जयपुर. रेजिडेंट डॉक्टर ने अस्पतालों से मुंह मोड़ लिया है. केंद्र सरकार से पीजी काउंसलिंग जल्द करवाने और राज्य सरकार से 8 सूत्री मांगों को लेकर रेजिडेंट डॉक्टर ने कार्य बहिष्कार (Resident doctors strike) कर रखा है. जिसका खामियाजा अस्पताल पहुंचने वाले मरीजों को भुगतना पड़ रहा है. पैर में फ्रैक्चर हो या तेज बुखार, इन मरीजों को लंबी कतार में घंटों अपनी बारी का इंतजार करना पड़ रहा है.
SMS अस्पताल जहां हर दिन तकरीबन 10 हजार मरीजों का ओपीडी रहता है. यहां सीनियर डॉक्टर के साथ तीन से चार रेजिडेंट डॉक्टर अपनी सेवाएं देते नजर आते हैं. लेकिन बुधवार को अस्पताल में कुछ अलग नजारा देखने को मिला. यहां मरीजों की लंबी कतार और इस कतार में तेज बुखार के बावजूद अपनी बारी का इंतजार कर रहे युवक ने बताया कि अस्पताल में पहले पर्ची के लिए लाइन में लगे और अब डॉक्टर को दिखाने के लिए 1 घंटे से ज्यादा का समय बीत गया. लेकिन अब तक नंबर नहीं आ पाया है.
इसी कतार में मौजूद 2 महिला मरीजों ने बताया कि सुबह 10 बजे से लाइन में खड़े हैं. लेकिन 2 घंटे बाद भी डॉक्टर तक नहीं पहुंच पाए. चेंबर में सिर्फ एक डॉक्टर मौजूद है. ऐसे में मजबूरन अपनी बारी का इंतजार करना पड़ रहा है. अस्पताल के ओपीडी में एक बुजुर्ग महिला अपनी टूटी टांग के साथ सुबह 8 बजे से भटकती मिली. जिनकी पीड़ा उनकी बातों में भी छलक पड़ी. उन्होंने कहा कि डॉक्टर को दिखाना है तो लाइन में लगना ही पड़ेगा. फिर चाहे कितना ही समय लग जाए.
हालांकि SMS और संबद्ध अस्पतालों में सीनियर रेजिडेंट और सीनियर डॉक्टर्स को लगाया गया है. जिससे अस्पताल में आने वाले मरीजों को परेशानी ना हो, लेकिन यहां पहुंचने वाली भीड़ इस व्यवस्था पर भारी पड़ती हुई दिखी. उधर, कार्य बहिष्कार कर सरकार के फैसले का इंतजार कर रहे रेजिडेंट डॉक्टर्स ने बताया कि रेजिडेंट की हड़ताल केंद्र सरकार और राज्य सरकार दोनों की नीतियों के खिलाफ है. एक तरफ केंद्र सरकार नीट पीजी काउंसलिंग में देरी कर रही है.
दूसरी तरफ 8 सूत्री मांगों को लेकर राज्य सरकार से दो बार वार्ता की जा चुकी है, लेकिन सरकार मांगों पर कार्रवाई करने में विलंब कर रही है. रेजिडेंट डॉक्टर्स की मानें तो वो भी हड़ताल खत्म करना चाहते हैं लेकिन उन्होंने तर्क दिया कि जो डिमांड की जा रही है वो भी जनता के पक्ष में ही है. यदि सरकार उनकी बात मानती है, तो प्रदेश में डॉक्टर की संख्या बढ़ेगी और अगर इसमें देरी होती है तो आशंका है कि इस बार नया बैच ही ना आए. इससे करीब 40 हजार डॉक्टर एक साल पिछड़ जाएंगे. जो स्पेशलिटी और सुपर स्पेशलिटी कर आम जनता और देश को बड़ी राहत पहुंचा सकते हैं.
आपको बता दें कि सोमवार रात से रेजिडेंट डॉक्टर्स पूर्ण कार्य बहिष्कार कर चुके हैं. इसमें आईसीयू और आपातकालीन सेवाएं भी शामिल हैं. हालांकि सरकार से दो बार भी वार्ता में 8 सूत्री मांगों में से कुछ एक पर रजामंदी बन चुकी है, लेकिन जब तक नीट पीजी काउंसलिंग शुरू नहीं होती, प्री और पैरा क्लीनिकल विषयों में सीनियर रेजिडेंसी में सीटें लागू नहीं होती तब तक ये हड़ताल जारी रहेगी. ये बात तय है कि इसका खामियाजा उन मरीजों को भुगतना पड़ेगा जो समय से उचित इलाज की उम्मीद लेकर सरकारी अस्पतालों में पहुंच रहे हैं.