जयपुर. लॉकडाउन के बाद विभिन्न वर्गों के लिए सरकार की ओर से भोजन के इंतजाम किए गए. ताकि किसी भी तबके के लिए परेशानियां खड़ी ना हो. पर सरकारी दावों के बावजूद भी जयपुर में ही एक बड़ा वर्ग ऐसा है जिसके लिए फिलहाल दो वक्त की रोटी का जुगाड़ करना भी मुश्किल हो गया है. इन लोगों को खाना कब मिलेगा इस बात का भी अंदाजा नहीं होता. दरअसल यह लोग हैं जयपुर शहर के अलग-अलग हिस्सों में लोगों को अपनी मंजिल तक पहुंचाने वाले साइकिल रिक्शा चालक.
इन साइकिल रिक्शा चालकों की एक बड़ी तादाद जयपुर शहर और खास तौर पर परकोटा इलाके में हैं. जबसे परकोटे में महा कर्फ्यू लगा है इनमें से एक बड़ी संख्या उन लोगों की है जिनके पास अपने घर नहीं हैं. उन्हें परकोटे से बाहर आकर सड़कों पर ही आसरा लेना पड़ता. एक अनुमान के मुताबिक राजधानी जयपुर में 5 हजार के करीब साइकिल रिक्शा चालक हैं जिनमें से सैकड़ों ऐसे हैं जिनके पास अपने घर नहीं हैं. ऐसे में इनका घर और बेडरूम दोनों इनके साइकिल रिक्शा पर ही होता है.
इन लोगों के लिए रोटी का जुगाड़ कैसे होगा इसका अंदाजा इन्हें स्वयं नहीं होता. यह लोग समाज सेवा के जरिए रोटी बांट रहें लोगों की रहम के मोहताज होते हैं. जब इन लोगों से बातचीत की तो पता चला कि सरकार की तरफ से बांटे जाने वाला खाना इन तक नहीं पहुंच पाता. जयपुर जिला प्रशासन के एक अनुमान के मुताबिक करीब ढाई लाख फूड पैकेट रोजाना जरूरतमंद लोगों के बीच बांटे जा रहे हैं. इसके साथ-साथ 10 किलो अनाज या फिर कच्चे राशन के सामान को भी बड़ी संख्या में लोगों तक पहुंचाया गया है.
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लेकिन यह सब वो लोग हैं जो किसी बस्ती में बसे हुए हैं या फिर किसी चैरिटी होम में पनाह लिए हुए हैं या प्रशासन की ओर से तैयार की गई सूची में जिन के नाम दर्ज हैं. राजधानी में मौजूद बेघर रिक्शा चालकों को इनमें से किसी भी फेहरिस्त में दर्ज नहीं किया गया. लिहाजा इनके लिए रोटी को जुटा पाना मुश्किल हो चुका है. रोजी पहले ही छिन चुकी हैं. ऊपर से आशियाना ना होने के कारण हर वक्त बीमारी का खतरा माथे पर मंडराता रहता हैं.