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Sarva Pitru Amavasya 2022: पितरों को इस तरह दें विदाई, हमेशा साथ रहेगा आशीर्वाद

हिंदू धर्म में पितृ पक्ष का विशेष महत्व है. आज यानी अमावस्या के दिन पितृ पक्ष का आखिरी दिन है. जिन पितरों की तिथि ज्ञात नहीं होती, उन सभी का श्राद्ध अमावस्या के दिन किया जाता (Sarva Pitru Amavasya) है. यहां जानिए पितृ पक्ष के आखिरी दिन पितरों को कैसे विदा किया जाता है.

Sarv Pitru Amavasya 2022
सर्वपितृ अमावस्या
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Published : Sep 24, 2022, 2:26 PM IST

Updated : Sep 25, 2022, 6:24 AM IST

जयपुर. पितृ पक्ष के आखिरी श्राद्ध को पितृपक्ष अमावस्या कहा जाता है. मान्यता है कि यदि किसी कारणवश तिथि के अनुसार अपने पूर्वजों का श्राद्ध कर्म नहीं कर पाते तो, सर्वपितृ अमावस्या (Sarva Pitru Amavasya) के दिन जरूर श्राद्ध करना चाहिए. ऐसा करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है, और वो प्रसन्न होकर धरती लोक से वापस जाते हैं. साथ ही अपनों को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद भी देते हैं.

हिंदू पंचांग के अनुसार पितृपक्ष हर साल भाद्रपद की पूर्णिमा तिथि से लेकर आश्विन की अमावस्या तिथि तक होता है. इस साल पितृपक्ष 10 सितंबर को प्रारंभ हुआ था, जो 25 सितंबर यानी रविवार तक रहेगा. 25 सितंबर को सर्वपितृ अमावस्या के साथ ही श्राद्धपक्ष का समापन हो जाएगा. कुछ लोग इसे पितृ मोक्ष अमावस्या भी कहते हैं.

पितरों को इस तरह दें विदाई

पढ़ें: Sarva Pitru Amavasya 2022 : यदि पूर्वजों की श्राद्ध तिथि नहीं है याद तो इस दिन किया जा सकता है श्राद्ध

पितृ पक्ष के 16 दिनों में सर्व पितृ अमावस्या का विशेष महत्व है, क्योंकि इस दिन सभी प्रकार के ज्ञात और अज्ञात पितरों का श्राद्ध कर्म किया जाता है. हर व्यक्ति को अपने पितरों का श्राद्ध, तर्पण, पिंडदान आदि करना चाहिए, इससे पितर भी तृप्त रहते हैं और परिवार में भी सुख, समृद्धि और खुशहाली बनी रहती है.

जिस व्यक्ति का निधन किसी भी माह के शुक्ल पक्ष या कृष्ण पक्ष की जिस तिथि को होता है, पितृ पक्ष में उस तिथि को ही उसका श्राद्ध होता है. कई बार लोगों को अपने पितरों के निधन की तिथि याद नहीं होती है और कई ऐसे पितर होते हैं, जिनके बारे में उनके संतानों को याद नहीं होता है. इस वजह से इन सभी पितरों का श्राद्ध सर्व पितृ अमावस्या के दिन होता है. ज्ञात और अज्ञात सभी पितर इस दिन श्राद्ध, तर्पण, पिंडदान, ब्राह्मण भोजन से तृप्त हो जाते हैं.

पढ़ें: पितरों को तर्पण कर दी गई आखिरी विदाई, अब शुरू हो सकेंगे मांगलिक कार्यक्रम...

ज्योतिषाचार्य पंडित पुरुषोत्तम गौड़ के अनुसार जो भी अज्ञात पितर हैं, जिनके बारे में पता नहीं है, वे पितर भी पितृ पक्ष में पृथ्वी लोक पर आप से तृप्त होने की आशा रखते हैं. जब उनको तृप्त नहीं करते हैं, तो वे निराश होकर चले जाते हैं. वे श्राप देते हैं, जिससे पितृ दोष लगता है. परिवार में बीमारी, अशांति, उन्नति का रुक जाना जैसी कई प्रकार की समस्याएं पैदा होने लगती हैं. इस वजह से सर्व पितृ अमावस्या के दिन सभी ज्ञात और अज्ञात पितरों का श्राद्ध और तर्पण कर देना चाहिए.

