जयपुर. सीवर साफ करने वाले कर्मचारी सफाई के कई तरीके अपनाते हैं. वे कमर से एक रस्सी बांधकर, हाथ में बाल्टी और फावड़े के साथ सीवर साफ करने उतरते हैं. यह सुरक्षित नहीं है. सीवर साफ करने वाले कर्मचारियों (sewer cleaner) को जान का खतरा ही नहीं है, बल्कि उन्हें त्वचा संक्रमण (skin infection), श्वसन विकार (respiratory disease) से भी जूझना पड़ता है.
मौत का जोखिम उठाकर ये अपनी रोजी-रोटी की व्यवस्था करते हैं. मानसून के दौर में सीवर जाम (sewer jam) होने की समस्या भी बढ़ जाती है. इन परेशानियों को ध्यान में रखते हुए जयपुर के युवा दंपति ने Xena 6.0 रोबोट इंट्रोड्यूस किया है.
इस मैनहोल क्लीनिंग रोबोट को बनाने वाली नीलिमा ने बताया कि इसके अंदर टर्बाइन सिस्टम और ग्रेबिंग यूनिट लगी है. ऊपर कंसोल लगाया गया है, जो किसी भी कर्मचारी को शेड भी प्रोवाइड कराता है. इस रोबोट को एक जॉयस्टिक के माध्यम से कंट्रोल और ऑपरेटर किया जा सकता है. साथ ही एक कैमरा लगाया गया है, जिसके माध्यम से स्क्रीन पर देखकर आसानी से क्लीनिंग की जा सकती है. साथ ही सीवरेज से निकलने वाले मलबे को स्टोरेज करने की जगह भी दी गई है. ताकि मलबे को सड़क पर छोड़ना नहीं पड़े.
XENA 6.0 रोबोट की खासियत
XENA 6.0 रोबोट (XENA 6.0 Robot) मल्टी यूटिलिटी रोबोट है. ये सीवरेज मैनहोल की सफाई कर सकता है. इसके अलावा बचाव कार्यों और कृषि उद्देश्य के लिए भी इसका उपयोग किया जा सकता है. ये रोबोट सौर ऊर्जा से चलने वाली बैटरी पर आधारित है. सिंगल चार्ज में यह 7 दिनों तक काम कर सकता है. रोबोट पूरी तरह से वॉटर प्रूफ है और किसी भी वातावरण में काम कर सकता है. रोबोट सभी इलाके के लिए डिज़ाइन किया गया है.
इसके अलावा इसमें डिटेक्शन सेंसर लगा होने से ये अलर्ट भी देता है. इसे जीपीएस सिस्टम (GPS system) के माध्यम से से ट्रैक भी किया जा सकता है. यह 12 अलग-अलग तरह की गैस को डिटेक्ट कर पता लगा सकता है. इसमें रिमोट मॉनिटरिंग सिस्टम है ताकि इसका संचालन दूर से किया जा सके. ये एक बार में 250 किलो तक कीचड़ जमा कर सकता है. रोबोट क्लीनिंग यूनिट 15 मीटर तक गोता लगा सकती है. इसके अलावा इसमें टर्बाइन सफाई तकनीक, लाइव मॉनिटरिंग कैमरा और रात में अल्ट्रा एचडी कलर इमेज दिखाने जैसी विशेषताएं हैं.
खास बात ये है कि रोबोट सोलर बेस्ड है. इसमें लगी बैटरी सोलर से चार्ज हो जाती है. ऐसे में इसे इलेक्ट्रिसिटी से चार्ज करने की आवश्यकता नहीं होती. उन्होंने बताया कि चूंकि ये एक मशीन ही है और उसने कभी कोई दिक्कत आ सकती है. ऐसे में ऑपरेटर रोबोट में दिए गए इमरजेंसी बटन से इसे बंद भी किया जा सकता है. फिलहाल गुजरात सीएसआर अथॉरिटी 3 रोबोट पायलट प्रोजेक्ट के रूप में इस्तेमाल कर रही है. इसकी लागत करीब 42 से 45 लाख रहती है. जिसमें टोइंग और ड्राइविंग सिस्टम भी शामिल हैं
भले ही कोर्ट ने मैनुअल सीवरेज सफाई के काम पर रोक लगाई है. बावजूद इसके अभी भी ये मैनहोल मशीनहोल नहीं बन पाए हैं. लेकिन कहा जाता है कि आवश्यकता आविष्कार की जननी होती है. इसी सोच के साथ बनाया गया xena 6.0 रोबोट न सिर्फ सीवरेज सफाई में अपनी महती भूमिका निभा सकता है, बल्कि कर्मचारियों के लिए भी मददगार साबित हो सकता है.