जयपुर. राजस्थान में आरक्षण की आग फिर उग्र रूप लेती नजर आ रही है. अब माली, सैनी, मौर्य, कुशवाहा और सूर्यवंशी समाज ओबीसी आरक्षण का वर्गीकरण कर 12% आरक्षण अलग से देने की मांग कर रहा है, जिस पर राजस्थान जाट महासभा प्रदेश ने एतराज जताया है. हालांकि, इसी बीच यह भी देखना लाजमी होगा कि नौकरियों में ओबीसी आरक्षण का सर्वाधिक लाभ (Rajasthan Reservation News) कौन सी जातियां ले रही हैं. नवंबर 2012 को पेश की गई ओबीसी आयोग की रिपोर्ट में जो आंकडे दिए गए हैं उसमें जाट, यादव, कुमावत और माली, सैनी समाज इस आरक्षण का सर्वाधिक लाभ ले रहा है.
आयोग ने करवाया था सर्वे, नौकरियों का यह आंकड़ा आया था सामने : प्रदेश सरकार के निर्देश पर राजस्थान राज्य ओबीसी असयोग ने ओबीसी में शामिल जातियों का शिक्षा का स्तर, नौकरी, रहन-सहन सहित विभिन्न बिंदुओं पर सर्वे कराया था. इसमें राज्य की सरकारी नौकरियों में ओबीसी में शामिल विभिन्न जातियों का आंकड़ों के साथ ब्योरा भी दिया गया था. यह सर्वे विकास अध्ययन संस्थान के जरिए करवाया गया था और तब ओबीसी में 81 जातियां शामिल थीं. सर्वे में राजस्थान की विभिन्न सरकारी नौकरियों में साल 2001 से लेकर 2012 तक के आंकड़े दिए गए हैं, जिसमें कितनी नौकरी ओबीसी में शामिल किस जाति को मिली. इन आंकड़ों को देखें तो ओबीसी वर्ग में शामिल जातियों में सर्वाधिक आरक्षण का लाभ लेकर सरकारी नौकरियों में लगने वाली जाति में जाट समाज पहले नंबर पर है. वहीं, यादव, कुमावत और माली व सैनी समाज भी टॉप 5 में शामिल है.
वर्ष 2007 से 2012 तक आरपीएससी से चयनित ओबीसी अधिकारियों में टॉप 5 में रहीं ये जातियां : साल 2007 से 12 तक आरपीएससी के माध्यम से जो राज्यसभा के अधिकारियों का चयन हुआ, उसमें ओबीसी में शामिल जातियों की बात की जाए तो आंकड़े बहुत कुछ कहानी बयां कर देते हैं. उसके बाद ओबीसी के वर्गीकरण की मांग काफी हद तक जायज भी लगती है. इन सालों में कार्मिक, गृह, लेखा, वाणिज्य कर, राज्य बीमा, महिला बाल अधिकारिता, उद्योग, सहकारिता और ग्रामीण विकास और पंचायती राज विभाग में 830 पदों पर वैकेंसी निकली.
जिनमें से ओबीसी में चयनित अभ्यर्थियों की संख्या 191 है. इनमें भी सर्वाधिक 100 अभ्यर्थी जाट समाज के मतलब 50 फीसदी से भी अधिक पदों पर (OBC Reservation in Rajasthan) नियुक्ति तो अकेले जाट समाज के अभ्यर्थियों को ही मिली. वहीं, दूसरे नंबर पर चारण समाज के अभ्यर्थी रहे, जिन्हें 40 पदों पर नियुक्ति मिली. इसी तरह तीसरे नंबर पर यादव समाज है, जिसे इनमें से 25 पदों पर नियुक्तियों का लाभ मिला. बिश्नोई समाज को 15 पदों पर और माली, सैनी व बागवान समाज को 14 पदों पर नियुक्तियां मिलीं.
RAS व RPS पदों की नियुक्ति में ओबीसी में जाट समाज रहा टॉप पर : अब आरएएस पदों पर नियुक्ति की बात की जाए तो इन वर्षों में 169 पदों पर भर्ती हुई, जिनमें ओबीसी चयनित अभ्यर्थियों की संख्या 54 थी और इनमें भी 20 अभ्यर्थी जाट समाज के थे. दूसरे नंबर पर यादव-अहीर समाज के 6 अभ्यर्थी थे और तीसरे नंबर पर कुम्हार समाज के 5 और चौथे नंबर पर बिश्नोई समाज के 4 और पांचवें नंबर पर माली, सैनी समाज के 3 अभ्यर्थियों की नियुक्ति हुई. इसी तरह इन्हीं वर्षों में राजस्थान पुलिस सेवा के 55 पदों पर भर्ती निकली, जिनमें से ओबीसी के चयनित अभ्यर्थियों की संख्या 12 थी. इनमें भी सर्वाधिक 10 संख्या जाट समाज के अभ्यर्थियों की थी. यह प्रतिशत 85 फीसदी से भी अधिक है. वहीं, चारण समाज पुलिस सेवा में दूसरे नंबर पर और यादव व बिश्नोई समाज की तीसरे नंबर पर रहा. यही नहीं, ओबीसी वर्ग के 20% अभ्यर्थियों ने जनरल कोटे में भी नियुक्तियां पाईं.
