाद 12 दिसंबर 1998 को भारतीय थलसेना में उन्हे 4 जाट रेजिमेंट में कमीशन मिला. कुछ दिनों तक जाट रेजिमेंट सेंटर, बरेली में तैनाती के बाद उनकी पोस्टिंग कारगिल सेक्टर में हुई. करगिल में पोस्टिंग के दौरान उन्होने मां से कहा था 'मां कहीं दूर पोस्टिंग जा रहा हूं, कई दिन तक फोन न आए तो चिंता करना'

करगिल विजय को 20 साल पूरे

कांगड़ा. करगिल विजय को 20 साल पूरे हो गए हैं. करगिल के पहले शहीद लेफ्टिनेंट सौरभ कालिया की मां रुंधे गले और आंखों में तैरती बेटे की स्मृतियों को याद करती हुई कहती हैं कि कैप्टन अभिनंदन को पाकिस्तानी सेना के कब्जे से छुड़ाने के लिए जैसी कार्रवाई मोदी सरकार ने की थी ऐसी ही राजनीतिक और कूटनीतिक कार्रवाई सरकार अब सौरभ कालिया और उनके साथियों को न्याय दिलवाने के लिए करे.

करगिल विजय को 20 साल पूरे

26 जुलाई को करगिल विजय को 20 साल पूरे हो जाएंगे. 20 साल पहले भारतीय सैनिकों के बलिदान, समर्पण और त्याग के बूते भारत जंग तो जीत गया था, लेकिन इस करगिल युद्ध के पहले शहीद कहलाने वाले सौरभ कालिया के माता-पिता आज भी बेटे को न्याय दिलाने के लिए और पाकिस्तान का चेहरा पूरी दुनिया के सामने लाने के लिए 20 सालों से अकेले ही बिना किसी हथियारों से लड़ रहे हैं.

29 जून 1976 को अमृतसर में जन्मे सौरभ कालिया का चयन अगस्त 1997 में एनडीए परीक्षा के जरिए सेना में हुआ था. ट्रेनिंग के बाद 12 दिसंबर 1998 को भारतीय थलसेना में उन्हे 4 जाट रेजिमेंट में कमीशन मिला. कुछ दिनों तक जाट रेजिमेंट सेंटर, बरेली में तैनाती के बाद उनकी पोस्टिंग कारगिल सेक्टर में हुई. करगिल में पोस्टिंग के दौरान उन्होने मां से कहा था 'मां कहीं दूर पोस्टिंग जा रहा हूं, कई दिन तक फोन न आए तो चिंता करना'

मई के महीने में करगिल क्षेत्र में पाकिस्तानी सैनिकों की घुसपैठ की खबरें भारतीय सेना को मिलने लगीं. मई 1999 में सौरभ कालिया को पांच सैनिकों के साथ कारगिल के कोकसर में दुश्मनों की टोह लेने के लिए भेजा गया, लेकिन सेना इस टुकड़ी को पाकिस्तानी सेना ने पकड़ लिया और कई अमानवीय यातनाएं दी.

लेफ्टिनेंट सौरभ कालिया के शरीर को सिगरेट से दागा गया, आंखों को सरिया घुसा कर निकल लिया गया. हाथ पांव के नाखून उखाड़ लिए गए. हाथ-पांव और गुप्तांगों को काट दिया गया. राइफल के बट से दांत तोड़ दिए गए और चेहरा बिगाड़ दिया गया. कई दिन तक अमानविय यातनाओं का सिलसिला चलने के बाद शरीर को गोलियों से छलनी कर दिया गया.

सौरभ कालिया और उनकी टीम में शामिल पांच सैनिकों के शव 22 दिन बाद क्षत विक्षत हालत में नौ जून को भारतीय सेना को सौंपे गए. शव इतनी खराब हालत में थे की पहचानना मुश्किल था. सौरभ कालिया का पार्थिव शरीर जब घर आया तो बेटे को वो मां भी नहीं पहचान पाई जिसे उसने 9 महीने कोख में पालने के बाद कई साल अपनी गोद में खिलाया था.


