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जयपुर में किंग एडवर्ड मेमोरियल : इतिहास के पन्नों में दर्ज यादगार को यूनेस्को के डर से दिया जा रहा मूल स्वरूप...

राजधानी जयपुर अपनी विरासत और पुरानी इमारतों के लिए विश्व विख्यात है. जयपुर में अजमेरी गेट के नजदीक आज भी यूरोपियन आर्किटेक्चर का एक नायाब उदाहरण 'यादगार' के रूप में देखने को मिलता है. असल में यह यादगार किंग एडवर्ड मेमोरियल (King Edward Memorial Jaipur ) है, जिसे 1912 में सोने की चाबी से ताला खोलकर शुरू किया गया था.

King Edward Memorial Jaipur
जयपुर में किंग एडवर्ड मेमोरियल
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Published : Dec 11, 2021, 7:50 PM IST

Updated : Dec 11, 2021, 10:56 PM IST

जयपुर. 1912 में जब जयपुर में किंग एडवर्ड मेमोरियल को शुरू किया गया था तब यह शहर के मेहमानों के लिए होटल था. बाद में मेडिकल कॉलेज का हॉस्टल बना और वर्तमान में जयपुर यातायात पुलिस का मुख्यालय (Jaipur Traffic Headquarters yadgar) है. हालांकि बीते दिनों इस हेरिटेज इमारत पर हल्का गुलाबी रंग पोतकर इसके इतिहास के साथ छेड़खानी की गई, जिसे अब दोबारा स्मार्ट सिटी के जरिए रामरज रंग से रंगा जा रहा है.

अंग्रेज जब भारत में आए तब उत्तर भारत में इमारतों के निर्माण की प्रचलित राजपूत शैली में यूरोपियन स्थापत्य का समावेश होने लगा. उस दौर में जिन इमारतों का निर्माण हुआ उन्हें इंडो सारासेनिक स्टाइल कहा गया. जयपुर में अजमेरी गेट के पास बना किंग एडवर्ड मेमोरियल भी इसी स्टाइल में बनी इमारत है. इसका उद्घाटन लॉर्ड हार्डिंग्स ने 19 नवंबर 1912 को किया था. हालांकि उस वक्त जयपुर में प्लेग बीमारी फैल रही थी. इस वजह से भव्य आयोजन तो नहीं हुआ, लेकिन इसे यादगार बनाने के लिए इमारत के ताले को सोने की चाबी से खोला गया. इस मौके पर नाहरगढ़ किले से 101 तोपें चलीं. इसी इमारत में स्विस से मंगाई गई एक घड़ी भी लगाई गई, जो उस दौर में शहर वासियों के लिए आकर्षण का केंद्र भी रही.

जयपुर में किंग एडवर्ड मेमोरियल का मरम्मत कार्य

इतिहासकार जितेंद्र सिंह शेखावत के अनुसार 4 साल में यह इमारत बनकर तैयार हुई थी. तत्कालीन राजा माधो सिंह ने इसे किंग एडवर्ड मेमोरियल नाम दिया. उस दौर में जयपुर में देशी विदेशी मेहमानों का आना-जाना लगा रहता था, जिन्हें ठहराने के लिए इस इमारत का इस्तेमाल होटल के रूप में किया जाने लगा. इसमें तीन श्रेणी के 32 कमरे मौजूद थे और इसके संचालन के लिए 6 सदस्यों की कमेटी बनाई गई थी. इस होटल से करीब 34 हजार रुपये की सालाना आय भी हुआ करती थी. बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के लिए सहयोग लेने के लिए मदन मोहन मालवीय भी जयपुर आकर यहीं ठहरे थे. बाद में जब जयपुर में मेडिकल कॉलेज बना तो इसी इमारत को मेडिकल हॉस्टल के रूप में भी इस्तेमाल किया गया.

यातायात पुलिस ने पुतवा दिया था गुलाबी रंग

जयपुर का परकोटा यूनेस्को की विश्व विरासत सूची (Jaipur Parkota UNESCO World Heritage) में शामिल है. इसकी वजह पूरे शहर का खास रंग से रंगा होना भी है. राजधानी में मुख्य रूप से बाजारों और सरकारी इमारतों पर दो रंग पुतवाये गए थे. परकोटे के अंदर सभी हवेली और बाजारों में जो रंग पुतवाया, उसे जयपुर आए प्रिंस अल्बर्ट ने गुलाबी रंग कहा था. जबकि सरकारी इमारतों सिटी पैलेस और रियासत की मिल्कियत वाली इमारतों पर रामरज रंग किया गया. जो दिखने में लगभग पीला रंग नजर आता है. दो साल पहले जयपुर यातायात पुलिस ने अपना मुख्यालय होने के चलते मनमाने तरीके इस पर गुलाबी रंग पुतवा दिया. अब वर्ल्ड हेरिटेज सिटी का दर्जा मिलने के बाद इस रियासत कालीन इमारत को जयपुर स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत मूल स्वरूप देने की कोशिश की जा रही है.

