जयपुर. राजस्थान के सरपंच इन दिनों राज्य सरकार (Rajasthan Government) से खासे नाराज हैं. इसी नाराजगी को लेकर अब सरपंच संघ ने 2 अक्टूबर से शुरू होने वाले प्रशासन गांव के संघ अभियान (boycott of campaign with administration village) का बहिष्कार का अब फैसला ले लिया है. प्रदेश के 11 हजार से सरपंच सरकार के इस अभियान में शामिल नहीं होंगे.
सरपंच संघ के प्रतिनिधिमंडल पिछले एक महीने से सचिवालय में ग्रामीण विकास पंचायती राज और नरेगा के अधिकारियों से 15 सितंबर को दिए गए 20 सूत्री मांग पत्र की प्रगति की गुहार लगा रहा है. सरपंच संघ का आरोप है कि प्रदेश की गहलोत सरकार ने सरपंच संघ से जो समझौता किया उसके एक भी बिंदु को पूरा नहीं किया. पिछले एक महीने से संघ के पदाधिकारी सचिवालय के चक्कर काट रहे हैं लेकिन सरकार के अधिकारी ना मांगों को लेकर कोई आदेश जारी कर रहे हैं और ना कोई संतुष्टिपूर्ण जवाब दे रहे हैं.
सरपंच संघ के प्रदेश अध्यक्ष बंशीधर गढ़वाल ने कहा कि सरकार हठधर्मिता अपना रही है. ऐसे में संघ ने तय किया है शनिवार से शुरू हो रहे अभियान का बहिष्कार किया जाएगा. प्रदेश प्रवक्ता रफीक पठान ने बताया कि सरपंच संघ लम्बे समय से अपनी मांगों को लेकर सरकार के दर पर चक्कर काट रहा है. लेकिन सरकार के अधिकारी हैं कि संघ की मांगों को गंभीरता नहीं ले रहे हैं. जबकि 15 सितंबर को 20 बी बिंदुओं पर सहमति हो चुकी है. सरपंच संघ का पूर्ण बहिष्कार आंदोलन शुरू किया हुआ है, वो जारी रहेगा और 2 अक्टूबर से शुरू होने वाले प्रशासन गांव के संग अभियान का बहिष्कार किया जाएगा.
ग्राम पंचायतों पर पूर्णतया असहयोग आन्दोलन चलाया जाएगा. इसके साथ ही 14 तारीख से चल रहा जल जीवन मिशन से संबंधित सभी कार्यों का संपूर्ण विरोध और ऑनलाइन कार्यों का बहिष्कार जारी रहेगा. प्रदेश में 11 हजार 342 सरपंच हैं. प्रशासन गांव के संघ अभियान में सरपंच महत्वपूर्ण कड़ी होता है. पट्टे जारी करने, भूमि हस्तांतरण सम्बंधित कामों में भी सरपंच की जरूरत पड़ती है.