जो पिता कभी कंधे पर बिठाकर अपने बेटों को स्कूल से घर लेकर आता था, आज से ठीक 20 साल पहले तिरंगे में लिपटे और ताबूत में कैद बेटे के छलनी शरीर को कंधे पर उठाकर घर पहुंचा था. उस वीर के शरीर को जिसने भी देखा उसने यही कहा होगा कि पाकिस्तान शैतानों और बहशियों का देश है. लेफ्टिनेंट कालिया के पिता ने भी पाकिस्तान का असली चेहरा पूरी दुनिया के सामने लाने की ठान रखी हैं.

सौरभ कालिया के साथ युद्ध के दौरान हुई बर्बरता को लेकर उनके पिता एनके कालिया ने कहा कि उनकी लड़ाई पिछले 20 वर्षों से जारी है. सौरभ कालिया की शहादत के समय तक्कालीन प्रधानमंत्री, विदेश मंत्री से लेकर रक्षा मंत्री ने वादा किया था कि इस मामले को हम पाकिस्तान के समक्ष उठाएंगे, लेकिन इतने सालों में हमें नहीं लगा कि इस मामले में कोई सुनवाई हुई है. साल 2012 में हमने इस मामले को सुप्रीम कोर्ट में उठाया और हमारी सुनवाई भी हुई. यह दो देशों के बीच में है और विदेश मंत्रालय इस मामले में कोई कार्रवाई करे तभी हमे इंसाफ मिलेगा.

कारगिल युद्ध के विजय दिवस पर शहीद लेफ्टिनेंट सौरव कालिया के पिता डॉ. एन के कालिया ने कहा कि देश के उन तमाम सैनिकों का धन्यवाद करता हूं जो हमेशा देश के सिर को ऊंचा रखते हैं. वहीं, भारत पाकिस्तान की स्थित को लेकर एन के कालिया ने कहा की जबसे एनडीए-2 की सरकार आई है काफी कुछ बदला हुआ है. जिस तरह के कदम एनडीए-2 के समय से उठाए जा रहे हैं वो आजतक नहीं उठाए गए थे.

उन्होंने कहा कि 20 सालों में जो नही हुआ वो आज हो रहा है. आज तो पाकिस्तान भी सोचता है कि कुछ गलत करेंगे तो भारत कुछ कार्रवाई करेगा. सैनिकों को आज तक खुली छूट नहीं मिली थी जिस वजह से सैनिक शहीद होते गए. आज सैनिकों को कार्रवाई करने की छूट है.

कांगड़ा. करगिल विजय को 20 साल पूरे हो गए हैं. करगिल के पहले शहीद लेफ्टिनेंट सौरभ कालिया की मां रुंधे गले और आंखों में तैरती बेटे की स्मृतियों को याद करती हुई कहती हैं कि कैप्टन अभिनंदन को पाकिस्तानी सेना के कब्जे से छुड़ाने के लिए जैसी कार्रवाई मोदी सरकार ने की थी ऐसी ही राजनीतिक और कूटनीतिक कार्रवाई सरकार अब सौरभ कालिया और उनके साथियों को न्याय दिलवाने के लिए करे.

करगिल विजय को 20 साल पूरे

26 जुलाई को करगिल विजय को 20 साल पूरे हो जाएंगे. 20 साल पहले भारतीय सैनिकों के बलिदान, समर्पण और त्याग के बूते भारत जंग तो जीत गया था, लेकिन इस करगिल युद्ध के पहले शहीद कहलाने वाले सौरभ कालिया के माता-पिता आज भी बेटे को न्याय दिलाने के लिए और पाकिस्तान का चेहरा पूरी दुनिया के सामने लाने के लिए 20 सालों से अकेले ही बिना किसी हथियारों से लड़ रहे हैं.

