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पितृपक्ष 2019: रुस की महिलाओं ने किया मोक्षनगरी में पिंडदान, भारतीय संस्कृति और वेशभूषा में रमकर की पूजा - pinddaan ritual in gaya

रुस की महिलाओं ने किया मोक्षनगरी में पिंडदान किया. उन्होंने कहा कि रुस के लोग भी भारत के वैदिक धर्म से बेहद प्रभावित हैं. इसी वजह से परेशानियों और प्रेत बाधाओं से मुक्ति के लिए वो पिंडदान करने गया आईं हैं.

importance of pindadan in gaya, गया में पिंडदान का महत्तव
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Published : Sep 14, 2019, 11:53 PM IST

गया: भगवान श्रीविष्णु की धरती बिहार के गया में पितृपक्ष के मौके पर लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी है. देश ही नहीं बल्कि विदेशों से भी लोग यहां पितरों को मोक्ष दिलाने पिंडदान करते हैं. सनातन धर्म में मान्यता है कि पिंडदान करने से पुरखों को मोक्ष की प्राप्ति होती है. इसी क्रम में शुक्रवार को रुस से आईं 2 विदेशी महिला तीर्थयात्रियों ने विष्णुपद मंदिर प्रांगण में अपने पितरों के लिए पिंडदान किया.

importance of pindadan in gaya, गया में पिंडदान का महत्तव
पिंडदान की पूजा करते लोग

रुसी महिलाओं ने किया पिंडदान
रुस से आईं जुलिया कुदरिना और इस्लामोभा वेनिरा के मुताबिक वहां के लोग भी भारत के वैदिक धर्म से बेहद प्रभावित हैं. इसी वजह से परेशानियों और प्रेत बाधाओं से मुक्ति के लिए वो पिंडदान करने गया आईं हैं. विदेशियों में भी अपने पितरों के पिंडदान को लेकर विश्वास बढ़ा है और उनका मानना है कि पितरों की आत्माओं की मुक्ति गया में ही संभव है. इन विदेशी महिलाओं ने पूरी तरह भारतीय संस्कृति और वेशभूषा में पिंडदान किया.

importance of pindadan in gaya, गया में पिंडदान का महत्तव
पिंडदान

पितृ तीर्थ भी कहते हैं
लोग अपने पितरों के पिंडदान के लिए गया आते हैं. मान्यता है कि गया भगवान विष्णु का नगर है. विष्णु पुराण के अनुसार यहां पूर्ण श्रद्धा से पितरों का श्राद्ध करने से उन्हें मोक्ष मिलता है. ऐसा माना जाता है कि गया में भगवान विष्णु स्वयं पितृ देवता के रूप में उपस्थित रहते हैं, इसलिए इसे पितृ तीर्थ भी कहते हैं

importance of pindadan in gaya, गया में पिंडदान का महत्तव
पिंडदान की विधि

प्रेतशीला में पिंडदान से पूर्वजों को यम की यातना से मुक्ति
दरअसल मोक्ष की नगरी गया में उत्तर दिशा की ओर लगभग 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है प्रेतशीला. नाम से ही पता चलता है कि यह प्रेतों का पर्वत है. इस पर्वत पर यम देवता का स्थान माना जाता है. प्रेतशिला पहाड़ी के ऊपर एक छोटा सा यम का मंदिर है. उस मंदिर के परिसर में तीर्थ यात्री चावल तथा आटे का पिंडदान करते हैं. माना जाता है कि यहां पिंडदान करने से मृत आत्मा यम की यातना से मुक्त हो जाती हैं.

भारतीय संस्कृति और वेशभूषा में रमकर रुस की महिलाओं की पूजा

कुल चार कुंड है मोक्षनगरी में
प्रेतशिला पहाड़ी के ऊपर मंदिर तथा उसका पार्श्व भाग जहां तीर्थयात्री पिंडदान करते हैं. उसका निर्माण कोलकाता के किसी धर्मनुरागी व्यवसायी ने1974 में कराया था. इस पहाड़ के नीचे तीन कुंड हैं, जिन्हें सीताकुंड, निगरा कुंड और सुख कुंड कहा जाता है. इसके अतिरिक्त भगवान यम के मंदिर के नीचे समतल में एक चौथा कुंड है, जिसे रामकुंड कहा जाता है.

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गया में पितृपक्ष के मौके पर लोगों की उमड़ी भीड़

भगवान राम ने किया था इस कुंड में स्नान
कथा है कि अपने वनवास के दिनों में भगवान राम ने इस कुंड में स्नान किया था. इस स्थान पर भी पूर्वजों का पिंडदान किया जाता है. यहां कुल मिलाकर पांच वेदियां है. प्रेतशिला, रामशिला, रामकुंड, ब्रह्मकुंड और कागबलि. ये संपूर्ण बेदिया पंच वेदी के नाम से प्रतिष्ठित हैं. गया श्राद्ध के निमित्त आने वाले तीर्थयात्री श्राद्ध क्रम में दूसरे दिन पंच वेदी पर पिंडदान करते हैं.

गया: भगवान श्रीविष्णु की धरती बिहार के गया में पितृपक्ष के मौके पर लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी है. देश ही नहीं बल्कि विदेशों से भी लोग यहां पितरों को मोक्ष दिलाने पिंडदान करते हैं. सनातन धर्म में मान्यता है कि पिंडदान करने से पुरखों को मोक्ष की प्राप्ति होती है. इसी क्रम में शुक्रवार को रुस से आईं 2 विदेशी महिला तीर्थयात्रियों ने विष्णुपद मंदिर प्रांगण में अपने पितरों के लिए पिंडदान किया.