King Edward Memorial Jaipur
चल रहा क्लॉक टावर का मरम्मत कार्य

पढ़ें- जयपुर में किशनबाग वानिकी परियोजना : डेजर्ट थीम आधारित ये पार्क होगा एजुकेशन और टूरिज्म का हब

वर्तमान में बंद पड़ी है घड़ी

सालों से यादगार में लगी घड़ी बंद पड़ी है. पूर्व में तत्कालीन सांसद गिरधारी लाल भार्गव ने 50 हजार रुपए सांसद कोष से देकर इस घड़ी की मरम्मत कराने के निर्देश दिए थे. लेकिन आज तक इस घड़ी का कोई मैकेनिक नहीं मिल पाया. जयपुर में इसी तरह की दो घड़ी और हैं, जिसमें से एक सिटी पैलेस और दूसरी चांदपोल चर्च में लगी है. ये दोनों घड़ियां अभी वर्किंग में हैं.

बता दें कि ये इमारत ठेबेदार पत्थरों से बनी हुई है. मुख्य दरवाजे-खिड़कियों पर गढ़ाई वाले पत्थर लगे हैं. छज्जों के नीचे गढ़ाई वाली टोडियां लगी हैं. इमारत के छज्जों और सबसे ऊपर पैराफिट पर पीला रामरज रंग निर्माण के समय से ही चला रहा था. चूंकि ये इमारत वर्ल्ड हेरिटेज सिटी के बफर जोन में है और यूनेस्को को भेजी जाने वाली प्राचीन इमारतों की सूची में शामिल है, ऐसे में अब खिड़कियों, रोशनदान, छज्जों और पैराफिट पर दोबारा पीला रामरज रंग कराया जा रहा है.

King Edward Memorial Jaipur
वर्तमान में यादगार है जयपुर ट्रैफिक पुलिस मुख्यालय

जयपुर परकोटा यूनेस्को की विश्व विरासत सूची (Jaipur in UNESCO World Heritage) में शामिल है. जाहिर है कि शहर की तमाम प्राचीन इमारतों का रख रखाव बेहद जरूरी है. यही जयपुर पर्यटन (Jaipur Tourism ) के लिहाज से भी आवश्यवक है. जयपुर का किंग एडवर्ड मेमोरियल सिर्फ नाम का यादगार नहीं है, बल्कि उस दौर की यादगार भी है जिसमें जयपुर को गुलाबी शहर होने का गौरव मिला था.

जयपुर. 1912 में जब जयपुर में किंग एडवर्ड मेमोरियल को शुरू किया गया था तब यह शहर के मेहमानों के लिए होटल था. बाद में मेडिकल कॉलेज का हॉस्टल बना और वर्तमान में जयपुर यातायात पुलिस का मुख्यालय (Jaipur Traffic Headquarters yadgar) है. हालांकि बीते दिनों इस हेरिटेज इमारत पर हल्का गुलाबी रंग पोतकर इसके इतिहास के साथ छेड़खानी की गई, जिसे अब दोबारा स्मार्ट सिटी के जरिए रामरज रंग से रंगा जा रहा है.

अंग्रेज जब भारत में आए तब उत्तर भारत में इमारतों के निर्माण की प्रचलित राजपूत शैली में यूरोपियन स्थापत्य का समावेश होने लगा. उस दौर में जिन इमारतों का निर्माण हुआ उन्हें इंडो सारासेनिक स्टाइल कहा गया. जयपुर में अजमेरी गेट के पास बना किंग एडवर्ड मेमोरियल भी इसी स्टाइल में बनी इमारत है. इसका उद्घाटन लॉर्ड हार्डिंग्स ने 19 नवंबर 1912 को किया था. हालांकि उस वक्त जयपुर में प्लेग बीमारी फैल रही थी. इस वजह से भव्य आयोजन तो नहीं हुआ, लेकिन इसे यादगार बनाने के लिए इमारत के ताले को सोने की चाबी से खोला गया. इस मौके पर नाहरगढ़ किले से 101 तोपें चलीं. इसी इमारत में स्विस से मंगाई गई एक घड़ी भी लगाई गई, जो उस दौर में शहर वासियों के लिए आकर्षण का केंद्र भी रही.