29 जून 1976 को अमृतसर में जन्मे सौरभ कालिया का चयन अगस्त 1997 में एनडीए परीक्षा के जरिए सेना में हुआ था. ट्रेनिंग के बाद 12 दिसंबर 1998 को भारतीय थलसेना में उन्हे 4 जाट रेजिमेंट में कमीशन मिला. कुछ दिनों तक जाट रेजिमेंट सेंटर, बरेली में तैनाती के बाद उनकी पोस्टिंग कारगिल सेक्टर में हुई. करगिल में पोस्टिंग के दौरान उन्होने मां से कहा था 'मां कहीं दूर पोस्टिंग जा रहा हूं, कई दिन तक फोन न आए तो चिंता करना'

मई के महीने में करगिल क्षेत्र में पाकिस्तानी सैनिकों की घुसपैठ की खबरें भारतीय सेना को मिलने लगीं. मई 1999 में सौरभ कालिया को पांच सैनिकों के साथ कारगिल के कोकसर में दुश्मनों की टोह लेने के लिए भेजा गया, लेकिन सेना इस टुकड़ी को पाकिस्तानी सेना ने पकड़ लिया और कई अमानवीय यातनाएं दी.

लेफ्टिनेंट सौरभ कालिया के शरीर को सिगरेट से दागा गया, आंखों को सरिया घुसा कर निकल लिया गया. हाथ पांव के नाखून उखाड़ लिए गए. हाथ-पांव और गुप्तांगों को काट दिया गया. राइफल के बट से दांत तोड़ दिए गए और चेहरा बिगाड़ दिया गया. कई दिन तक अमानविय यातनाओं का सिलसिला चलने के बाद शरीर को गोलियों से छलनी कर दिया गया.

सौरभ कालिया और उनकी टीम में शामिल पांच सैनिकों के शव 22 दिन बाद क्षत विक्षत हालत में नौ जून को भारतीय सेना को सौंपे गए. शव इतनी खराब हालत में थे की पहचानना मुश्किल था. सौरभ कालिया का पार्थिव शरीर जब घर आया तो बेटे को वो मां भी नहीं पहचान पाई जिसे उसने 9 महीने कोख में पालने के बाद कई साल अपनी गोद में खिलाया था.


जो पिता कभी कंधे पर बिठाकर अपने बेटों को स्कूल से घर लेकर आता था, आज से ठीक 20 साल पहले तिरंगे में लिपटे और ताबूत में कैद बेटे के छलनी शरीर को कंधे पर उठाकर घर पहुंचा था. उस वीर के शरीर को जिसने भी देखा उसने यही कहा होगा कि पाकिस्तान शैतानों और बहशियों का देश है. लेफ्टिनेंट कालिया के पिता ने भी पाकिस्तान का असली चेहरा पूरी दुनिया के सामने लाने की ठान रखी हैं.

सौरभ कालिया के साथ युद्ध के दौरान हुई बर्बरता को लेकर उनके पिता एनके कालिया ने कहा कि उनकी लड़ाई पिछले 20 वर्षों से जारी है. सौरभ कालिया की शहादत के समय तक्कालीन प्रधानमंत्री, विदेश मंत्री से लेकर रक्षा मंत्री ने वादा किया था कि इस मामले को हम पाकिस्तान के समक्ष उठाएंगे, लेकिन इतने सालों में हमें नहीं लगा कि इस मामले में कोई सुनवाई हुई है. साल 2012 में हमने इस मामले को सुप्रीम कोर्ट में उठाया और हमारी सुनवाई भी हुई. यह दो देशों के बीच में है और विदेश मंत्रालय इस मामले में कोई कार्रवाई करे तभी हमे इंसाफ मिलेगा.

कारगिल युद्ध के विजय दिवस पर शहीद लेफ्टिनेंट सौरव कालिया के पिता डॉ. एन के कालिया ने कहा कि देश के उन तमाम सैनिकों का धन्यवाद करता हूं जो हमेशा देश के सिर को ऊंचा रखते हैं. वहीं, भारत पाकिस्तान की स्थित को लेकर एन के कालिया ने कहा की जबसे एनडीए-2 की सरकार आई है काफी कुछ बदला हुआ है. जिस तरह के कदम एनडीए-2 के समय से उठाए जा रहे हैं वो आजतक नहीं उठाए गए थे.

उन्होंने कहा कि 20 सालों में जो नही हुआ वो आज हो रहा है. आज तो पाकिस्तान भी सोचता है कि कुछ गलत करेंगे तो भारत कुछ कार्रवाई करेगा. सैनिकों को आज तक खुली छूट नहीं मिली थी जिस वजह से सैनिक शहीद होते गए. आज सैनिकों को कार्रवाई करने की छूट है.