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पिंडदान की पूजा करते लोग

रुसी महिलाओं ने किया पिंडदान
रुस से आईं जुलिया कुदरिना और इस्लामोभा वेनिरा के मुताबिक वहां के लोग भी भारत के वैदिक धर्म से बेहद प्रभावित हैं. इसी वजह से परेशानियों और प्रेत बाधाओं से मुक्ति के लिए वो पिंडदान करने गया आईं हैं. विदेशियों में भी अपने पितरों के पिंडदान को लेकर विश्वास बढ़ा है और उनका मानना है कि पितरों की आत्माओं की मुक्ति गया में ही संभव है. इन विदेशी महिलाओं ने पूरी तरह भारतीय संस्कृति और वेशभूषा में पिंडदान किया.

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पिंडदान

पितृ तीर्थ भी कहते हैं
लोग अपने पितरों के पिंडदान के लिए गया आते हैं. मान्यता है कि गया भगवान विष्णु का नगर है. विष्णु पुराण के अनुसार यहां पूर्ण श्रद्धा से पितरों का श्राद्ध करने से उन्हें मोक्ष मिलता है. ऐसा माना जाता है कि गया में भगवान विष्णु स्वयं पितृ देवता के रूप में उपस्थित रहते हैं, इसलिए इसे पितृ तीर्थ भी कहते हैं

importance of pindadan in gaya, गया में पिंडदान का महत्तव
पिंडदान की विधि

प्रेतशीला में पिंडदान से पूर्वजों को यम की यातना से मुक्ति
दरअसल मोक्ष की नगरी गया में उत्तर दिशा की ओर लगभग 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है प्रेतशीला. नाम से ही पता चलता है कि यह प्रेतों का पर्वत है. इस पर्वत पर यम देवता का स्थान माना जाता है. प्रेतशिला पहाड़ी के ऊपर एक छोटा सा यम का मंदिर है. उस मंदिर के परिसर में तीर्थ यात्री चावल तथा आटे का पिंडदान करते हैं. माना जाता है कि यहां पिंडदान करने से मृत आत्मा यम की यातना से मुक्त हो जाती हैं.

भारतीय संस्कृति और वेशभूषा में रमकर रुस की महिलाओं की पूजा

कुल चार कुंड है मोक्षनगरी में
प्रेतशिला पहाड़ी के ऊपर मंदिर तथा उसका पार्श्व भाग जहां तीर्थयात्री पिंडदान करते हैं. उसका निर्माण कोलकाता के किसी धर्मनुरागी व्यवसायी ने1974 में कराया था. इस पहाड़ के नीचे तीन कुंड हैं, जिन्हें सीताकुंड, निगरा कुंड और सुख कुंड कहा जाता है. इसके अतिरिक्त भगवान यम के मंदिर के नीचे समतल में एक चौथा कुंड है, जिसे रामकुंड कहा जाता है.

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गया में पितृपक्ष के मौके पर लोगों की उमड़ी भीड़

भगवान राम ने किया था इस कुंड में स्नान
कथा है कि अपने वनवास के दिनों में भगवान राम ने इस कुंड में स्नान किया था. इस स्थान पर भी पूर्वजों का पिंडदान किया जाता है. यहां कुल मिलाकर पांच वेदियां है. प्रेतशिला, रामशिला, रामकुंड, ब्रह्मकुंड और कागबलि. ये संपूर्ण बेदिया पंच वेदी के नाम से प्रतिष्ठित हैं. गया श्राद्ध के निमित्त आने वाले तीर्थयात्री श्राद्ध क्रम में दूसरे दिन पंच वेदी पर पिंडदान करते हैं.

Intro:फ्रांस देश से आई विदेशी महिलाओं ने अपने पितरों की मोक्ष की प्राप्ति के लिए किया पिंडदान,
भारतीय श्राद्ध कर्मकांड में अपनी आस्था जताई।Body:गया: भगवान श्रीविष्णु की धरती बिहार के गया में लोगों की भीड़ उमड़ी हुई है। देश ही नहीं बल्कि विदेशों से भी लोग यहां पितृपक्ष में पितरों को मोक्ष दिलाने के पिंडदान करते हैं। सनातन धर्म में मान्यता है कि पिंडदान करने से पुरखों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसी क्रम में शुक्रवार को रुस से आए 2 विदेशी महिला तीर्थयात्री जुलिया कुदरिना और इस्लामोभा वेनिरा महिला ने विष्णुपद मंदिर प्रांगण में अपने पितरों के लिए पिंडदान किए। रुस से आई इन महिला तीर्थयात्रियों के मुताबिक वहां के लोग भी भारत के वैदिक धर्म से बेहद प्रभावित हैं और इसी वजह से परेशानियों और प्रेत बाधाओं से मुक्ति के लिए वो पिंडदान करने गया आईं हैं। विदेशियों में भी अपने पितरों के पिंडदान को लेकर विश्वास बढ़ा है और उनका मानना है कि पितरों की आत्माओं की मुक्ति गया में ही संभव है। इन विदेशी महिलाओं ने पूरी तरह भारतीय संस्कृति और वेशभूषा में पिंडदान किया।लोग अपने पितरों के पिंडदान के लिए गया इसलिए आते हैं क्योंकि ऐसी मान्यता है कि गया भगवान विष्णु का नगर है और विष्णु पुराण के अनुसार यहां पूर्ण श्रद्धा से पितरों का श्राद्ध करने से उन्हें मोक्ष मिलता है। ऐसा माना जाता है कि गया में भगवान विष्णु स्वयं पितृ देवता के रूप में उपस्थित रहते हैं, इसलिए इसे पितृ तीर्थ भी कहते हैं।

बाईं- बिदेशी महिला
बाईंट- पंडा ।

रिपोर्ट- प्रदीप कुमार सिंह
गयाConclusion:
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