जयपुर. कोरोना काल में निजी स्कूलों की ओर से फीस वसूली के मामले में पिछले दिनों अहम फैसला देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने फीस एक्ट-2016 की अनुपालन सुनिश्चित करने के आदेश दिए थे. ऐसे में अब संयुक्त अभिभावक संघ ने फीस एक्ट-2016 को पूरी तरह लागू करने की मांग तेज कर दी है. इसी कड़ी में खंडीय फीस विनियामक समिति और पुनरीक्षण समिति के गठन की मांग को लेकर संयुक्त अभिभावक संघ ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा और शिक्षा विभाग की प्रमुख सचिव अपर्णा अरोड़ा को पत्र लिखा है.
संयुक्त अभिभावक संघ के प्रदेश अध्यक्ष अरविंद अग्रवाल का कहना है कि 3 मई 2021 को सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में फीस एक्ट-2016 की पालना सुनिश्चित करवाने का आदेश दिया था और कहा था कि बिना फीस एक्ट 2016 की पालना फीस वसूली नहीं की जा सकती है. लेकिन, न तो राज्य स्तर पर और न ही जिला स्तर पर खंडीय फीस विनियामक समितियों और पुनरीक्षण समितियों का गठन किया गया है.
उनका कहना है कि प्रदेश के 95 फीसदी से ज्यादा निजी स्कूलों में फीस एक्ट 2016 की पालना नहीं की जा रही है. इससे संबंधित सूचनाएं भी अभिभावकों को नहीं दी जा रही हैं. उन्होंने बताया कि इस संबंध में शिक्षा मंत्री और मुख्यमंत्री को पत्र लिखा है. इसमें स्कूलों को खंडीय फीस विनियामक समिति और पुनरीक्षण समिति का गठन करने के लिए आदेशित करने और कानूनी रूप से अधिसूचना जारी करने की मांग की गई है ताकि निजी स्कूलों की मनमानी पर रोक लगाई जा सके.
संयुक्त अभिभावक संघ के लीगल सेल प्रभारी अमित छंगाणी का कहना है कि खंडीय फीस विनियामक समिति और पुनरीक्षण समिति फीस एक्ट 2016 के अहम हिस्से हैं. उन्होंने बताया कि पेरेंट्स टीचर एसोसिएशन के सदस्यों में से स्कूल लेवल फीस कमेटी का गठन करवाना होता है. यह समिति ही स्कूल की फीस तय करेगी.
उन्होंने बताया कि फीस निर्धारण को लेकर कोई विवाद होने पर इसका निपटारा खंडीय फीस विनियामक समिति और पुनरीक्षण समिति की ओर से किए जाने का प्रावधान है. इस संबंध में अभिभावकों को जागरूक करने के लिए संघ की ओर से लगातार वर्चुअल मीटिंग्स का आयोजन भी किया जा रहा है. बता दें कि पिछले दिनों कुछ स्कूलों की ओर से फीस जमा नहीं करवाने पर बच्चों को ऑनलाइन क्लास से ब्लॉक करने का मामला भी सामने आया था.