साल 2001 से सितंबर 2012 तक चिकित्सक नियुक्ति में ओबीसी की 3 जातियां रहीं टॉप पर : जनवरी 2001 से लेकर 30 सितंबर 2012 तक प्रदेश में सरकारी चिकित्सकों की भर्ती कि यदि बात की जाए तो इस दौरान 6365 पदों पर भर्तियां हुईं, जिनमें 1407 पद ओबीसी के लिए आरक्षित थे लेकिन चयनित 1940 अभ्यर्थी हुए. ओबीसी के लिए आरक्षित 1407 पद में से 763 पदों पर अकेले जाट समाज के अभ्यर्थियों ने नियुक्ति पाई. मतलब 50 फीसदी से अधिक आरक्षण का लाभ चिकित्सक की नौकरी में केवल जाट समाज ने उठाया है. वहीं, दूसरे नंबर पर यादव समाज रहा, जिसके 138 अभ्यर्थियों को यह नौकरी मिली. तीसरे नंबर पर माली, सैनी और बागवान समाज रहा, जिनके 130 अभ्यर्थियों को इन पदों पर नियुक्तियां मिलीं.
ओबीसी आरक्षण का वर्गीकरण जायज मांग, लेकिन जातियों की आबादी के आधार पर हो : वह इस मामले में समता आंदोलन समिति के अधिवक्ता रहे वरिष्ठ अधिवक्ता शोभित तिवाड़ी का कहना है कि ओबीसी आरक्षण के वर्गीकरण की मांग कानूनी रूप से सही मानी जा सकती है, लेकिन इसके लिए वर्गीकरण सभी जातियों की आबादी के आधार पर ही हो सकता है. तिवाड़ी ने कहा कि गुर्जर आरक्षण आंदोलन के दौरान भी जब सरकार ने 5% एमबीसी समाज को आरक्षण दिया वह भी कानूनी रूप से गलत था, जिसके खिलाफ कोर्ट में चुनौती भी दी गई और अब जब एक समाज को सरकार ने इस तरह का आरक्षण का फायदा दे दिया तो अन्य समाज भी वही मांग करने लगे हैं. तिवाड़ी ने कहा कि ओबीसी समाज के वर्गीकरण के बाद जो 92 जातियां ओबीसी में शामिल हैं, उनमें से उन जातियों को आरक्षण का वास्तविक लाभ मिलने लग जाएगा जो ओबीसी में शामिल होने के बावजूद अब तक आरक्षण का लाभ सही तरीके से नहीं उठा पाईं. तिवाड़ी ने कहा कि आज भी ओबीसी में शामिल कुछ ही जातियां आरक्षण का पूरा लाभ ले रही हैं.
जाट समाज का विरोध...राजाराम मील ने कहा- माली, सैनी समाज की आबादी 1% और मांग रहे 12% आरक्षण : वहीं, भरतपुर में ओबीसी आरक्षण के वर्गीकरण कर 12% आरक्षण माली, सैनी, मौर्य, सूर्यवंशी और कुशवाहा को दिए जाने की मांग पर राजस्थान जाट महासभा ने आपत्ति दर्ज की है. महासभा के प्रदेश अध्यक्ष राजाराम मील ने कहा कि यह जातियां एक से डेढ़ प्रतिशत की आबादी वाली हैं, लेकिन आरक्षण 12% मांग रही हैं जो पूरी तरह गलत है. मील ने कहा कि इन जातियों को आरक्षण वर्गीकरण के लिए सड़कों पर बैठने का भी कोई हक नहीं है.
उन्होंने कहा कि ऐसे तो जाट समाज भी अपनी आबादी के लिहाज से जयपुर में चारों दिशाओं की सड़कें जाम कर सरकार से 60 प्रतिशत आरक्षण की मांग करेंगे तो क्या सरकार दे देगी. राजाराम मील के अनुसार (Rajaram Meel on Reservatin Movement) सरकारी नौकरियों में जहां तक नियुक्ति की बात है तो जाट समाज ओबीसी में सर्वाधिक आबादी वाला समाज है. ऐसे में जब सरकारी नौकरियां निकलेंगी तो पढ़ाई और मेरिट के आधार पर ही उसमें नियुक्तियां भी होंगी, उसमें कोई गलत नहीं है.
यह आपको बता दें कि ओबीसी के तहत 12% आरक्षण की मांग को लेकर सूर्यवंशी, कुशवाहा, मौर्य, सैनी और माली समाज के लोग (Rajasthan Saini Mali and Kushwaha Samaj Protest) 13 जून से भरतपुर में हाईवे पर जाम लगा कर बैठे हैं. आंदोलनकारियों का कहना है कि सरकार ने मांग पर ध्यान नहीं दिया तो रेलवे ट्रैक भी जाम कर देंगे.