जयपुर. राजस्थान मंत्रिमंडल विस्तार और राजनीतिक नियुक्तियों को लेकर कांग्रेस पार्टी के बीच चल रहे अंतर्द्वंद का हल अब तक नहीं निकला है. कभी सचिन पायलट कैंप के विधायकों की ओर से बयानबाजी की जा रही है, तो कभी गहलोत कैंप की ओर से, लेकिन अब तक कांग्रेस आलाकमान की ओर से इस मामले पर कोई संज्ञान नहीं लिया गया है.
दिल्ली में पायलट के 'हाथ' खाली, जयपुर में रणनीति
बता दें, सचिन पायलट 5 दिनों तक दिल्ली में रहे, लेकिन उनकी दिल्ली में किसी भी आलाकमान के नेता से इस बारे में चर्चा नहीं हुई. ऐसे में अब सचिन पायलट राजस्थान लौट आए हैं और वह अगले कुछ दिन जयपुर ही रहने वाले हैं, जहां बुधवार शाम जयपुर आते ही उनसे विधायकों ने मुलाकात की और आगे की रणनीति के बारे में भी पायलट ने विधायकों को बताया.
'कार्यकर्ताओं के सम्मान की लड़ाई लड़ रहे पायलट'
दरअसल, इस पूरी कवायद में एक बात पूरी तरीके से साफ हो चुकी है कि फिलहाल पायलट कैंप की मांग प्रदेश में मंत्रिमंडल विस्तार के साथ ही उन कांग्रेस कार्यकर्ताओं के मान सम्मान के रूप में राजनीतिक नियुक्तियां दिलवाने की है, जिन्होंने 2014 से लेकर 2018 तक संघर्ष किया और राजस्थान में कांग्रेस की सरकार बनवाई. इसके साथ ही पायलट कैंप की यह मांग भी है कि अगर कैबिनेट विस्तार होता भी है तो उसमें पावर लेस मिनिस्टर न बनाया जाए.
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लड़ाई से साफ, गहलोत ही रहेंगे 5 साल तक सीएम
जानकारों के हवाले से खबर निकल कर आ रही है कि आलाकमान सचिन पायलट की कुछ मांगों को मान सकता है, लेकिन बात यह भी है कि सचिन पायलट को कांग्रेस का महासचिव बनना होगा और जो वर्तमान परिस्थितियां राजस्थान में बन चुकी हैं उसमें साफ है कि राजस्थान में अब मुख्यमंत्री पद की लड़ाई नहीं है. अशोक गहलोत ही पूरे 5 साल राजस्थान के मुख्यमंत्री रहेंगे.
गहलोत की रजामंदी का इंतजार कर रहा आलाकमान
सूत्रों के मुताबिक सचिन पायलट को कांग्रेस आलाकमान, महासचिव बनने का प्रस्ताव दे रहा है, लेकिन सचिन पायलट ने भी साफ कर दिया है कि जब तक उनके सहयोगी विधायकों और कांग्रेस कार्यकर्ताओं का मान सम्मान राजस्थान में फिर से नहीं होगा, तब तक वह AICC का भी कोई पद स्वीकार नहीं करेंगे. ऐसे में अभी माना जा सकता है कि अगर सचिन पायलट बाहर जाने को तैयार हो जाते हैं तो फिर प्रदेश में पायलट कैंप के विधायकों और उनके समर्थक कार्यकर्ताओं और नेताओं को जल्द ही सरकार में हिस्सेदारी मिल सकती है. हालांकि, इसमें अभी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की राजामंदी का इंतजार आलाकमान को भी है.