जयपुर. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपने बजट में कर्मचारियों को कई तरह की सौगातें दी हैं. कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन योजना भी लागू कर दी है, जिससे उनके चेहरे खिले हुए हैं. दूसरी ओर सैंकड़ों सेवानिवृत्त विद्युत कर्मचारी मायूस हैं क्योंकि उन्हें इस पुरानी पेंशन योजना का लाभ नहीं मिल पायेगा.
इन कर्मचारियों ने मुख्यमंत्री से अपील की है कि उन्हें भी पेंशन योजना का लाभ दिया (Retired electric department employees demands old pension scheme) जाए, ताकि उनका शेष जीवन सुकून से बीत सके. सीपीएफ विद्युत कर्मचारी कल्याण समिति ने सोमवार को प्रेसवार्ता कर अपनी पीड़ा सुनाई. मुख्यमंत्री ने बजट पेश करते समय सरकारी कर्मचारियों की पुरानी पेंशन योजना फिर से लागू कर दी, जिसकी मांग वे सालों से कर रहे थे. लेकिन बिजली कंपनियों के 2500 से 3000 कर्मचारियों को पेंशन का लाभ नहीं मिल पायेगा. क्योंकि यह कर्मचारी आरएसईबी पेंशन योजना 1988 में पेंशन विकल्प भरने से चूक गए थे.
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सीपीएफ विद्युत कर्मचारी कल्याण समिति के अध्यक्ष रमेश चंद्र मीणा ने बताया कि पेंशन से वंचित सेवानिवृत्त विद्युत कर्मचारी आर्थिक संकट और बीमारियों से जूझते हुए मर रहे हैं. मीणा ने कहा कि 30 से 35 वर्ष की सेवा के बाद भी वे लोग पेंशन से वंचित हैं. इस संघर्ष के दौरान कई विद्युत कर्मचारी जिंदगी की जंग हार चुके हैं. बाकी कोरोना में संघर्ष कर रहे हैं.
मीणा ने कहा कि समिति पिछले 3 वर्षों से पेंशन से वंचित विद्युत कर्मचारियों को पेंशन दिलाने के लिए विभाग और सरकार से अलग-अलग स्तर पर हर संभव निरंतर प्रयास कर रही है. इसी का परिणाम है कि 5 में से 4 विद्युत कंपनियों के अध्यक्ष ने पेंशन के लिए अपनी सहमति और अनुशंसा भी कर दी है. पांच वरिष्ठ मंत्रियों सहित विधायकों ने भी मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर विद्युत कर्मचारियों को पेंशन देने की अनुशंसा की है. सीपीएफ विद्युत कर्मचारी कल्याण समिति ने मुख्यमंत्री से मार्मिक अपील करते हुए कहा है कि 3 मार्च को बजट चर्चा के दौरान बिजली कर्मचारियों को भी पेंशन का लाभ देकर सामाजिक सुरक्षा दें.