जयपुर. राजस्थान कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष सचिन पायलट ने बुधवार को एनसीआरबी की रिपोर्ट में प्रदेश में महिलाओं के साथ बढ़ रही दुष्कर्म की घटनाओं पर चिंता (Sachin pilot on crime in Rajasthan) जताई. उन्होंने महिलाओं के साथ ही प्रदेश में दलितों, आदिवासियों के साथ बढ़ रहे अत्याचार को भी चिंताजनक बताते हुए, राजस्थान एससी आयोग को संवैधानिक दर्जा देने की मांग रखी है. पायलट ने बढ़ते अपराध को रोकने के लिए कानून की सख्ती से पालना करवाने की बात कही है.
बुधवार को मीडिया से रूबरू होते हुए सचिन पायलट ने कहा कि मैंने भी एनसीआरबी की रिपोर्ट देखी है. मैं समझता हूं कि दलितों, आदिवासियों और महिलाओं के खिलाफ राजस्थान में हो रहे अत्याचार के मामले चिंताजनक हैं. पायलट ने राजस्थान के एससी आयोग को संवैधानिक दर्जा देने की मांग करते हुए कहा कि कई प्रदेशों में कॉन्स्टिट्यूशन का दर्जा एससी आयोग को मिला हुआ (Sachin pilot on SC commission ) है. एससी आयोग को संवैधानिक दर्जा देने के साथ ही पूरी सरकार को मिलकर काम करना चाहिए कि कैसे हम इन मामलों को मिलकर कंट्रोल करें.
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पायलट ने कहा कि न्याय लोगों को समय पर मिले यह बहुत जरूरी है, ताकि किसी में इतनी हिम्मत ना हो कि गरीब, दलित पर अत्याचार करने की सोच सके. पायलट ने कहा कि मैंने जालोर में भी कहा था कि कानून बनाने से लोगों के जेहन में डर नहीं बैठता. एक्शन के जरिए ऐसा वातावरण हमें बनाना होगा कि कोई भी व्यक्ति ऐसी हिम्मत नहीं करें कि बच्चियों, दलितों और आदिवासियों पर कोई इस तरह से आक्रमण ना कर सके.
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एनएसयूआई की हार पर जताई चिंताः पायलट ने राजस्थान की सभी यूनिवर्सिटी में एनएसयूआई को मिली हार पर कहा कि ऐसा बहुत सालों में पहली बार हुआ है कि एनएसयूआई सभी यूनिवर्सिटी में चुनाव हार जाए. इसे लेकर हम लोगों को चिंता करनी चाहिए कि कमी कहां रह गई, क्या कैंडिडेट सिलेक्शन गलत हुआ या प्रचार में कमी रह गई या फिर सरकार की कामयाबी और सरकार के 4 साल के कार्यकाल को हम जनता के सामने लेकर नहीं गए. पायलट ने कहा कि नौजवान प्रदेश का सबसे बड़ा हिस्सा है, नौजवानों की भावना, सोच और जो उम्मीदें हैं उनको कैसे पूरा करना है? उस पर ध्यान देना चाहिए.
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पायलट ने कहा कि करीब 14 यूनिवर्सिटी में चुनाव हुए हैं. उनमें हम जीत नहीं सके, उसमें पार्टी को भी और हमारे संगठन को भी यह चिंता करनी चाहिए कि ऐसे परिणाम क्यों आए? क्योंकि पहली बार कई सालों में ऐसा हुआ है कि यूनिवर्सिटी चुनाव में एनएसयूआई चुनाव नहीं जीत सकी. युवा देश के आने वाले भविष्य की उम्मीद हैं. उनकी सोच के अनुसार प्रदेश के संगठन और सरकार को काम करना चाहिए.