Intro:धर्मशाला- कारिगल के युद्ध को आज 20 वर्ष बीत गए  20 वर्ष बीतने के बाद भी शहीद कैप्टन सौरव कालिया के पिता आज भी बेटे के शरीर के साथ हुई बर्बरता के लिए इंसाफ की लड़ाई लड़  रहे है और उन्हें ऊमीद है कि उनके बेटे और उनके साथियों को इंसाफ मिलेगा। कारगिल युद्ध के विजय दिवस पर शहीद कैप्टन सौरव कालिया के पिता डॉ एन के कालिया ने कहा कि देश के उन तमाम सेनिको को धन्यवाद करता हु जो हमेशा देश के सिर को ऊँचा रखते है। उन्होंने कहा कि कठिन परिस्थितियों में काम करना और देश को सुरक्षित रखना यह बड़ी बात है। 





Body:वही भारत पाकिस्तान की स्थित को लेकर एन के कालिया ने कहा की जबसे एनडीए 2 की सरकार आई है तबसे काफी कुछ बदला हुआ है। उन्होंने कहा कि इस तरह के जो कदम जो सामने आए है बो आजतक नही आये है। उन्होंने कहा कि उरी अटैक के बाद पुलबाम अटैक के बाद करवाई हुई और पालयट अभिनंदन की घर वापिसी हुई कुलभूषण जाधव के मामले में भी करवाई हुई। उन्होंने कहा कि 20 सालों में जो नही हुआ वो आज हो रहा है। आज तो पाकिस्तान भी सोचता है कि कुछ गलत करेगे तो भारत कुछ करवाई करेगा।  वही पिछले 20 सालों से सेनिको की शहादत पर एन के कालिया ने कहा कि सैनिकों को आज तक खुली छूट नही मिली जिस वजह से सैनिक शहीद होते गए। उन्होंने कहा कि आज सेनिको को करवाई करने की छूट है। उन्होंने कहा कि आज आंतक वादी घटनाओं में कमी आई है ओर सेनिको को जो है वो छूट दी गई है। 





Conclusion:सौरव कालिया के साथ युद्ध के दौरान हुई उनके शरीर के साथ बर्बरता को लेकर एन के कालिया ने कहा कि उनकी लड़ाई पिछले 20 वर्षो से जारी है। उन्होंने कहा कि जिस वक्त यह घटना हुई थी तो उस वक्त के प्रधानमंत्री विदेश मंत्री ओर रक्षा मंत्री ने वादा किया था कि इस मामले को हम पाकिस्तान के समक्ष उठाएगे । उन्होंने कहा कि लेकिन इतने सालों में हमे नही लगा कि इस मामले में कोई सुनवाई हुई है।उन्होंने कहा कि सन 2012 में हमने उस मामले को सुप्रीम कोर्ट में उठाया और हमारी सुनवाई भी हुई । उन्होंने कहा कि यह जो मामला है यह दो देशों के बीच में है और विदेश मंत्रालय इस मामले में कोई करवाई करे ताकि हमे इंसाफ मिलेगा।  एन के कालिया ने कहा कि उनका प्रयास जारी है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान का चहरा क्या यह लोगो को पता तो चला कि किस तरह से पाकिस्तान ने कैप्टन सौरव कालिया ओर उनके साथियों के शरीर के साथ बर्बरता दिखाई थी। 

सौरव कालिया के माता कहती है कि हमारी कोई मांग नही है लेकिन हम चाहते है कि कैप्टन सौरव कालिया ओर उनके साथियों को इंसाफ मिले उन्होंने कहा कि नरेंद्र मोदी से ऊमीद है कि उन्हें इंसाफ मिलेगा। उन्होंने कहा कि कानूनी लड़ाई दो देशों के बीच है और अगर राज नेता कुछ करेगे तभी कुछ सम्भव हो पायेगा।


कैप्टन सौरव कालिया की माता कहती है की पिछेल 20 सालों में पाकिस्तान में कोई बदलाब नही आया है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान का स्तर नीचे ही गिरता जा रहा है ओर उसे सबक सिखाने की जरूरत है।



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