बता दें कि हिंदू पंचांग के अनुसार पितृपक्ष की अमावस्या तिथि 25 सितंबर को सुबह 3 बजकर 12 मिनट पर शुरू होगी और ये तिथि 26 सितंबर को सुबह 3 बजकर 23 मिनट पर समाप्त होगी. उदयातिथि के अनुसार श्राद्ध कर्म 25 सितंबर को किया जाएगा.

जयपुर. पितृ पक्ष के आखिरी श्राद्ध को पितृपक्ष अमावस्या कहा जाता है. मान्यता है कि यदि किसी कारणवश तिथि के अनुसार अपने पूर्वजों का श्राद्ध कर्म नहीं कर पाते तो, सर्वपितृ अमावस्या (Sarva Pitru Amavasya) के दिन जरूर श्राद्ध करना चाहिए. ऐसा करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है, और वो प्रसन्न होकर धरती लोक से वापस जाते हैं. साथ ही अपनों को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद भी देते हैं.

हिंदू पंचांग के अनुसार पितृपक्ष हर साल भाद्रपद की पूर्णिमा तिथि से लेकर आश्विन की अमावस्या तिथि तक होता है. इस साल पितृपक्ष 10 सितंबर को प्रारंभ हुआ था, जो 25 सितंबर यानी रविवार तक रहेगा. 25 सितंबर को सर्वपितृ अमावस्या के साथ ही श्राद्धपक्ष का समापन हो जाएगा. कुछ लोग इसे पितृ मोक्ष अमावस्या भी कहते हैं.

पितरों को इस तरह दें विदाई

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पितृ पक्ष के 16 दिनों में सर्व पितृ अमावस्या का विशेष महत्व है, क्योंकि इस दिन सभी प्रकार के ज्ञात और अज्ञात पितरों का श्राद्ध कर्म किया जाता है. हर व्यक्ति को अपने पितरों का श्राद्ध, तर्पण, पिंडदान आदि करना चाहिए, इससे पितर भी तृप्त रहते हैं और परिवार में भी सुख, समृद्धि और खुशहाली बनी रहती है.

जिस व्यक्ति का निधन किसी भी माह के शुक्ल पक्ष या कृष्ण पक्ष की जिस तिथि को होता है, पितृ पक्ष में उस तिथि को ही उसका श्राद्ध होता है. कई बार लोगों को अपने पितरों के निधन की तिथि याद नहीं होती है और कई ऐसे पितर होते हैं, जिनके बारे में उनके संतानों को याद नहीं होता है. इस वजह से इन सभी पितरों का श्राद्ध सर्व पितृ अमावस्या के दिन होता है. ज्ञात और अज्ञात सभी पितर इस दिन श्राद्ध, तर्पण, पिंडदान, ब्राह्मण भोजन से तृप्त हो जाते हैं.

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ज्योतिषाचार्य पंडित पुरुषोत्तम गौड़ के अनुसार जो भी अज्ञात पितर हैं, जिनके बारे में पता नहीं है, वे पितर भी पितृ पक्ष में पृथ्वी लोक पर आप से तृप्त होने की आशा रखते हैं. जब उनको तृप्त नहीं करते हैं, तो वे निराश होकर चले जाते हैं. वे श्राप देते हैं, जिससे पितृ दोष लगता है. परिवार में बीमारी, अशांति, उन्नति का रुक जाना जैसी कई प्रकार की समस्याएं पैदा होने लगती हैं. इस वजह से सर्व पितृ अमावस्या के दिन सभी ज्ञात और अज्ञात पितरों का श्राद्ध और तर्पण कर देना चाहिए.

बता दें कि हिंदू पंचांग के अनुसार पितृपक्ष की अमावस्या तिथि 25 सितंबर को सुबह 3 बजकर 12 मिनट पर शुरू होगी और ये तिथि 26 सितंबर को सुबह 3 बजकर 23 मिनट पर समाप्त होगी. उदयातिथि के अनुसार श्राद्ध कर्म 25 सितंबर को किया जाएगा.

Last Updated : Sep 25, 2022, 6:24 AM IST
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