जयपुर में किंग एडवर्ड मेमोरियल का मरम्मत कार्य

इतिहासकार जितेंद्र सिंह शेखावत के अनुसार 4 साल में यह इमारत बनकर तैयार हुई थी. तत्कालीन राजा माधो सिंह ने इसे किंग एडवर्ड मेमोरियल नाम दिया. उस दौर में जयपुर में देशी विदेशी मेहमानों का आना-जाना लगा रहता था, जिन्हें ठहराने के लिए इस इमारत का इस्तेमाल होटल के रूप में किया जाने लगा. इसमें तीन श्रेणी के 32 कमरे मौजूद थे और इसके संचालन के लिए 6 सदस्यों की कमेटी बनाई गई थी. इस होटल से करीब 34 हजार रुपये की सालाना आय भी हुआ करती थी. बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के लिए सहयोग लेने के लिए मदन मोहन मालवीय भी जयपुर आकर यहीं ठहरे थे. बाद में जब जयपुर में मेडिकल कॉलेज बना तो इसी इमारत को मेडिकल हॉस्टल के रूप में भी इस्तेमाल किया गया.

यातायात पुलिस ने पुतवा दिया था गुलाबी रंग

जयपुर का परकोटा यूनेस्को की विश्व विरासत सूची (Jaipur Parkota UNESCO World Heritage) में शामिल है. इसकी वजह पूरे शहर का खास रंग से रंगा होना भी है. राजधानी में मुख्य रूप से बाजारों और सरकारी इमारतों पर दो रंग पुतवाये गए थे. परकोटे के अंदर सभी हवेली और बाजारों में जो रंग पुतवाया, उसे जयपुर आए प्रिंस अल्बर्ट ने गुलाबी रंग कहा था. जबकि सरकारी इमारतों सिटी पैलेस और रियासत की मिल्कियत वाली इमारतों पर रामरज रंग किया गया. जो दिखने में लगभग पीला रंग नजर आता है. दो साल पहले जयपुर यातायात पुलिस ने अपना मुख्यालय होने के चलते मनमाने तरीके इस पर गुलाबी रंग पुतवा दिया. अब वर्ल्ड हेरिटेज सिटी का दर्जा मिलने के बाद इस रियासत कालीन इमारत को जयपुर स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत मूल स्वरूप देने की कोशिश की जा रही है.

King Edward Memorial Jaipur
चल रहा क्लॉक टावर का मरम्मत कार्य

पढ़ें- जयपुर में किशनबाग वानिकी परियोजना : डेजर्ट थीम आधारित ये पार्क होगा एजुकेशन और टूरिज्म का हब

वर्तमान में बंद पड़ी है घड़ी

सालों से यादगार में लगी घड़ी बंद पड़ी है. पूर्व में तत्कालीन सांसद गिरधारी लाल भार्गव ने 50 हजार रुपए सांसद कोष से देकर इस घड़ी की मरम्मत कराने के निर्देश दिए थे. लेकिन आज तक इस घड़ी का कोई मैकेनिक नहीं मिल पाया. जयपुर में इसी तरह की दो घड़ी और हैं, जिसमें से एक सिटी पैलेस और दूसरी चांदपोल चर्च में लगी है. ये दोनों घड़ियां अभी वर्किंग में हैं.

बता दें कि ये इमारत ठेबेदार पत्थरों से बनी हुई है. मुख्य दरवाजे-खिड़कियों पर गढ़ाई वाले पत्थर लगे हैं. छज्जों के नीचे गढ़ाई वाली टोडियां लगी हैं. इमारत के छज्जों और सबसे ऊपर पैराफिट पर पीला रामरज रंग निर्माण के समय से ही चला रहा था. चूंकि ये इमारत वर्ल्ड हेरिटेज सिटी के बफर जोन में है और यूनेस्को को भेजी जाने वाली प्राचीन इमारतों की सूची में शामिल है, ऐसे में अब खिड़कियों, रोशनदान, छज्जों और पैराफिट पर दोबारा पीला रामरज रंग कराया जा रहा है.

King Edward Memorial Jaipur
वर्तमान में यादगार है जयपुर ट्रैफिक पुलिस मुख्यालय

जयपुर परकोटा यूनेस्को की विश्व विरासत सूची (Jaipur in UNESCO World Heritage) में शामिल है. जाहिर है कि शहर की तमाम प्राचीन इमारतों का रख रखाव बेहद जरूरी है. यही जयपुर पर्यटन (Jaipur Tourism ) के लिहाज से भी आवश्यवक है. जयपुर का किंग एडवर्ड मेमोरियल सिर्फ नाम का यादगार नहीं है, बल्कि उस दौर की यादगार भी है जिसमें जयपुर को गुलाबी शहर होने का गौरव मिला था.

Last Updated : Dec 11, 2021, 10:56 PM IST
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