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इलाज में लापरवाही से गई रोशनी, अस्पताल पर 17 लाख का हर्जाना

राज्य उपभोक्ता आयोग ने मरीज के इलाज में लापरवाही बरतने के चलते डॉ. मुमताज एचएन अस्पताल पर 17 लाख रुपए का हर्जाना लगाया है. साथ ही अस्पताल के खिलाफ सीआरपीसी की धारा 340 के तहत अलग से कार्रवाई खोलकर जांच के आदेश दिए हैं.

Dr Mumtaz HN Hospital,  State Consumer Commission Order
राज्य उपभोक्ता आयोग
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Published : Feb 10, 2021, 7:00 PM IST

जयपुर. राज्य उपभोक्ता आयोग ने मरीज के इलाज में लापरवाही बरतने के चलते उसकी आंखों की रोशनी चले जाने को गंभीरता से लेते हुए डॉ. मुमताज एचएन अस्पताल पर 17 लाख रुपए का हर्जाना लगाया है. इसके साथ ही आयोग ने जिला आयोग, चूरू में फर्जी दस्तावेज पेश करने पर अस्पताल के खिलाफ सीआरपीसी की धारा 340 के तहत अलग से कार्रवाई खोलकर जांच के आदेश दिए हैं. आयोग ने यह आदेश शंकर लाल की अपील पर दिए.

अपील में कहा गया कि परिवादी के सिरदर्द, बेहोशी और बुखार रहने पर उसने 16 मार्च 2011 को इस अस्पताल में दिखाया था, जहां उसे भर्ती कर अलग-अलग दवाइयां दी गई. जिसके चलते उसकी आंखों की रोशनी समाप्त हो गई. रोशनी जाने और सिरदर्द में कमी नहीं होने पर परिवादी दूसरे अस्पताल गया, जहां चिकित्सकों ने जांच कर बताया कि उसके सिर में पानी भरने के साथ ही कैंसर हो गया है.

पढ़ें- आरोपी महिला RAS पिंकी मीणा को शादी करने के लिए मिली अंतरिम जमानत

वहीं, दूसरी ओर राज्य सरकार के अधिकृत नेत्र चिकित्सक ने आंखों की रोशनी वापस नहीं आने का हवाला देते हुए उसका सौ फीसदी दिव्यांगता का प्रमाण पत्र जारी कर दिया. अपील में कहा गया कि अस्पताल प्रशासन यदि प्रथम चैकअप के समय ही संबंधित चिकित्सक के पास रेफर कर देता तो उसका तुरंत इलाज हो जाता.

आयोग के सामने आया कि इस अस्पताल ने जिला उपभोक्ता आयोग, चूरू के समक्ष परिवादी की बीमारी को लेकर फर्जी दस्तावेज पेश किए हैं. जिसके चलते जिला आयोग ने उसका परिवाद खारिज कर दिया था. इस पर राज्य आयोग ने अस्पताल पर हर्जाना लगाते हुए अलग से कार्रवाई के भी आदेश दिए हैं.

जयपुर. राज्य उपभोक्ता आयोग ने मरीज के इलाज में लापरवाही बरतने के चलते उसकी आंखों की रोशनी चले जाने को गंभीरता से लेते हुए डॉ. मुमताज एचएन अस्पताल पर 17 लाख रुपए का हर्जाना लगाया है. इसके साथ ही आयोग ने जिला आयोग, चूरू में फर्जी दस्तावेज पेश करने पर अस्पताल के खिलाफ सीआरपीसी की धारा 340 के तहत अलग से कार्रवाई खोलकर जांच के आदेश दिए हैं. आयोग ने यह आदेश शंकर लाल की अपील पर दिए.

अपील में कहा गया कि परिवादी के सिरदर्द, बेहोशी और बुखार रहने पर उसने 16 मार्च 2011 को इस अस्पताल में दिखाया था, जहां उसे भर्ती कर अलग-अलग दवाइयां दी गई. जिसके चलते उसकी आंखों की रोशनी समाप्त हो गई. रोशनी जाने और सिरदर्द में कमी नहीं होने पर परिवादी दूसरे अस्पताल गया, जहां चिकित्सकों ने जांच कर बताया कि उसके सिर में पानी भरने के साथ ही कैंसर हो गया है.

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वहीं, दूसरी ओर राज्य सरकार के अधिकृत नेत्र चिकित्सक ने आंखों की रोशनी वापस नहीं आने का हवाला देते हुए उसका सौ फीसदी दिव्यांगता का प्रमाण पत्र जारी कर दिया. अपील में कहा गया कि अस्पताल प्रशासन यदि प्रथम चैकअप के समय ही संबंधित चिकित्सक के पास रेफर कर देता तो उसका तुरंत इलाज हो जाता.

आयोग के सामने आया कि इस अस्पताल ने जिला उपभोक्ता आयोग, चूरू के समक्ष परिवादी की बीमारी को लेकर फर्जी दस्तावेज पेश किए हैं. जिसके चलते जिला आयोग ने उसका परिवाद खारिज कर दिया था. इस पर राज्य आयोग ने अस्पताल पर हर्जाना लगाते हुए अलग से कार्रवाई के भी आदेश दिए हैं.

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